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नीलामी पर चढ़ा देश : देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों की नीलामी

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मोदी सरकार रलवे स्टेशनों को नीलामी पर चढ़ा कर देश की जनता के साथ गद्दारी कर रही है. वह देश की जनता की गाढ़ी कमाई को देश के चंद औद्यौगिक घरानों को लूटने की खुली छूट दे रही है. अब वह दिन दूर नहीं जब देश की शासन प्रणाली और सेना को भी निजी कम्पनियों के हाथों में खुलेआम बेच डाली जाये. बहरहाल हम वध होने वाले बकरे की तरह इस देश को तराजू पर रखकर नापे जाने का इन्तजार कर रहे हैं.

हमारे देश की सम्पदा को बेचने की पहली कड़ी के बतौर इसे देखा जा रहा है और अब यह बिकने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है. खरीददार भी आ रहे हैं और अपनी बोली भी लगा रहे हैं. इसकी पहली शुरूआत तो 1990 के बाद से ही निजीकरण के अंधानुकरण के दौरान शुरू हो चुका था, पर अब इसकी पूरी खेप सामने आ गई है. शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसे मूलभूत सुविधाओं को निजीकृत करने जैसी दुकानों ने देश को पहले ही अंधकूप में ढ़केल दिया है और अनपढ़ों, बेरोजगारों और बीमारों की एक लम्बी पैदावार खड़ी कर दी है. अब इस कड़ी में देश में सबसे ज्यादा आमदनी देने वाली सरकारी संस्थान रेलवे को दांव पर लगा दिया है.

देश के यातायात का सबसे भरोसेमंद और विकसित साधन रेलवे, जिसके विकास के लिए अलग से एक मंत्रालय बनाया गया था और उसका भारत के आम बजट से अलग बजट बनता है, को भारत सरकार ने नीलामी पर चढ़ा दिया है. फिलहाल देश के 23 विशाल और जाने-माने रेलवे स्टेशन पर नीलामी की बोली लग चुकी है और कुछ तो बजाप्ता बिक भी चुकी है. लोकमान्य तिलक, हावड़ा, कानपूर सेन्ट्रल, कमाख्या जैसे लोकप्रिय और भारी आय देने वाले रेलवे स्टेशन नीलामी की बोली पर चढ़ चुके हैं और निलामी की लिए पूरी तरह तैयार है. आईये देखते हैं किस स्टेशन को भारत की मोदी सरकार किन भावों में बेच रही है:

क्रम संख्या – डिविजन – स्टेशन का नाम – मूल्य (रूपये में) – टेंडर की तिथि

1. सेन्ट्रल – मुम्बई – लोकमान्य तिलक – 250 करोड़ -12.06.17
2.               ठाणे – 200 करोड – 12.06.17
3.               पुणे – पुणे – 200 करोड़ – 12.06.17
4. ईस्ट कोस्ट – वाल्टेयर-  विसाखापत्तनम – 200 करोड़ – 24.05.17
5. ईस्टर्न – हावड़ा – हावड़ा – 400 करोड़ – 23.05.17
6. नोर्थ सेन्ट्रल – इलाहाबाद – इलाहाबाद – 150 करोड़ – 30.06.17
7.                       कानपुर सेन्ट्रल – 200 करोड़ – 30.06.17
8. नोर्थ वेस्टर्न – अजमेर – उदयपुर सिटी – 100 करोड़ – 11.05.17
9. नोर्थ ईस्ट फ्रटिंयर – लुम्बडिंग – कामाख्या – 228 करोड़ – 24.05.17
10. नोदर्न – फिरोजपुर – जम्मूतवी – 75 करोड़ – 17.05.17
11.              दिल्ली – फरीदाबाद  – 70 करोड़ – 17.05.17
12. साउथ सेन्ट्रल – विजयवाड़ा – विजयवाड़ा – 94 करोड़ – 24.05.17
13.                          सिकंदराबाद – 282 करोड़ – 24.05.17
14. साउथ ईस्टर्न–  रांची – रांची – 100 करोड़ – 25.05.17
15. साउथ वेस्टर्न – बैंगलोर – बैंगलोर केंट – 80 करोड़ – 01.06.17
16.                         यशवंत नगर – 100 करोड़ – 01.06.17
17. साउदर्न – चेन्नई – चेन्नई सेन्ट्रल – 350 करोड़ – 22.05.17
18.                पालघाट – कालीकट – 75 करोड़ – 22.05.17
19. वेस्ट सेन्ट्रल – भोपाल – भोपाल – 75 करोड़ – 18.05.17
20. वेस्टर्न – रतलाम – इंदौर – 75 करोड़ – 18.05.17
21.                मुम्बई सेन्ट्रल – मुम्बई सेन्ट्रल टर्मिनस – 250 करोड़ 06.06.17
22.                बांद्रा टर्मिनस – 200 करोड़ – 06.06.17
23.                वोरिवाली – 280 करोड़ – 06.06.17

उपरोक्त रेलवे स्टेशन अपने विभिन्न तिथियों के अनुसार या तो निलाम हो चुकी है या होने वाली है. उपरोक्त रेलवे स्टेशनों को 45 साल के लिए बेचा जा रहा है जिसका तमाम रखरखाव और कर्मचारियों की नियुक्ति आदि का मामला नीलामी में खरीदने वाली कम्पनी की मिल्कियत होगी. सरकार के पास केवल रेल संचालन, पार्सल, टिकट बेचना, सिंगनल, यात्री और समानों की आवाजाही, ओवर हेड ट्रैक्शन, रेल ट्रैक और सूचना संचार की व्यवस्था ही होगी. शेष तमाम कार्यकलाप यहां तक की रेलवे के तमाम कर्मचारियों की गतिविधि भी खरीदने वाली कम्पनी के हाथों में होगी. वह कम्पनी रेलवे के जमीनों का व्यापारिक उपयोग भी कर सकेगा और अपने कमाई का जरिया भी बढ़ा सकेगा.

निजी कम्पनियों के हाथों में बेची जा रही हमारी धरोहर रेलवे इस देश के अंधकारपूर्ण युग का शुभारम्भ है जो देश की जनता को खुलेआम लूटने-खसोटने की परम्परा को कानूनी वैधता प्रदान करेगी.

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ROHIT SHARMA

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2 Comments

  1. S. Chatterjee

    June 13, 2017 at 10:30 am

    A revolt against this government is imperative. Those who are still in different to the sordid proceedings and shameless pursuance of crony capitalism by the Modi government will be answerable to posterity. Railway men’s Union should come openly against this bizarre decision.

    Reply

  2. Masihuddin Sanjari

    June 13, 2017 at 7:52 pm

    रेलवे स्टेशनों को बेचने का सरकार का फैसला स्तब्ध कर देने वाला है। इससे अधिक आश्चर्य देश में इस बिक्री पर खामोशी से होता है। निजीकरण अपने खतरनाक युग में प्रवेश कर चुका है।

    Reply

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