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गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि : क्या मोदी जी को लोकतंत्र में यक़ीन है ?

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मोदी के नेतृत्व में देश विकास भले न करे, लेकिन वह नीचता का एक से बढ़कर एक कीर्तिमान कायम करते जा रहे हैं. पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी के आरोपी थे और इस साल बलात्कार के समर्थक है. इस साल गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो होंगे. यह एक ऐसा दुष्टता से भरा हुआ व्यक्ति है जो कई मायनों में एक सनकी तानाशाह है. ये भयंकर महिला विरोधी, होमोफोबिक और आदिवासी-किसान विरोधी है. इसने 2003 में एक महिला राजनेता पर चिल्लाते हुए कहा था कि ‘तुम इतनी कुरूप हो कि मैं तुम्हारे साथ बलात्कार भी करना पसंद नहीं करूंगा क्योंकि तुम इस लायक नहीं और तुम मेरे टाइप की नहीं हो. एक महिला पत्रकार को धमकाते हुये इसने उसे ‘वैश्या’ कहते हुये मैसेज किया और जीवन ऐसे बर्बाद करने की धमकी दी कि ‘वो अपने पैदा होने पर पछ्तायेगी.’ ये इतना बड़ा होमोफोबिक है कि एक सवाल के जवाब में इसने कहा था कि किसी पुरुष के साथ अपने बेटे को देखने से बेहतर होगा कि मेरा बेटा ही मर जाये और सड़क पर दो होमोसेक्सुअल देख लेगा तो पीट देगा. एफ्रो-ब्राजीलियन समुदाय को मिलने वाले आरक्षण (कोटा) का विरोध करते हुये इसने कहा अगर राष्ट्रपति बना तो कोटा खत्म नहीं कर सका लेकिन कम जरूर कर दूंगा. उसने ये भी बोला था कि उनकी दासता का कारण पोर्चुगीज नहीं बल्कि वो खुद हैं इसलिए अब उनको आरक्षण देने की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.

इस सनकी के ऊपर मिलिट्री में रहते हुये अपने ही एक आर्मी सेक्शन में बम लगाने का आरोप लग चुका है और इसके मानसिक तौर पर अस्थिर होने का भी आरोप लग चुका है. खुलेआम रेप करने की धमकी देने वाला, रेप का आरोप लगाने वाली महिला को “You don’t deserve to be raped by me because you are ugly slut” कहने वाला, रंगभेदी, नस्लभेदी, लिंगभेदी, होमोफोबिक, क्लाइमेट चेंज को अफवाह और अमेजन को दुनिया का फेफड़ा कहने को समाजवादियों का चोंचला कहने वाला, तानाशाही का समर्थक, गणतंत्र विरोधी जाइर बोलजोनारो दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बन कर दिल्ली पहुंच चुका है. व्यक्ति की पहचान उसके दोस्तों से होती है और शासक की पहचान उसके विभिन्न राजकीय दोस्तों से लगाई जाती है. देश की सत्ता पर आते ही मोदी सरकार ने दुनिया के उन तमाम सनकी, व्यभिचारी और आम लोगों के खून से सने हाथों वाले राजनेताओं से दोस्ती करना शुरू कर दिया था. मोदी सरकार भी ऐसे ही सनकी, भ्रष्ट, व्यभिचारी और देश के आम लोगों के खून से हाथ सने हुए हैं, इस बात में किंचिंत भी संदेह नहीं किया जा सकता. बहरहाल विद्वान गुरूचरण सिंह और सुनील कुमार के विचार अपने पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं.

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि : क्या मोदी जी को लोकतंत्र में यक़ीन है ?

1. लिखित संविधान के चलते भारत को दुनिया का पहला ऐसा देश होने का गर्व हासिल है जिसने अपनी आजादी के पहले ही दिन से अपने सभी नागरिकों को किसी भी तरह के भेदभाव के बिना वोट करने का अधिकार दे दिया था. अमरीका तो एक सदी के बाद ही ऐसा कर सका था. इतनी आसानी से मिल गए अधिकार की कीमत भी आम जन शायद इसीलिए कभी नहीं समझ पाया. एक साड़ी, एक दारू की बोतल, पांच सौ का करकराता नोट, धर्म, जाति के नाम पर बेच आते हैं लोग बाग अपना यह बेशकीमती अधिकार.

खैर, गणतंत्र दिवस समारोह में किसी राष्‍ट्राध्‍यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए जाने की परंपरा रही है. यह किसी भी देश के लिए सम्‍मान की बात और भारत के साथ बेहतरीन रिश्‍तों का वाचक भी है इसलिए इसके चयन में भी खास एतिहात बरतने की जरूरत होती है कि ऐसा अतिथि कहीं हमारी सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ आचरण करने वाला न हो.

