हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
फोटो में जो आदिवासी महिलायें दिखाई दे रही हैं गोद में छोटे-छोटे बच्चों को लेकर, ये मातायें इस भीषण सर्दी में खुले मैदान में 4 दिनों से पड़ी हुई हैंं.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की यह वह मातायें हैं, जिनके बच्चों के पिता अथवा किसी माता के बेटे को पुलिस नक्सलवादी कहकर घरों से और खेतों से पकड़ कर ले गई है.
दूसरी फोटो में दिख रहे इन आदिवासियों को पुलिस ने 26 तारीख को घर से उठाया था. कानून कहता है कि 24 घंटे के अंदर पकड़े गए व्यक्ति को अदालत में पेश किया जाना चाहिए. यह महिलाएं 4 दिन से अपने परिवार के सदस्यों को ढूंढ रही है.
आज जब सोनी सोरी को पता चला तब उन्होंने स्थानीय पत्रकारों को सूचित किया. स्थानीय पत्रकारों ने पुलिस अधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी और कहा कि कल यह आदिवासी सड़क पर मार्च करेंगे. तब आनन-फानन में घबराकर पुलिस ने आज शाम को एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें कहा गया कि ‘पकड़े गए यह लोग माओवादी हैं और उन्हें कोर्ट में पेश कर दिया गया है.’
पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में इन आदिवासियों के पकड़े जाने की कोई तारीख नहीं लिखी गई है. असली मकसद आदिवासियों की जमीनों और जमीनों के नीचे दबे हुए खनिजों पर पूंजीपतियों का कब्जा कराना है, जिसका खामियाजा यह आदिवासी अपनी स्वतंत्रता, जीविका और मानव अधिकारों को गंवा कर चुका रहे हैं.
यह रास्ता ना तो शांति की ओर ले जाएगा और ना ही इससे लोकतंत्र मजबूत होगा.
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