अत्याधुनिक वोटिंग प्रणाली ईवीएम के बावजूद दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम 11 फरवरी को घोषित किया जायेगा. आखिर इतना अधिक समय क्यों लगाया जा रहा है ? न केवल मतदान का परिणाम ही, बल्कि मतदान प्रतिशत तक बताने में चुनाव आयोग ने 24 घंटे से अधिक का वक्त लिया है. चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत भी 24 घंटे के बाद तब बताया जब चारो ओर से लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठाया जाने लगा.
एक्जिट पोलों में दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी को काफी (लगभग 68 सीटें) देने के बीच भाजपा के दिल्ली ईकाई अध्यक्ष मनोज तिवारी खुले तौर पर भाजपा को 45 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं. मनोज तिवारी का यह दावा महज कीमियागिरी हो, ऐसा भी नहीं लगता. यह अमित शाह और चुनाव आयोग की मिलीभगत का परिणाम भी हो सकता है. मनोज तिवारी ने एक पेपर पर चुनाव परिणाम को इस प्रकार बताया है –
मनोज तिवारी का यह मतगणना परिणाम चुनाव आयोग के पूर्व के संदिग्ध रवैये पर मुहर लगा रहा है, जहां वह लोकसभा चुनाव में भी मोदी के हिसाब से चल रहा था, सारे विपक्षी दलों के लाख विरोध के बावजूद. पत्रकार गिरीश मालवीय चुनाव आयोग के इन्हीं संदिग्ध रवैैये को यहां उठा रहे हैं –
बहुत से मित्र यह आश्चर्य प्रकट कर रहे हैं कि चुनाव आयोग बार-बार दिल्ली के मतदान के आंंकड़े बढ़ाए चला जा रहा है और अभी तक मतों का कुल प्रतिशत आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया है !
मित्र नवनीत चतुर्वेदी बता रहे हैं कि कल शाम 5 बजे चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरण ट्वीट करती हैं कि दिल्ली में कुल वोटिंग 44.52% हुआ है. मतदान खत्म होने के बाद शाम को यह खबर आती है कि मतदान 56% के लगभग हुआ है. सुधीर चौधरी जिनका DNA ही खराब है, वह दिल्ली की पब्लिक को गरियाना शुरू कर देते हैं.
रात में चुनाव आयोग मतदान प्रतिशत का आंंकड़े फिर बदल जाता है. अब कहा जाता है कि लास्ट में वोटिंग खत्म होते-होते कुल वोटिंग 61.75% की हो गई है, अर्थात सिर्फ अगले डेढ़ घण्टे में करीब 17% वोट करिश्मे की तरह बढ़ जाते है और वोटिंग पिछली बार से महज 5 या 6 प्रतिशत ही कम होती है. तब भी सुधीर चौधरी दिल्ली की जनता को वोट नहींं करने के लिए देशद्रोही बताते हैं.
मित्र नवनीत इसका कारण स्प्ष्ट करते हुए बताते हैं कि कल शाम को अचानक आइटी सेल प्रमुख अमित मालवीय का ट्वीट आता है कि हमारे कार्यकर्ताओ ने अंतिम समय के लास्ट घण्टे में जनता को प्रेरित किया और घर से निकल कर बूथ तक भेजा ओर इससे वोटिंग बढ़ गई,
आज दोपहर तक भी चुनाव आयोग फाइनल फिगर नहीं दे रहा है जबकि मतदान की अगली सुबह तक फाइनल आँकड़े आ जाते हैं.
इस बात से मुझे अपनी एक पुरानी पोस्ट याद आयी दरअसल 29 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में नौ राज्यों की 72 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए और रात 9:39 तक 63.16 फ़ीसदी मतदान दर्ज किया गया था लेकिन जब अगले दिन इलेक्शन कमीशन की वोटर टर्नआउट ऐप’ पर डेटा अपडेट हुआ तो सिर्फ 2 राज्यों में तस्वीरे पूरी तरह से बदल चुकी थी.
ये 2 राज्य है उड़ीसा और पश्चिम बंगाल. इन दोनों राज्यों में मतदान का प्रतिशत अचानक से लगभग 7 से 8 प्रतिशत बढ़ गया. ओडिशा में यह 64.24% से बढ़कर सीधे 72.89% हो गया और पश्चिम बंगाल में 76.72% से सीधा बढ़कर 82.77% हो गया. बाकी राज्यों में भी थोड़ी घट बढ़ हुई थी जैसे महाराष्ट्र में 55.86% से 56.61% हुआ है, राजस्थान में 67.91% से 68.16% हुआ लेकिन इन दो राज्यों में जहांं बीजेपी की स्थिति सबसे कमजोर थी और सारी ताकत उसने इन्ही 2 राज्यों पर लगा रखी थी, उन्हीं 2 राज्यों के मतदान के आंकड़ों में इतना बड़ा मेजर चेंज आ गया. और जब 2019 में लोकसभा के परिणाम आए तब इन राज्यों में बीजेपी को 2014 की तुलना में काफी अधिक सीट मिली.
दिल्ली तो पूरी तरह से अरबन इलाका है. बंगाल और उड़ीसा के बारे में तो यह तर्क भी दिया जा रहा था कि सुदूर इलाकों से रिपोर्ट देरी से आई इसलिए ऐसा हुआ. लेकिन दिल्ली में तो ऐसी कोई दिक्कत नहींं थी तो मतदान का अचानक से बढ़ा हुआ प्रतिशत कैसे दिखाया जा रहा है ? क्या दिल्ली में भी बीजेपी की सीटों की संख्या आश्चर्य जनक रूप से बढ़ने जा रही है ? चुनाव आयोग की विश्वसनीयता कटघरे में है.
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