भले ही ‘अतिथि देवो भव’ हमारी परंपरा हो, भले ही हम मेहमान को ‘जान से भी प्यारा’ मानते हों, इसके बावजूद क्या हम अपने घर में किसी ऐसे आदमी का स्वागत कर सकते हैं, जो खुलेआम महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करता हो, बच्चियों को कमज़ोर क्षणों की पैदाइश और महिलाओं को बलात्‍कार के योग्‍य या अयोग्‍य मानता हो ? जो पुलिस की यातना (थर्ड डिग्री) को एक ज़रूरी कार्रवाई कहता हो और आर्थिक सुधार की बजाए ‘गन तंत्र’ में यकीन रखता हो ?? फिर ऐसा ही कोई आदमी अगर आप के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बन जाए तो मेज़बान का लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास संदेह के घेरे में तो आ ही जाएगा. पिछले कुछ सालों से गणतंत्र की बजाए जिस तरह यह ‘गन तंत्र’ देश के राजनीतिक मंच पर उभरा है, उससे तो यही लगता है कि न तो संवैधानिक मूल्यों में हमारी कोई श्रद्धा रही है और न ही लोकलाज की परवाह.

गणतंत्र में जीत और संख्या बल आपको विरोधियों को निशाने पर लेने का अधिकार नहीं देता. चुने जाने तक विरोधियों पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन चुने जाने के बाद आप सब नागरिकों के अविभावक बन जाते हैं, सबकी कुशलक्षेम का आपको फिक्र करना होता है. यह सही है कि प्रत्येक कट्टर व्‍यक्ति का अपना एक जनाधार और आक्रामक किस्म के अनुयाई होते हैं, जो उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं. हिटलर के भी थे, मुसोलिनी के भी और इदी आमीन के भी; मोदी के भी हैं और जेयर एम. बोलसोनारो के भी जिन्हें इस बार इस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया गया है. कहीं कोई बहुत बड़ी चूक तो नहीं हो गई हमसे ? इस उत्‍सव का ख़ास मेहमान ऐसा कोई आदमी कैसे बनाया जा सकता है, जो ख़ुद ही ‘गन तंत्र’ का समर्थक हो ?

गणतंत्र दिवस के मुख्‍य अतिथि का चयन आसान नहीं होता, महीनों माथापच्‍ची होती है इस पर, तब जा कर उस देश के राष्ट्रध्यक्ष को चीफ गेस्‍ट के तौर पर दावत दी जाती है, जिसके साथ भारत या तो अपनी दोस्‍ती को और मजबूत करना चाहता है या फिर उसके साथ दोस्‍ती शुरू करना चाहता है. गुट निरपेक्ष आंदोलन के सूत्रधार मार्शल टीटो से लेकर, दक्षिणी अफ्रीका के अश्‍वेत आंदोलन के नायक नेल्सन मंडेला, महारानी एलिज़ाबेथ, रूस और चीन के राष्ट्रध्यक्ष, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इंडोनेशिया के सुक्रणो, मरिशस के प्रधानमंत्री राम गुलाम और आसियान देशों के प्रमुखों को मुख्य अतिथि बनाया जा चुका है इस समारोह का. पूरी तरह व्यापारिक दृष्टिकोण वाली हमारी सरकार का ब्राजील के राष्‍ट्रपति जेयर एम. बोलसोनारो को दावत देने का मकसद भी व्यापारिक संबंधों और मजबूत करना ही हो सकता है, भले ही इसके लिए लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ समझौता क्यों न करना पड़े !

देखा जाए तो एक तरह से भारत और ब्राजील दोनों के बीच एक तरह का भावनात्‍मक रूप से लगाव तो है ही. दोनों ही साम्राज्यवादी ताकतों के उपनिवेश रहे हैं इसलिए दोनों ही देश लोकतांत्रिक मूल्‍यों में विश्‍वास रखते हैं. दोनों ही देश अनेक बहुराष्‍ट्रीय संगठनों के सदस्‍य हैं. जहां तक सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान का सवाल है, ब्राजील को नारियल और आम के स्‍वाद से परिचय तो भारत ने ही करवाया है. भारत भी ब्राज़ील के संपर्क में आने से पहले तक काजू नाम की किसी चीज से अपरिचित था. 1868 में पहली बार ब्राजील को नेल्‍लोर मवेशी का जोड़ा भेजा गया था. मवेशियों की यही नेल्‍लोरी प्रजाति की आज ब्राजील के बीफ़ उद्योग में 80 फ़ीसदी हिस्‍सेदारी है. ब्राजील पुर्तगाल का उपनिवेश था और 1822 में स्‍वतंत्र हुआ. पुर्तगाल से गोवा की मुक्ति के लिए भारत के ऑपरेशन विजय का ब्राज़ील ने विरोध किया था, जिसके चलते दशकों तक ब्राजील और भारत के संबंधों पर बर्फ की चादर बिछी रही. फिलहाल काफी हद तक अच्छे व्यापारिक संबंध हैं, उसके साथ और इन्हें और प्रगाढ़ करने के लिए शायद यह फैसला किया गया है !

