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दिल्ली विधानसभा चुनाव : अपने और अपने बच्चों के भविष्य खातिर भाजपा-कांग्रेस का बहिष्कार करें

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दिल्ली विधानसभा चुनाव : अपने और अपने बच्चों के भविष्य खातिर भाजपा-कांग्रेस का बहिष्कार करें

देश के विभिन्न राज्यों में भाजपा की करारी हारों के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना भाजपा के लिए जीवन-मरण का प्रश्न जैसा हो गया है. ऐसा इसलिए भी है कि भाजपा ने देश का खजाना लगभग खाली कर दिया है. विजय माल्या, मेहुल चैकसी, नीरव मोदी, निशान मोदी, पुष्पेश वैद्य, आशीष, सनी कालरा, आरती कालरा, संजय कालरा, वर्षा कालरा, सुधीर कालरा, जतिन मेहता, उमेश पारीख, कमलेश पारीख, नीलेश पारीख, विनय मित्तल, एकलव्य गर्ग, चेतन जयंतीलाल, नितिन जयंतीलाल, दीप्ति बेन चेतन जयंतीलाल, साविया सठ, राजीव गोयल, अलका गोयल, ललित मोदी, रितेश जैन, हितेश नागेन्द्र भाई पटेल, मयूरी बेन पटेल और आशीष सुरेश भाई जैसे ये नाम उन 28 कारोबारी लोगों के हैं जिन्होंने भारत के बैंकों की जमा पूंजी लूट कर चलते बने या यौं कहें मोदी सरकार ने इन्हें सकुशल देश से भाग जाने दिया. इन लोगों ने लगभग 10 लाख करोड़ रूपया का देश को चपत लगाया है. इसमें मोदी और भाजपा साझेदार भी है और हिस्सेदार भी. कई जगह इस बात की भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि संभवतः मोदी ने भी अपना ठिकाना विदेश में बना रखा है. भाजपा के सहयोग से इन लूट लिये गये 10 लाख करोड़ रूपये के अलावा भी कई लाख करोड़ ऐसे रूपये हैं जिसे बैंकों ने मोदी सरकार के दवाब में बट्टे खाते में डाल दिया है अर्थात्, उसके कर्ज माफ कर दिये हैं.

भयानक आर्थिक संकट से जुझती मोदी सरकार भाजपा शासित राज्यों को पूरी तरह लूट चुके थे, जिसकारण वहां उसके हारने का उसे कोई मलाल भी नहीं है, लेकिन दिल्ली विधानसभा सभा अपने बजट को दोगुना कर चुकी है. इसके साथ ही उसे वहां बेचने के लिए शानदार इमारतों वाली सरकारी स्कूलों की बिल्डिंगें हैं, मोहल्ला क्लिनिक हैं, इसके साथ ही ढेर सारे साजो-सामान हैं, जिसे वह बेचकर हजारों करोड़ जुटा सकती है. यहीं कारण है कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए जहर उगलने वाले विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अतिरिक्त 200 से अधिक मंत्रियों-सांसदों को चुनाव प्रचार में उतारा था. केन्द्र के गृहमंत्री खुद अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी तक दिल्ली जैसे केन्द्रशासित प्रदेशों के चुनाव में पूरी ताकत झोंक चुके हैं. इसके लिए उसने झूठे और गंदे आरोपों के साथ-साथ गाली-गलौज तक का सहारा लिया है, जिसे अमित शाह और उसके सिपहसालारों के भद्दे मुख से सुना जा सकता है.

इतना ही नहीं न्याय और इंसाफ की मांग को लेकर पिछले 50 दिनों से धरना पर बैठी शाहीनबाग की महिलाओं को बदनाम करने के लिए भाजपा और उसके गुर्गे हद पार कर गये. जब इससे भी काम नहीं बना तो बकायदा शाहीनबाग की महिलाओं के बीच हथियारबंद आतंकवादी भेजे गये, जो पकड़े जाने पर दिल्ली सरकार की आम आदमी पार्टी का कार्यकत्र्ता बताने लगा. यह अलग बात है कि थोड़े से ही तफ्तीश में यह बात साफ हो गई कि वह भाजपा-आरएसएस के ही अनुषांगिक संगठन बजरंग दल का सदस्य था. इस तरह के हथकंडे भाजपा और उसके गुर्गे आये दिन अपना रहे हैं, ताकि वह जनता को दहशत में डाल सके और आम आदमी पार्टी को बदनाम कर सके. विदित हो कि भाजपा के समर्थन में कश्मीर से आने वाले आतंकवादी दविन्दर सिंह की गिरफ्तारी के बाद भाजपा का दिल्ली में बकायदा बम-विस्फोट कराकर दहशत फैलाने के मंसूबे पर पानी फिर गया.

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा-आरएसएस ने देश में किस कदर जहर बोया इसका हजारों उदाहरण दिये जा सकते हैं. कन्हैया के जनगणमन यात्रा पर हर रोज संघियों के द्वारा किये गये पथराव और मुम्बई में एक कवि कार्यकर्र्ता बप्पादित्य सरकार को एक कैब चालक ने महज एनआरसी पर मोबाईल फोन पर बात करने के कारण पुलिस स्टेशन पहुंचा दिया. उस कैब चालक के दिमाग में किस कदर जहर बोया गया है कि इसका पता उसी के बात से चलता है जब वह पुलिस को कहता है कि, ‘ये देश जलाने की बात कर रहे हैं. बोल रहा है मैं कम्युनिस्ट हूं. हम देश को शहीनबाग बना देंगे.’ इतना ही नहीं उनके हाथ में डफली (संगीत के साथ बजाने वाला एक यंत्र) को बकायदा हथियार के तौर पर प्रस्तुत कर रहा था. संघी और भाजपा ने देश की जनता का क्या हाल बना दिया है, जहां उसे अपना हित और अहित तक नहीं दिखता ! इतना ही नहीं शाहीनबाग की महिलाओं के बीच में जिस कदर बुर्काधारी गुंजा कपूर घुसकर स्टिंग के नाम पर रिेकार्डिंग करने लगी, वह बेहद ही भयानक है. इससे भी ज्यादा यह भयावह है कि इस गुंजा शर्मा को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फाॅलो करते हैं.

दिल्ली की जनता को एक बार फिर यह तय करना ही होगा कि वह एक बार फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांगेस समेत तमाम डम्मी उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता दिखा दें ताकि उसका, उसके बच्चों का और उसकी बेटियों का भविष्य केजरीवाल के नेतृत्वाधीन आम आदमी पार्टी के हाथों में सुरक्षित रहे.

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