Home ब्लॉग रोहित वेमुला का आख़िरी पत्र : ‘मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था’

रोहित वेमुला का आख़िरी पत्र : ‘मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था’

2 second read
0
0
1,518

रोहित वेमुला का आख़िरी पत्र : 'मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था'

26 वर्षीय दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी, 2016 को हैदराबाद युनिवर्सिटी के होस्टल के एक कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी. अपनी जान देने के पहले रोहित वेमुला ने एक पत्र लिखा था, जो उनका अंतिम पत्र था. उनका यह अंतिम पत्र बताता है कि आप एक बेहतर नागरिक और मनुष्य बनेंगे. सत्ता आपके जाने और अनजाने में जातिगत पूर्वाग्रहों और नफरतों से कैसे हवा में जहर फैलता है और कोई उसका शिकार हो जाता है. उनका यह पत्र बताता है कि उन चीजों से अभी लड़ना है जिन पर संस्कार नाम का पर्दा डाल दिया गया है.

रोहित वेमुला की आत्महत्या संस्थानिक हत्या थी. रोहित वेमुला गरीब दलित परिवार से संबंधित थे. वह स्कॉलरशिप के सहारे अपनी पढ़ाई जारी रख पा रहे थे क्योंकि घर के हालात ऐसे नहीं थे कि उनके पढ़ाई का खर्च उठा पाते. जुलाई 2015 से ही हैदराबाद यूनिवर्सिटी ने रोहित वेमुला के मासिक स्कॉलरशिप का भुगतान बंद कर दिया, जिसके खिलाफ रोहित वेमुला और उनके साथी अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के बैनर तले विरोध किये. वजाय इनकी आधारभूत समस्या को हल करने के 5 अगस्त, 2015 को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रोहित वेमुला और उनके 4 अन्य साथियों के खिलाफ ही फर्जी आरोप लगाकर जांच बिठा दिया कि उन्होंने एबीवीपी के नेता एन. सुशील कुमार पर हमला किया था. 17 अगस्त को भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को रोहित वेमुला और उनके साथियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा.

दत्तात्रेय ने इस पत्र में कहा था कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी जातिवादी, उग्रवादी और राष्ट्र विरोधी राजनीति का अड्डा बन गया है. इस पत्र के बाद सितंबर महीने में रोहित वेमुला और उनके 4 अन्य साथियों को निलंबित कर दिया गया. इस निलंबन की पुष्टि के बाद 17 जनवरी, 2016 को रोहित वेमुला ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में आत्महत्या कर ली.

उनकी मौत के बाद से हैदराबाद यूनिवर्सिटी से शुरू हुए प्रदर्शन समूचे देश में फैल गया. रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या से शुरू हुआ देशव्यापी आंदोलन आज देश की हर समस्याओं के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई बन गई है.

रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के ही दिन उनकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें वेमुला अपने हाथ में बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर की एक बड़ी तस्वीर पकड़े हुए हैं. यह तस्वीर तब की है जब हैदराबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रोहित वेमुला और उनके साथियों को हॉस्टल से निकाल दिया था और रोहित वेमुला अपने सामान और साथियों समेत बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर लेकर चल रहे थे.

रोहित वेमुला द्वारा अंग्रेजी में लिखे गये इस पत्र का हिंदी अनुवाद यहां प्रस्तुत है –

गुड मॉर्निंग,

आप जब ये पत्र पढ़ रहे होंगे तब मैं नहीं होऊंगा. मुझ पर नाराज़ मत होना. मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों को मेरी परवाह थी, आप लोग मुझसे प्यार करते थे और आपने मेरा बहुत ख्याल भी रखा. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. मुझे हमेशा से ख़ुद से ही समस्या रही है. मैं अपनी आत्मा और अपनी देह के बीच की खाई को बढ़ता हुआ महसूस करता रहा हूं. मैं एक दानव बन गया हूं.

मैं हमेशा एक लेखक बनना चाहता था. विज्ञान पर लिखने वाला, कार्ल सगान की तरह. लेकिन अंत में मैं सिर्फ़ ये पत्र लिख पा रहा हूं.

