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इस सरकार का दिमाग खराब हो गया है

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इस सरकार का दिमाग खराब हो गया है

गिरीश मालवीय

1. नोटबन्दी से जनता को मूर्ख बनाया : नोटबन्दी की एक बड़ी वजह मार्केट में 500 और हजार के नकली नोटोंं की बढ़ती संख्या को बताया गया था और इसके लिए ही 2000 के नए नोटों को मार्केट में उतारा गया. उस वक्त इन नए नोटों के बारे में यह कहा गया था कि इनकी नकल करना सम्भव ही नहीं है लेकिन आज एक आश्चर्यजनक खबर आई है.

एक सरकारी बैंक ने अपने कर्मचारियों को लिखित में आदेश जारी कर कहा है कि वे 2,000 रुपये के नोट ग्राहकों को न दें, इसके अलावा एटीएम में भी इन्हें न डाला जाए. बैंक अधिकारियों को एटीएम में 500 के अलावा 200 और 100 रुपये के नोट डाले जाने का आदेश जारी किया गया है. इसकी मुख्य वजह 2000 के नकली नोटों को बताया गया है.

अब यह कहा जा रहा है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें 2,000 रुपये के नकली नोटों की बाढ़ आने की बात कही गई थी. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कुल बरामद किए गए नकली नोटों में 56 फीसदी हिस्सा 2,000 रुपये के नोटों का है.

इसका सीधा अर्थ यह है कि नोटबन्दी में नकली नोटों के नाम पर भी जनता को मुर्ख बनाया गया था.

2. टेलिकॉम कंपनियों पर बकाया रकम को आय में जोड़ लिया : इस सरकार का दिमाग खराब हो गया है. भारत के टेलीकॉम मार्केट की जो आज स्थिति है वह किसी से छुपी हुई नही है. वोडाफोन-आइडिया समेत कुल 15 टेलिकॉम कंपनियों पर दूरसंचार विभाग का 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की जो तारीख 23 जनवरी सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित की थी, वह कब की बीत चुकी है. जियो को छोड़कर किसी भी कम्पनी ने यह रकम चुकाने की पहल नहीं की है, इसके बावजूद सरकार बजट में 2020-21 में टेलीकॉम कंपनियों से 1 लाख 33 हजार करोड़ की रकम मिलने का अनुमान लगा रही है.

पिछले सप्ताह पेश हुए बजट में 2019-20 के वित्त वर्ष के लिए कम्युनिकेशंस के मद में 58,686.64 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान दिया गया था. सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए रेवेन्यू के इस अनुमान को दोगुना कर 1,33,027.2 करोड़ रुपये किया है.

टेलीकॉम कंपनियों और एनालिस्ट्स का कहना है कि सरकार की ओर से बजट में इस सेक्टर से मौजूदा और अगले वित्त वर्ष में मिलने वाले रेवेन्यू के अनुमान से उन्हें बेहद हैरानी हुई है. यह सम्भव ही नहीं है कि टेलीकॉम कम्पनियांं इतनी रकम सरकार को चुका पाए !

कल ही वोडाफोन के CEO निक रीड ने निवेशकों के समक्ष अपनी बातें रखने के दौरान साफ-साफ कह दिया है कि ‘हमने विशेष रूप से स्पेक्ट्रम भुगतान पर दो साल की रोक लगाने, लाइसेंस शुल्क और कम करने, समायोजित सकल आय (एजीआर) पर ब्याज और जुर्माने से छूट तथा मूल राशि के भुगतान पर दो साल की रोक के साथ 10 साल में लौटाने की अनुमति मांगी है.’ अगर यह अनुमति नहीं मिलती है तो वोडाफोन-आइडिया को बन्द करना होगा. रीड पहले ही कह चुके हैं कि अगर किसी तरह की राहत नहीं मिली तो उनके पास कंपनी को बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा.

भारती एयरटेल ने भी अब तक इस रक़म को चुकाने के कोई प्रयास नहीं किये हैं. भारती एयरटेल ने तो अगले साल 5G स्पेक्ट्रम की होने वाली नीलामी में भाग लेने से इनकार कर दिया है. वोडाफोन-आइडिया का तो इस नीलामी में भाग लेने का कोई प्लान ही नहीं है.

ऐसी स्थिति में सरकार कैसे यह अनुमान लगा रही है कि उसे टेलीकॉम कंपनियों से यह रकम मिल पाएगी ?

3. PMC बैंक के खाताधारकों की उम्मीद पर RBI की सेंध : PMC बैंक के खाताधारकों को अपना पैसा जल्द वापस मिलने की आखिरी उम्मीद भी टूट गयी. कल सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक घोटाले की आरोपी HDIL की संपत्तियां जल्द से जल्द बेचने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.

आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि आखिर HDIL की संपत्तियों को बेचने से रोकने की मांग की किसने ? दरअसल यह मांग खुद रिजर्व बैंक ने की है और इसके पीछे का जो कारण बताया गया है वह बेहद हास्यास्पद है. रिजर्व बैंक का कहना है कि ‘HDIL के एसेट्स बेचने से PMC बैंक को फिर से खड़ा करने की कोशिशें प्रभावित होंगी.’

एक बात बताइये कौन मूर्ख खाताधारक होगा जो एक बार इतने बड़ा फ्रॉड करने के बावजूद PMC बैंक में वापस से अपनी जमा पूंजी रखने की सोचेगा ? तो आखिर रिजर्व बैंक क्यो और किसके इशारे पर PMC बैंक को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा है ??

विगत 15 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने PMC बैंक के खाताधारकों को बड़ी राहत दी थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरोश दमानिया द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एचडीआईएल की संपत्तियों के वैल्यूएशन और बिक्री के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित की थी ताकि, एचडीआईएल से पीएमसी बैंक के बकाया की रिकवरी हो सके लेकिन रिजर्व बैंक ने बीच में आकर सब गुड़गोबर कर दिया.

कमाल की बात तो यह है कि इस वसूली पर एचडीआईएल के ओनर वधावन भी सहमत थे लेकिन रिजर्व बैंक ने दाल भात में मुसलचन्द बनते हुए सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी.

PMC बैंक के मामले में रिजर्व बैंक की भूमिका पहले से ही संदेहास्पद रही है. एक आरटीआई में प्राप्त जानकारी से पता चला कि RBI को 4,300 करोड़ रुपये के पीएमसी बैंक घोटाले और इसके रियल्‍टी सेक्‍टर की कंपनी एचडीआईएल के दिवालिया होने के संबंध के बारे में कोई जानकारी नहीं थी जबकि सारे मार्केट को मालूम था कि एचडीआईएल की वित्तीय हालत बेहद खराब है

इसके पहले भी रिजर्व बैंक ने 2014 से 2018 के बीच घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों के नाम सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था.

PMC बैंक घोटाले से प्रभावित 10 खाताधारकों की अब तक मौत हो चुकी है. लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद यह समझ में नही आ रहा है कि रिजर्व बैंक क्यों एचडीआईएल से होने वाली वसूली में अड़ंगे डाल रहा है ??

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