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आप टेंशन मत लीजिए, जब तक आपके खुद की ‘सरकारी हत्या’ नहीं होती

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आप टेंशन मत लीजिए, जब तक आपके खुद की 'सरकारी हत्या' नहीं होती

सबसे मजेदार चीज और सुनिए. सभी राज्यों की पुलिस, सेना, अर्धसैनिक, इस देश में होने वाले अपराधों के लिए, सुरक्षा के लिए, किसे रिपोर्ट करती है ? गृह मंत्रालय को, यानी कि तड़ीपार अमित शाह को ! जो खुद एक क्रिमिनल है, जिस पर खुद दर्जनों हत्याओं और अपहरणों के केस चल रहे हैं.

एक बार दिमाग पर जोर डालकर याद कीजिए कि आपने आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी को ‘छात्रों’ के मुद्दे, ‘फीस-हॉस्टल’ के मुद्दे उठाते हुए आखिरी बार कब देखा था ? आपको याद नहीं आएगा, क्योंकि ये स्टूडेंट्स यूनिट है ही नहीं. ये आपकी यूनिवर्सिटियों, क्लासों और कॉलेजों में आरएसएस की निजी आर्मी है. कैसे पिछले 6 सालों से एबीवीपी सरकार के एजेंट, सरकार की ढाल और सरकार के दलालों की तरह काम कर रही है, वह इन वाकयों से समझ लीजिए.

1.IIMC में हम कुछ आम छात्र हॉस्टल की मांग को लेकर धरना दे रहे थे, एबीवीपी और आरएसएस के 4 छात्र एडमिनिस्ट्रेशन ने हमारे ही खिलाफ बिठा दिए. मतलब धरने के खिलाफ धरना. जिसे बाहर मीडिया ने छापा कि ये दो छात्र गुटों का आपस का मामला है, जबकि हमारे बीच कभी कोई लड़ाई नहीं हुई थी. हमारी मांगें हॉस्टल, और लाइब्रेरी की टाइमिंग थी, उनकी मांग ये थी कि हम हॉस्टल की मांग करना बंद कर दें, क्योंकि इससे हमारे संस्थान का नाम खराब होता है, और प्लेसमेंट पर प्रभाव पड़ता है. सोचिए ये लोग कितने धूर्त लोग हैं. बाहर संदेश गया कि दो गुटों का मामला है, जबकि मामला बिल्कुल भी दो गुटों का नहीं था, छात्रों और प्रशासन के बीच था लेकिन प्रशासन और सरकार के दलाल संगठन ने वहां भी सरकार की ढाल का काम किया.

2. दो साल पहले एसएससी एग्जाम में पेपर लीक की खबरें आईं. हजारों आम छात्र एसएससी हेडक्वार्टर के सामने एसएससी एग्जाम में हुई गड़बड़ी की जांच करने के लिए धरना दे रहे थे, उनकी कोई पार्टी नहीं थी, उनका कोई संगठन नहीं था. एबीवीपी के गुंडे उस आंदोलन में घुस गए, कौन कौन मीडिया पर बाइट दे रहा है, क्या क्या बाइट दे रहा है, कौन से नारे लग रहे हैं, सब पर डीयू एबीवीपी ने कब्जा कर लिया, एसएससी के चेयरमैन से मुलाकात करके एबीवीपी के कुछ नेताओं ने प्रेस रिलीज जारी कर दी कि छात्रों की मांग मान ली गई हैं और छात्रों ने धरना भी तोड़ दिया है.

जबकि असल में न तो धरना तोड़ा गया था, न ही मांगे मानी गईं थीं, मीडिया में एबीवीपी की प्रेस रिलीज चला दी गई, सरकार की वाहवाही करवा दी गई, अंत में बीस दिनों तक सड़क पर धरना देने वाले आम छात्र अपने-अपने गांव-शहर लौट गए. एबीवीपी इतना जाहिल संगठन है. बीसों दिन इन तक इन लोगों ने वह आंदोलन कैप्चर करके रखा कि कोई भी सरकार के खिलाफ नारे न लगा दे, वहां भी एबीवीपी और मोदी मीडिया की मिलीभगत ने प्रचार कर दिया कि दो गुट बन गए हैं. वहां भी मुद्दा छात्र बनाम सरकार की जगह, छात्र बनाम छात्र की मीडिया में परोसा गया. एबीवीपी इस बार भी सरकार की ढाल बन गई.