क्या मोदी जी को लोकतंत्र में यक़ीन है ? यह सवाल तो फिर भी हवा में तिरता ही रहेगा.

2. भारत के इस बरस के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो होंगे. आज जब देश भर में मोदी सरकार महिलाओं के आंदोलन झेल रही है, तब साल भर के इस सबसे बड़े राजकीय समारोह के मेहमान की पसंद हैरान करती है. ब्राजील की राजनीति में इस नेता को सबसे दकियानूसी दक्षिणपंथी, महिला विरोधी, समलैंगिकों का विरोधी, नस्लभेदी माना जाता है. इस नेता को दुनिया भर में एक घटिया इंसान माना जाता है, और उसे भारत ने गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य अतिथि बनाया है.

ब्राजील के इस नेता के बीते बरसों के बयान कैमरों पर दर्ज हैं, और अखबारी कतरनों में भी. बीस बरस पहले इसने ब्राजील की संसद को खत्म करके तानाशाही की वकालत की थी, और कहा था कि राष्ट्रपति सहित तीस हजार भ्रष्ट लोगों को गोली मार देनी चाहिए. उसके इस बयान पर वहां की संसद के नेताओं ने उसे संसद से निकालने की मांग भी की थी और राष्ट्रपति ने कहा था कि यह साफ है कि बोलसोनारो को लोकतंत्र छू भी नहीं गया है. इसके बाद टीवी कैमरों के सामने इसने एक साथी महिला सांसद के बारे में कहा- ‘मैं तुमसे बलात्कार भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि तुम उस लायक भी नहीं हो.’

बाद में बोलसोनारो ने संसद के भीतर भी इस बात को दुहराया जिस पर उसे चेतावनी भी दी गई और तीन हजार डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया. अपने पूरे राजनीतिक जीवन में बोलसोनारो समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ बयान देते आया हैं, जिसमें वह समलैंगिकों को पीटने की बात भी बोलते रहा, और कहा- ‘मैं अपने बेटे के समलैंगिक होने पर उसे भी प्यार नहीं कर सकूंगा, मैं चाहूंगा कि वह किसी एक्सीडेंट में मारा जाए.’

अपनी वामपंथ विरोधी विचारधारा के चलते उसने तानाशाही के दिनों में ब्राजील में वामपंथियों को टॉर्चर करने वाले लोगों को देश का नायक कहा, और उनकी तारीफ की. ब्राजील का यह नेता अफ्रीकी नस्ल के लोगों के बारे में अपमानजनक बातें कहने के लिए जाना जाता है और उसका बयान है- ‘ये लोग कुछ नहीं करते, ये लोग अपनी नस्ल भी आगे बढ़ाने के लायक नहीं हैं.’ इस बयान पर वहां की एक अदालत ने बोलसोनारो को अल्पसंख्यकों की बेइज्जती का दोषी पाया था, और उस पर पन्द्रह हजार डॉलर का जुर्माना लगाया था.

इस नेता के दिल में मानवाधिकारों के लिए कोई सम्मान नहीं है. उसने सार्वजनिक रूप से कहा है कि अपराधियों को गोली मारने वाले पुलिस अफसरों को ईनाम देना चाहिए. उसका बयान है- ‘वह पुलिस अफसर जो जान से मारता नहीं, वह पुलिस अफसर ही नहीं है. बोलसोनारो ने किसी गैर-फौजी को प्रतिरक्षा मंत्री बनाने का भी विरोध किया था. इंटरनेट ब्राजील के इस घोर दक्षिणपंथी नेता के हिंसक बयानों से भरा हुआ है.

अपने खुद के परिवार के बारे में इसका कहना था- ‘मेरे पांच बच्चे हैं, लेकिन चार बच्चों के बाद एक कमजोर क्षण पर पांचवें की नौबत आई, और वह लड़की निकली.’ ब्राजील में बाहर से आए और बसे लोगों के बारे में इसका बयान था कि ‘दुनिया भर की सबसे बुरी गंदगी ब्राजील आ रही है, जैसे कि हमारे पास अपनी खुद की समस्याएं कम हों.’

अब जब हिंदुस्तान गणतंत्र दिवस पर इस नेता का स्वागत करेगा, तो हिंदुस्तान के ये तमाम तबके, महिलाएं, दूसरे देशों से आकर बसे लोग, वामपंथी, अल्पसंख्यक, लड़कियां, समलैंगिक और ट्रांसजेंडर यह याद करेंगे कि उन्हें गालियां देने वाला इस देश का, इस बरस का सबसे बड़ा मेहमान बनाया गया है.

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ROHIT SHARMA

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