पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
सभी अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं. सत्ता पक्ष अपनी हांक रहा है तो विपक्ष विरोध कर रहा है. असल में CAB है क्या ?
तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-कानूनी तरीके से रह रहे छह गैर-मुस्लिम समुदायों (हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, पारसी और बौद्ध) के विदेशी नागरिकों को सरकार द्वारा कानूनी रूप से नागरिकता प्रदान करने के लिये ये बिल लाया गया है. क्योंकि NRC के प्रयोग में पहले ही मुंह की खा चुकी बीजेपी सरकार अब पुरे देश में NRC लाने से पहले अपना राजनीतिक लाभ खोना नहीं चाहती इसीलिये ये बिल लाया गया है ताकि बीजेपी का सांप्रदायिक आधार वाला वोट बैंक पक्का रहे.
ये मुद्दा बीजेपी के दोनों हाथों में लड्डू की तरह है क्योंकि बिल पास हो या न हो मगर बीजेपी ने देश में एक ऐसा नया विवादित मुद्दा खड़ा कर दिया है, जिससे आने वाले कई सालों तक बीजेपी सांप्रदायिक आधार पर भुनायेगी. जबकि विपक्ष का कहना है कि ये संविधान के खिलाफ है क्योंकि एक तरफ जहां समयावधि को आधा कर दिया गया है, वहीं बिना कागजात और जांंच के विदेशियों को भारत की नागरिकता प्रदान कर दी जायेगी, जो आने वाले समय में भारत के लिये खतरा उत्पन्न कर सकते हैं.
विपक्ष की चिंता गलत नहीं है, आप लोगों को याद हो तो भारत ने भी अपना एक जासूस मुसलमान बनाकर पकिस्तान की जासूसी कई वर्षोंं तक करवाई थी, तो क्या ये संभव नहीं कि उक्त तीनों देश या उनमें से अमुक देश ऐसे ही किसी नागरिक को अपना जासूस बनाकर भारत में नागरिकता दिलवा दे, जो बाद में भारत के लिये खतरा उत्पन्न करे अथवा भारत का नागरिक बनकर यहांं से उन देशों के आंतकियों को हैंडल करे ? ऐसे किसी भी मामले में जिम्मेदारी किसकी होगी ये तय होना जरूरी है ?
बीजेपी ने इसमें धार्मिक उत्पीड़न का कॉज डाला है और साथ में डेट भी दी है कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले जो भी उक्त 6 समुदायों का नागरिक भारत आ गया उसे भारत नागरिकता दे देगा, वो भी बिना कागजात और बिना छानबीन के. मैं अमितशाह से पूछना चाहूंगा कि क्या उक्त तारीख के बाद उन तीन देशों में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बंद हो गया ?
बीजेपी और मोदी हमेशा कांग्रेस पर ये इल्जाम लगाते रहे है कि कांग्रेस ने बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिकों को अवैध तरीके से घुसा कर उन्हें नागरिकता दी (हालांंकि ये आज तक सत्यापित नहीं हुआ). जबकि दूसरी और खुद बीजेपी खुलेआम ऐसा कर रही है वो भी स्पेशल लीगल टेंडर लाकर यानि गैर-कानूनी को कानूनी बनाकर अफगानियों, पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों को भारत में सिर्फ घुसाया ही नहीं जा रहा बल्कि उन्हें नागरिकता भी दी जा रही है.
अगर धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता देनी ही है तो मुस्लिमों से कैसी अदावत है भाई ? क्या मुस्लिम शरणार्थी उन देशों में सताये हुए नहीं है ? क्या मुस्लिम शरणार्थियों पर वहां जुल्म नहीं हुआ था ? या फिर वे शौकिया शरणार्थी बनकर भारत घूमने आ गये थे ? और इन तीन देशों की ही बाध्यता क्यों ? क्या तिब्बत, चीन, भूटान, नेपाल, श्रीलंका इत्यादि में उक्त 6 समुदायों के लोग नहीं रहते ? चीन और म्यांमार में मुस्लिम और श्रीलंका में तमिल बेहद ही क्रूरतम तरीके से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हैं, फिर इन देशों का जिक्र बिल में क्यों नहीं है ? खुद पाकिस्तान में भी मुस्लिम शिया समुदाय अल्पसंख्यक है और धार्मिक रूप से उत्पीड़न का शिकार है, फिर उन्हें इन बिल में क्यों नहीं जोड़ा गया ?
यूएनओ के कानून के हिसाब से किसी भी देश में किसी भी ऐसे देश से आये हुए शरणार्थीयो को आश्रय देना अनिवार्य है और आने वाले देश में उन पर जातिवाद या धर्म के हिसाब से गर जुल्म होता हो या वे वहां अल्पसंख्यक होने की वजह से सताये जाते हो, तो सभी नेबर कंट्रीज उन्हें नागरिकता प्रदान करे. और इस पर भारत सरकार के हस्ताक्षर है और भारत देश यूएनओ के नियमों से बंधा है. अतः मुस्लिम समुदाय को किसी भी तरह से छोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि ये धार्मिक भेदभाव में गिना जायेगा.