3. पिछले पचास-साठ दिनों से जेनएयू के आम छात्र बढ़ी हुई फीस के विरुद्ध शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे, लेकिन एबीवीपी उस प्रोटेस्ट को खत्म कराने पर आमादा हो रखी थी. आज स्थिति ये है कि जेनएयू के मेन गेट पर एक भीड़ अंदर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों को घेरे हुए है, आम छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ है, एबीवीपी और आरएसएस के संगठन इन छात्रों के खिलाफ हैं, यहां भी मामला छात्र बनाम सरकार था, लेकिन एबीवीपी के एजेंटों के थ्रू ऐसे दिखाया जा रहा है कि दो गुटों के आपस का मामला है.

आप इसे समझ सकें तो समझ लीजिए बाकी कहने सुनने का स्पेस अधिक बचा नहीं है, इस पैटर्न को समझिए बस –

1. उन्नाव में रेप किसने किया भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर ने, एफआईआर किस पर चढ़ाई गई ? रेप पीड़ित बच्ची पर, अंत में उसके परिवार पर ट्रक चढ़वा दिया सो अलग.

2. बलात्कार किसने किया ? बीजेपी के मंत्री ‘स्वामी चिन्मयानंद’ ने, एफआईआर किस  पर दर्ज हुई ? पीड़ित बच्ची पर.

3. भीमा कोरेगांव में हिंसा किसने फैलाई ? मोदी जी के गुरु सम्भाजी भिड़े ने, एफआईआर किस पर हुई ? पिटने वाले प्रोफेसरों, लेखकों और ऑर्गेनाइजरों पर.

4. छत्तीसगढ़ में आदिवासी सौनी सोरी के चेहरे पर तेजाब किसने फिंकवाया ? डीएसपी कल्लूरी ने, एफआईआर किस पर चढ़ाई गई ? पीड़ित सौनी सोरी पर (कल्लूरी का क्या हुआ ? कल्लूरी का प्रमोशन हुआ).

5. अखलाक की हत्या किसने की? बीजेपी विधायक संगीत सोम समर्थक भीड़ ने, एफआईआर किस पर दर्ज हुई ? मृतक अखलाक के परिवार पर.

6. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 100 से अधिक बच्चों की मौत हुई, जिम्मेदारी आनी थी योगी पर, लेकिन एफआईआर किसके नाम चढ़ा दी गई ? डॉ कफ़ील पर. उस इंसान पर जो वहां बच्चों को बचाने के लिए दौड़-धूप कर रहा था. डा. कफील पर ही एफआईआर क्यों चढ़वाई ? क्योंकि उस बेचारे के नाम में ही मुसलमान था, और योगी का नाम उस केस में से कैसे भी करके निकालना था.

6. इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को गोली किसने मारी ? भाजपा समर्थकों ने ? माला पहनाकर स्वागत किसका किया गया ? सुबोध के हत्यारों का.

7. जेएनयू प्रेजिडेंट आयशा घोसि के सर पर रॉड किसने मारी ? डीयू से बुलाए गए एबीवीपी के नकाबपोश गुंडों ने, एफआईआर किसपर दर्ज हुई? पीड़ित पर, जो खुद मरने से जैसे-तैसे बची है.

8. योगी ने मुख्यमंत्री बनते ही स्व जांच करके खुद के ऊपर की सारी एफआईआर हटा लीं, कुछ दिन पहले मोदी जी को गुजरात दंगों के लिए क्लीन चिट मिल ही चुकी है, अमित शाह के केस में जज ‘जस्टिस लोया’ का क्या हुआ सबको मालूम है ही.

8. अंत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एक बात ‘इस सरकार में मंत्रियों के इस्तीफे नहीं होते, ये एनडीए है, यूपीए नहीं’ मतलब आप कितने भी कांड कर दीजिए, कोई एफआईआर नहीं होनी, कोई जांच नहीं होनी, कोई इस्तीफे नहीं होने.

और सबसे मजेदार चीज और सुनिए. सभी राज्यों की पुलिस, सेना, अर्धसैनिक, इस देश में होने वाले अपराधों के लिए, सुरक्षा के लिए, किसे रिपोर्ट करती है ? गृह मंत्रालय को, यानी कि तड़ीपार अमित शाह को ! जो खुद एक क्रिमिनल है, जिस पर खुद दर्जनों हत्याओं और अपहरणों के केस चल रहे हैं.

लेकिन आप टेंशन मत लीजिए, जब तक आपके खुद के किसी दोस्त, भाई, प्रेमिका, रिश्तेदार की ‘सरकारी हत्या’ नहीं होती, तब तक आप व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग भेजते रहिए.

  • श्याम मीरा सिंह

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