मुझे विज्ञान से प्यार था, सितारों से प्यार था, प्रकृति से प्यार था लेकिन मैंने लोगों से प्यार किया और ये नहीं जान पाया कि वो कब के प्रकृति को तलाक़ दे चुके हैं. हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हो गई हैं. हमारा प्रेम बनावटी है. हमारी मान्यताएं झूठी हैं. हमारी मौलिकता वैध है, बस कृत्रिम कला के ज़रिए. यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और दु:खी न हों.

एक आदमी की क़ीमत उसकी तात्कालिक पहचान और नज़दीकी संभावना तक सीमित कर दी गई है. एक वोट तक. आदमी एक आंकड़ा बन कर रह गया है. एक वस्तु मात्र. कभी भी एक आदमी को उसके दिमाग़ से नहीं आंका गया. एक ऐसी चीज़ जो स्टारडस्ट से बनी थी. हर क्षेत्र में, अध्ययन में, गलियों में, राजनीति में, मरने में और जीने में.

मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं. पहली बार मैं आख़िरी पत्र लिख रहा हूं. मुझे माफ़ करना अगर इसका कोई मतलब न निकले तो. हो सकता है कि मैं ग़लत हूं अब तक दुनिया को समझने में. प्रेम, दर्द, जीवन और मृत्यु को समझने में. ऐसी कोई हड़बड़ी भी नहीं थी. लेकिन मैं हमेशा जल्दी में था. बेचैन था एक जीवन शुरू करने के लिए.

इस पूरे समय में मेरे जैसे लोगों के लिए जीवन अभिशाप ही रहा. मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था. मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं पाया. बचपन में मुझे किसी का प्यार नहीं मिला. इस क्षण मैं आहत नहीं हूं. मैं दु:खी नहीं हूं. मैं बस ख़ाली हूं. मुझे अपनी भी चिंता नहीं है. ये दयनीय है और यही कारण है कि मैं ऐसा कर रहा हूं. लोग मुझे कायर क़रार देंगे. स्वार्थी भी, मूर्ख भी. जब मैं चला जाऊंगा. मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता लोग मुझे क्या कहेंगे. मैं मरने के बाद की कहानियों भूत-प्रेत में यक़ीन नहीं करता. अगर किसी चीज़ पर मेरा यक़ीन है तो वो ये कि मैं सितारों तक यात्रा कर पाऊंगा और जान पाऊंगा कि दूसरी दुनिया कैसी है.

आप जो मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर कुछ कर सकते हैं तो मुझे अपनी सात महीने की फ़ेलोशिप मिलनी बाक़ी है. एक लाख 75 हज़ार रुपए. कृपया ये सुनिश्चित कर दें कि ये पैसा मेरे परिवार को मिल जाए. मुझे रामजी को 40 हज़ार रुपए देने थे. उन्होंने कभी पैसे वापस नहीं मांगे. लेकिन प्लीज़ फ़ेलोशिप के पैसे से रामजी को पैसे दे दें.

मैं चाहूंगा कि मेरी शवयात्रा शांति से और चुपचाप हो. लोग ऐसा व्यवहार करें कि मैं आया था और चला गया. मेरे लिए आंसू न बहाए जाएं. आप जान जाएं कि मैं मर कर ख़ुश हूं जीने से अधिक. ‘छाया से सितारों तक’

उमा अन्ना, ये काम आपके कमरे में करने के लिए माफ़ी चाहता हूं. आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन परिवार, आप सब को निराश करने के लिए माफ़ी. आप सबने मुझे बहुत प्यार किया. सबको भविष्य के लिए शुभकामना.

आख़िरी बार, जय भीम.

मैं औपचारिकताएं लिखना भूल गया. ख़ुद को मारने के मेरे इस कृत्य के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. किसी ने मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया नहीं, न तो अपने कृत्य से और न ही अपने शब्दों से. ये मेरा फ़ैसला है और मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूं. मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए.

Read Also –

आपको क्या लगता है कि द्रोणाचार्य सिर्फ कहानियों में था ?
छात्रों पर हमला : पढ़ाई करने और पढ़ाई न करने देने वालों के बीच
हिन्दू-मुस्लिम एकता के जबर्दस्त हिमायती अमर शहीद अशफाक और बिस्मिल का देशवासियों के नाम अंतिम संदेश

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…