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शरजील इमाम : दिल्ली चुनाव की बैतरणी पार करने का मोदी-शाह का हथकण्डा

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शरजील इमाम : दिल्ली चुनाव की बैतरणी पार करने का मोदी-शाह का हथकण्डा

देश के जनता की तमाम जमा कमाई को चूसकर पिचका आम बना देने के बाद मोदी के लिए दिल्ली चुनाव में जीत हासिल करना बेहद जरूरी है, ताकि वह दिल्ली की जनता को भी चूस कर अपना और अपने उद्योगपति घरानों के पिचके पेट में डाल सके क्योंकि अब तो आरबीआई में भी चूसने लायक कुछ बचा नहीं है. यही कारण है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए मोदी-शाह ने जान लड़ा दिया है. झूठ के एक से बढ़कर एक शगूफे छोड़े जा रहे हैं. एक से बढ़कर एक हवाई ख्वाब दिखाया जा रहा है. पर उसके ये सारे झूठे शगूफे और हवाई ख्वाब पर दिल्ली की जनता केवल हंस रही है. ऐसे में उसने एक बार फिर जेएनयू को अपना टार्गेट बना लिया है और अब इसके सहारे चुनाव की बैतरणी पार करने का पुल बना रहा है क्योंकि मोदी-शाह के लिए शहीन बाग, पाकिस्तान भी अब कोई मदद नहीं कर रहा है, वाबजूद इसके की दलाल मीडिया ने भी शाहीन बाग के खिलाफ एक से बढ़कर एक दुश्प्रचार छेड़ रखा है.

जेएनयू के रिसर्च स्काॅलर शरजील इमाम के आधे-अधूरे भाषणों से अपना मनमाफिक अर्थ निकाल कर उसपर देशद्रोह का मुकदमा दायर कर गिरफ्तार कर लिया है, ठीक उसी तरह जैसे आज से 4 साल पहले जेएनयू के रिसर्च स्काॅलर कन्हैया कुमार और उसके दोस्तों के भाषणों को एडिट कर देशद्रोह का मुकदमा दायर कर गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था और अब हम सभी जानते हैं कि कन्हैया कुमार और उसके दोस्तों पर लगाये गये सारे आरोप फर्जी थे, पर इसके आड़ में भाजपा-आरएसएस का असली मंसूबा कामयाब हो गया और केन्द्र की सत्ता को दुबारा हथिया लिया. भाजपा एक बार फिर इसी एजेंडा को लागू करने का प्रयास शरजील इमाम के आड़ में कर रहा है.

शरजील इमाम के सोशल मीडिया पेज पर उसके भाषण से जुड़े मुद्दे को स्पष्ट करते हुए एक पोस्ट शेयर किया गया है. पाठकों के लिए उस पोस्ट को हम यहां अक्षरशः दे रहे हैं –

मोदी मीडीया को सुन कर ‘शरजील इमाम’ के बारे मे अपनी राय क़ायम करने से पहले आपको उनकी पूरी वीडियो सुनकर खुद भी चिंतन मंथन करनी चाहिए थी.

पूरी वीडियो से साफ पता चलता है कि उनका ‘कट’ करने से मुराद ‘चक्का जाम’ का है, जो कि वो 7 दिसंबर से लगातार हर वीडियो मं बोलते रहे हैं कि ‘सरकार हमारी बात नहीं सुन रही, हमें पुरे देश में चक्का जाम करने के लिए लोगों को जागरूक करना है.’ ‘जी न्यूज’ उनकी इसी वीडियो के आधार पर शाहीन बाग प्रोटेस्ट शुरू होने से पहले ही उनको आतंकवादी घोषित कर दिया था.

उसके बाद आर भारत ने स्टिंग की और हमारे कौम के मासूम लोग भी उनकी बातों में आ गए, ये सोचे बगैर के आखिर शरजील ने क्या कहा ? सिर्फ उसकी फोटो दिखाकर मनोवैज्ञानिक ढंग असरदार बनाने के लिए स्टिंग का नाम दे कर मोदी दल्ले एंकर ने अपनी बात रखी. अगर आप शरजील की बात सुनेंगे तो लगेगा कि उसने कुच्छ भी गलत या असंवैधानिक बातें नहीं की.

आप ये बात क्यों नहीं समझते कि ‘शाहीन बाग की औरतें 500 रुपया लेती है’ वाला झूठा न्यूज इसी मोदी मीडिया ने चलाया. खुद सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाकर, आग लगा कर प्रदर्शनकारियों पर इल्जाम लगाया. देश भर में प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा, मुनव्वर राणा की बेटी ने कौन-सा दंगा भड़काया था ? इनको किसी तरह से देश भर में हो रहे प्रोटेस्ट को रोकना है.

शाहीन बाग में पहले दिन पथ्थरबाजी होने बाद ये शरजील और आसिफ ही हैं, जो लोगों को शांतिपूर्वक चक्का जाम करने के लिए गाइड कर रहे थे. इन्होंने ना सिर्फ अपनी स्पीच से लोगों को मुतासिर किया, बल्कि 2 जनवरी तक मैनेजमेंट में भी पुरी जिम्मेदारी निभाई. मुझे तभी पुख्ता यकीन था कि इन लोगो पर मुकदमा होना तय है.

