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तय कर लो कि तुम किधर हो ? क्योंकि कोई भी तटस्थ नहीं होता

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देश भर में दो तरह की राजनीतिक धाराओं के बीच आम आदमी का भविष्य पतन और उत्थान की ओर उन्मुख है. पहली राजनीतिक धारा चोरों और भ्रष्टों के सहारे देश को लूटने-खसोटने वाले दलों की है, जो अंबानी-अदानी की चरणों में बिछे हुए हैं. जो अभी तक नहीं बिछ पायें हैं वे अपनी बारी लौटने का इन्तजार कर रहे हैं ताकि वह पहले वाले से ज्यादा दलाली कमा कर देश को लूट खसोट सके. इसमें देश के तमाम जाने-माने राजनीतिक दलें शामिल हैं, चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस या अन्य राज्यस्तरीय राजनीतिक दलें. कांग्रेस अपनी दलाली में थोड़ी कमी क्या आने दी काॅरपोरेट घरानों ने तो तख्ता ही पलट दिया और पहले से अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों की चाकरी का इन्तजार कर रहे भाजपा ने मोदी के नेतृत्व में अंबानी के आशीर्वाद से सत्ता हासिल कर लिया. अब वह कांग्रेस जैसी गलती नहीं दोहराना चाहती इसलिए पूरी ताकत और निर्लज्जता के साथ अंबानी-अदानी की सेवा में लगा हुआ है. यहां तक कि अंबानी की कंपनी का प्रचार स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों के साथ किया जाता है.

इसके अलावे भाजपा देश के अन्य राज्यों की तमाम विपक्षी कहें जाने वाली पार्टियां जो अंबानी के चरणों में झुकने और आशीर्वाद पाने के इंतजार में कतार में मारामारी कर रहे हैं, उसे दूर हटाने के लिए मोदी दिन-रात काम रही है. उसके विधायकों को लालच देकर, डरा-धमकाकर, मुख्य धारा की काॅरपोरेट मीडिया, सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग, पुलिस विभाग, चुनाव आयोग, एसीबी, राज्यपाल-उपराज्यपाल आदि जैसे संस्थाओं का बेहतरीन इस्तेमाल कर रही है और मौका पाते ही उस पार्टी की सरकार को हटा कर अपनी सरकार बना रही है.

भाजपा के मोदी सरकार के पास इसके अलावे एक और काम है और वह है दुनिया भर में घूम-घूमकर अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों के खजानों को भरना और देश में चल रहे अन्य सरकारी लोकसंस्था को उसके हवाले कर दलाली खाना और अपने साथ के टुच्चों को हड्डी चूसने के लिए कुछ छोड़ देना. रेलवे जैसे जनोपयोगी सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है. ताजा आंकड़ों के अनुसार 23 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में बेच दिया गया है. उद्योगों-कलकारखानों को निजी हाथों में बंधक रखा जा रहा है. जो तैयार नहीं उन्हें बदनाम किया जा रहा है और उसे बन्द किया जा रहा है. उसमें कार्यरत् लोग बेरोजगार हो रहे हैं.

पिछले तीन साल से चली आ रही इस आपाधापी के कारण देश के जनता की कमर टुट गई है. मोदी के द्वारा दिये जा रहे झूठे भ्रम का बादल तेजी से छंट रहा है. नोटबंदी जैसे महाघोटाले के कारण देश की जीडीपी घट गई है. देश की अर्थव्यवस्था रसातल पहुंच गई है. रोजगार प्राप्त लोग भी बेरोजगार हो रहे हैं. किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था खत्म हो रही है. लोगों ने सवाल पूछने शुरू कर दिये हैं. जनता ने अवाज उठानी शुरू कर दी है. किसानों आत्महत्या का रास्ता छोड़ अब आन्दोलन का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं. ऐसे में मोदी सरकार ने सरकारी दमन का सहारा लेकर किसानों की हत्या करने का रास्ता दिखा दिया है.

इसी वक्त जब देश में मोदी सरकार देश की जनता के खिलाफ जंग छेड़ दी है, एक दूसरी राजनीतिक धारा ने जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस राजनीतिक धारा का प्रतिनिधित्व करता है अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी. आज आम आदमी पार्टी देश की तमाम उत्पीड़ित, गरीब, शोषित-दमित, किसान-मजदूर, युवाओं, दलित, आदिवासियों के हितों का प्रतिनिधित्व कर रही है. वह हर दिन जहां अंबानी-अदानी के काॅरपोरेट घरानों से नित टकरा रहा है, वहीं अंबानी-अदानी के प्रतिनिधि भाजपा की सरकार जो हर दिन आम आदमी का खून चूसने पर आमदा है, आम आदमी की प्रतिनिधित्व करने वाली आम आदमी पार्टी को मिटाने पर तुली हुई है. नित नये फर्जी-मनगढंत आरोप लगा रही है.

नौनिहालोंं की दुुुर्दशा

ऐसे में देश की आम जनता और बुद्धिजीवी को यह तय कर लेना होगा कि वह किस ओर हैं. आप या तो आम अंबानी-अदानी जैसे आदमखोर के साथ हैं या फिर देश की उत्पीड़ित, गरीब, शोषित-दमित, किसान-मजदूर, युवाओं, दलित, आदिवासियों के साथ. तय कर लो तुम किधर हो ? बीच का कोई रास्ता नहीं होता. कोई भी तटस्थ नहीं होता.

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