हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
कल मैं कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस देख रहा था, जो जेएनयू पर एबीवीपी के गुंडों के हमले के खिलाफ की गई थी. इस प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करने के लिए पी. चिदंबरम को कांग्रेस ने आगे किया था. क्या कांग्रेस आत्महत्या के मूड में है ?
चिदंबरम वह व्यक्ति है जिसने गृहमंत्री रहते हुए निर्दोष मुसलमानों को जेलों में डाला. लियाकत का मामला आपको याद होगा, जिसके कमरे में दिल्ली पुलिस ने खुद ले जाकर एके-47 रखी थी. इंडियन मुजाहिदीन नाम के काल्पनिक संगठन की स्थापना चिदंबरम के होम मिनिस्टर रहते हुए होम मिनिस्ट्री के भीतर की गई थी.
हमारे यूपी के साथी शाहनवाज आलम को याद होगा कि आजमगढ़ के सरायमीर स्टेशन को उड़ाने की एक चिट्ठी होम मिनिस्ट्री ने प्रकाशित की थी लेकिन सरायमीर स्टेशन वालों को यह पता ही नहीं था कि उनको कोई ऐसी धमकी भी मिली है.
मुसलमानों के खिलाफ पूरा माहौल क्रिएट करना, सरकारी खुफिया एजेंसियों तथा सुरक्षा एजेंसियों का इस्तेमाल एक्टिविस्ट के खिलाफ करना, यह सब चिदंबरम की कार्यशैली थी लेकिन कांग्रेस को अब एक बहुत बड़ी भूमिका के लिए तैयार होना होगा. चिदंबरम जैसे पूंंजीपतियों के दलाल अब कांग्रेस को सत्ता में दोबारा वापस नहीं ला सकते. जनता इन्हें अच्छी तरह पहचानती है.
राहुल और प्रियंका ईमानदारी से बहुत मेहनत कर रहे हैं संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए. लेकिन कांग्रेस के यह घाघ और बेईमान नेता कांग्रेस को जीतने नहीं देंगे. यह कांग्रेस की हार का कारण बनेंगे. कांग्रेस को अब आउट ऑफ दी बॉक्स सोचना चाहिये.
देश में जो भी लोकतांत्रिक प्रगतिशील लोग हैं, कांग्रेस को जाकर उन लोगों से खुद मिलना चाहिए. कांग्रेस को इन लोगों को साथ लेकर लोकतंत्र संविधान और धर्मनिरपेक्षता को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. कांग्रेस अगर ऐसा करती है तो एक नई कांग्रेस का जन्म होगा. कांग्रेस पर अतीत के बहुत सारे अपराधों का बोझ है.
कांग्रेस को इन पुराने अपराधी नेताओं को पीछे करके नए नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने की गुजारिश करनी चाहिए. भंवर मेघवंशी, एसआर दारापुरी जैसे दलित नेताओं को शामिल करना चाहिए. सोनी सोरी, दयामनी बारला जैसी आदिवासी महिलाओं को कांग्रेस में शामिल करना चाहिए.
योगेंद्र यादव, कन्हैया कुमार और प्रशांत भूषण जैसे लोगों से गुजारिश करनी चाहिए कि वे आए और कांग्रेस को मार्गदर्शन दें. यह वक्त पुरानी लड़ाइयां को याद रखने का नहीं है. यह देश को बचाने का वक्त है. इंसानियत, लोकतंत्र, संविधान को बचाने का वक्त है. कांग्रेस को प्रगतिशील पत्रकारों, सोशल एक्टिविस्ट के लिए अपने दरवाजे खोल देने चाहिए.
उमर खालिद नदीम खान और सदफ जफर जैसे लोगों को कांग्रेस इस बार सारे देश में धर्मनिरपेक्षता के लिए माहौल पैदा कर दें, ऐसी जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए. आज राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से मिलने के लिए उनके प्राइवेट सेक्रेटरीओं से अपॉइंटमेंट लेने पड़ रहे हैं और वह मिल नहीं रहे हैं. इन प्राइवेट सेक्रेटरीओं को एक तरफ कीजिए.
राहुल और प्रियंका को खुद इन सारे लोगों से जाकर के मिलना चाहिए. इन सब को बुलाकर इनसे बात करके प्रार्थना करनी चाहिए कि वह आए और इस देश को, संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए इस मुहिम में एक साथ आकर काम करें. यही वक्त की मांग है.
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