अगर मोदी मीडिया शरजील के पीछे लग गई है तो समझ लीजिए कि शरजील काबिल इंसान हैं, जो इस सरकार के नाक में दम करने की सलाहियत रखता है. अब इन को भी कन्हैया की तरह देशद्रोही और दीगर मुकदमा में फंसाया जायेगा.

शुरू से देखिए ना, जो भी इनके खिलाफ बोलता है देशद्रोही घोषित कर एनआईए / सीबीआई / पुलिस को पीछे लगा दिया जाता है. अब आप एक बात जहन में डाल लीजिये कि ये फासिस्ट गवर्नमेंट हर उस ‘काबिल इंसान’ को बदनाम कर मुकदमें करेगी जो आवाज उठा रहा है. आज शरजील है, कल आसिफ मुज्तबा फिर वसीम अकरम त्यागी. फिर आप भी होंगे अगर आप काबिल भी है और आवाज भी उठा रहे.

जेएनयू छात्र शरजील इमाम की गिरफ्तारी का जेएनयू के छात्र संगठन (JNUSU) ने विरोध किया है. जेएनयू स्टूडेंट यूनियन ने एक बयान जारी कर रहा है कि शरजील इमाम की गिरफ्तारी गलत तरीके से की गई है. बयान में कहा गया कि दिल्ली चुनाव में फायदा पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इशारों पर सब किया गया है. जेएनयू के छात्र संगठन की ओर से जारी प्रेस-ब्यान इस प्रकार है –

जेएनयू छात्र शाहजिल इमाम द्वारा 28-01-2020 को किये गये आत्मसमर्पण एवं तत्पश्चात हुई उसकी गिरफ्तारी पर जेएनयू एसयू का वक्तव्य

देशद्रोह व क्रूर काले कानून यूएपीए के अन्तर्गत पुलिस द्वारा की गई शरजिल इमाम की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि चुनाव के पहले सम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को अंजाम हेतु इस्लाम के भूत का भय दिखाना भाजपा सरकार एवं इसकी गोदी मीडिया की चिरपरिचित कार्य प्रणाली बन गई है. जेएनयूएसयू पहले ही शारजिल के बयानों और उसके राजनैतिक विचारों से गंभीर असहमति भी जाहिर कर चुकी है. पर इस मामले में दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन द्वारा दिखायी गई सक्रियता उनके ठेठ पाखण्ड और मामलों को मनमर्जी चुनकर हल करने की उनकी पद्धति को दिखाता है ताकि उनके खिलाफ हर विरोध को राष्ट्रविरोधी ठहराने के लिए युद्धोन्माद भड़काया जा सके. शरजिल और उसके परिवार के सदस्यों की तालाशी और गिरफ्तारी तथा दिल्ली चुनाव के इतने नजदीक मीडिया ट्रायल यह दिखाता है उसकी उसके वक्तव्यों को बार-बार दिखाना तथा उसकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है और इसके पीछे है सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक जनउभार को आपराधिक सिद्ध करने और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर चुनाव फायदा उठाने की मंशा. [JNUSU Statement on the Surrender and Subsequent Arrest of the JNU Student Sharjeel Imam, 28.1.20 The arrest of the Sharjeel Imam, JNU Student, under the draconian charges of Sedition and UAPA by the police shows that Islamophobic targeting and amnesia for the purposes of communal polarization before elections has become the defacto modus operandi of the BJP Government and its Godi Media. The JNUSU has already expressed its strong disagreement with his statements and political opinions but the alacrity shown by the Delhi Police and the JNU administration in this matter shows their brazen hypocrisy and selective approach to whip up a jingoistic fervour in order to brand all opposition to them as anti-national. This arrest and witch hunting of Sharjeel, his family members and through a media trial the entire Muslim community so close to elections in Delhi shows that the highlighting of his speech as well as the arrests are politically motivated actions with a view to criminalise the peaceful and democratic upsurge against the CAANRC-NPR and reap electoral dividends based on communal polarization.]

जानकारी के अनुसार शरजिल इमाम जदयू के एक विधायक का बेटा है. दिल्ली सेे उच्च शिक्षा हासिल करने वाला शरजिल इमाम आईआईटी मुम्बई से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद उसी काॅलेज में कुछ समय तक टीचिंग असिस्टेंट रहा है. कुछ समय तक उसने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में आईटी विश्वविद्यालय में प्रोग्रामर के रूप में काम किया. जैनिफर नेटवर्क कम्पनी में साॅफ्टवेयर इंजीनियर रहा है. इन दिनों वह जेएनयू में रिसर्च स्काॅलर है.

शरजिल इमाम के बहाने केन्द्र की मोदी-शाह दो निशाने एक साथ साधने की कोशिश करते साफ दीख रहे हैं. पहला तो यह कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की बैतरणी शरजिल इमाम के कंधे पर चढ़कर पार करना चाह रही है. दूसरा निशाना आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर है. बिहार की सत्ता पर काबिज नीतिश कुमार पर दबिश डालने हेतु उसकी पार्टी के टिकट से जहानाबाद विधानसभा से चुनाव लड़े पर वे राजद से महज चार हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे, के बेटे को निशाना बनाया गया है. लब्बोलुआब यह है कि मोदी-शाह द्वारा देश में ‘देशद्रोही-देशद्रोही’ और ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसा बहियात आरोप केवल चुनाव की बैतरणी पार करने की एक घृणित कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है.

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ROHIT SHARMA

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