सुनने में बहुत आसान लगता है कि अगर सच्चे नागरिक हो तो NRC से डरते क्यों हो ? आख़िर बिना आधार के, बिना राशन कार्ड के, बिना वोटर कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस या घर के काग़ज़ के तो नहीं रह रहे हैं न. ठीक है, लेकिन तीन बातें समझिए कि फिर भी NRC देश में सबके लिए मुसीबत की आहट क्यों है ?
पहली, NRC बनाया ही इसलिये जा रहा है कि सरकार को आशंका है कि विदेशी घुसपैठियों ने फ़र्ज़ी पेपरों के दम पर आधार या वोटर कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस या राशन कार्ड वग़ैरा बना लिया है और भारतीय नागरिकों में वो मिक्स हो गए हैं. इसीलिये NRC में सिर्फ़ इन मौजूदा डॉक्यूमेंट के आधार पर कोई भी नागरिकता साबित नहीं कर पाएगा. इसके लिए पुराने रिकार्ड चाहिए ही होंगे, जिन्हें जमा करने के लिए सभी को जूझना होगा.
दूसरा, मोदी सरकार ने जनधन स्कीम में 37.66 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं. इनमें से ज़्यादातर खाताधारक NRC के नागरिकता टेस्ट को कैसे पास करेंगे, कैसे अपनी नागरिकता बचाएँगे ? इन 37 करोड़ में ज़्यादातर वो गरीब लोग हैं, जिनके पास आज के समय के मामूली से पहचान-पत्र और घर का पता बताने वाले कागज़ भी नहीं हैं. ये लोग नागरिकता साबित करने वाले सालों साल पुराने कागज़ कहाँ से लाएंगे ?
याद रहे कि जन धन स्कीम सरकार ने उन गरीब, असहाय लोगों के खाते खोलने के लिए शुरू की थी, जिनके पास बैंक में खाता खोलने के ज़रूरी डॉक्यूमेंट नहीं होते थे इसीलिए उनके खाते मनरेगा कार्ड या आधार नम्बर से खोले गए हैं. जिनके पास वह भी नहीं थे, उनके ‘छोटे खाते’ बिना किसी पहचान पत्र के, सिर्फ़ दो फ़ोटो के साथ खोले गए हैं.
इन 37 करोड़ लोगों में से कितनों के पास नागरिकता साबित करने के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट मिलेंगे ? उनका आख़िर क्या होगा ? NRC में नागरिकता टेस्ट में यदि ये करोड़ों लोग फ़ेल हो गए, तो ट्रायब्यूनल/ कोर्ट में अपील में सालों चक्कर नहीं काटेंगे ?
ज़रा सोचिए !
कहने को जन धन खाते, पासपोर्ट, पैन नम्बर, ड्राइविंग लाइसेंस या गज़ेटेड ऑफ़िसर के सर्टिफ़िकेट से भी खुल सकते हैं, लेकिन जिन्होंने कभी बैंक का मुँह नहीं देखा था, उनके पास ये डॉक्यूमेंट होने की कितनी सम्भावना है ?
तीसरा, NRC में हर व्यक्ति की नागरिकता की जाँच करने प्लान है. हर परिवार नहीं, हर व्यक्ति की. अगर किसी के परिवार में एक व्यक्ति के नाम ज़रूरी डाक्यूमेंट हैं, तब भी उस व्यक्ति के साथ परिवार के साथ हर व्यक्ति का रिश्ता सरकारी काग़ज़ों की मार्फ़त साबित करना होगा.
इसी नियम की वजह से देश के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के लोग असम NRC से बाहर हो गए. इसी नियम के कारण वहाँ एक BJP के MLA की बीवी का नाम, कारगिल युद्ध में शामिल फ़ौजी अफ़सर, कांग्रेस के पूर्व विधायक का नाम जैसे कितने ही जाने माने लोग NRC में नागरिकता साबित नहीं कर पाए.
इसलिए इतने आश्वस्त मत रहिये कि आप तो भारत के सच्चे नागरिक हैं, तो आप को क्या चिंता. देश भर में NRC हिंदू-मुस्लिम का सवाल नहीं है. हर भारतीय इससे जूझता नज़र आएगा.
- गुरूदीप सिंह सपल
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