असम में NRC होने के बाद वहां जो परिस्थिति उत्पन्न हुई है, उससे स्पष्ट है कि बीजेपी की बांग्लादेशी घुसपेठियों वाली बातें झूठी थी क्योंकि जो आंकड़ा बीजेपी ढाई करोड़ तक बताती थी, वो मात्र 19 लाख में ही सिमट गया है और उसमें भी 14 लाख हिन्दू हैं और 5 लाख दूसरे समुदायों के हैं.
इन 19 लाख लोगों में भी 6 लाख से ज्यादा वो लोग हैं, जिनके परिवार के कुछ सदस्य NRC में सत्यापित हो चुके हैं और कुछ सत्यापित नहीं हुए हैं. अब समझने की जरूरत ये है कि किसी एक परिवार में 7 लोग हैं, उनमें से तीन भारत के नागरिक हैं, मगर चार नहीं हैं. एक ही माता-पिता से जन्में 2 बच्चों में से एक भारत का नागरिक है और दूसरा घुसपैठिया. ऐसा कैसे संभव है ? इन 19 लाख लोगों में से 2-3 लाख तो ऐसे बच्चे भी हैं जो अभी बालिग नहीं है और वे यहीं पैदा हुए है लेकिन उनका कोई भी सरकारी कार्ड नहीं बना हुआ तो क्या वे घुसपैठिया हो गये ?
इसी तरह अलग-अलग कारणों से वे NRC में सत्यापित नहीं हुए जो जांंच प्रक्रिया के दौरान सत्यापित हो जायेंगे और असत्यापित वाला आंकड़ा सिर्फ 3 लाख के आसपास रह जायेगा. ये सिर्फ एक स्टेट का हाल है जो सबसे ज्यादा घुसपेठियों की आवक से बदनाम है अर्थात दूसरे राज्यों में तो ये आंकड़ा नगण्य होगा लेकिन इसमें भी बीजेपी की हालत नोटबंदी की तरह हो जायेगी.
जैसे नोटबंदी में नकली नोटों और कालेधन का मुखौटा लगाया गया था, वैसे ही इसमें अल्पसंख्यक बनाम मुस्लिम का मुखौटा लगाया गया है. जिस तरह नोटबंदी में 99.99% नोट असली निकले और सरकार के पास जमा हो गये थे, वैसे ही NRC में भी लगभग सारे नागरिक सत्यापित हो ही जायेंगे और जो अपवाद के रूप में बचेंगे उतने तो हर देश में इल्लीगल तौर पर हमेशा रहते ही मिलेंगे. अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी जैसे महा-विकसित देश और सऊदी जैसे कटटर देश भी इस अपवाद से बचे हुए नहीं है तो भारत में 100% कैसे संभव है ?
इस CAB से एक नया रास्ता खुल जायेगा, जिससे तीनों देशों के विदेशी घुसपैठिये खुलेआम आयेंगे और भारत की संप्रभुता और सुरक्षा में खतरा पैदा करेंगे. आज जो पाकिस्तान अपने आंतकी रात के अंंधेरे में भारत भेजता है, वो इस बिल के पास होने के बाद सरेआम दिन के उजाले में उन्हें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई बनाकर भेजेगा और भारत को इस बिल के चलते उन्हें बिना जांंच और कागजातों के प्रवेश देना पड़ेगा और वे यहांं आकर खुलेआम घूमेंगे और छुपे तौर पर आंतकी गतिविधियों में लिप्त रहेंगे. उस समय क्या होगा ? भविष्य में ऐसे होने वाली किसी भी बड़ी आंतकी घटना का जिम्मेवारी तब किसकी होगी ?
जब बीजेपी NRC लायी थी तो बीजेपी ने खुद ही कहा था कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) के अंतिम मसौदे से लगभग 40 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है, जो पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशित हुआ था लेकिन जांंच प्रक्रिया में अब ये आंकड़ा 19 लाख का हो गया है.
CAB से खुद बीजेपी ही NRC को नकारना चाहता है क्योंकि जहां NRC कहता है कि फलां व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, विदेशी है, इसे उसके संबंधित देश में डिपोर्ट करो, वहीं CAB कहता है कि उक्त विदेशी नागरिक को बिना जांंच और कागजात के भारत की नागरिकता दे दो. दोनों चीज़ें एक दूसरे से विरोधी है और ये बात अभी CAB-NRC और बीजेपी का समर्थन करने वाले लोग समझ नहीं रहे हैं.
एनआरसी के पीछे भाजपाइयों की छुपी हुई मानसिकता भी धार्मिक भेदभाव और मुस्लिमों के प्रति उनकी घृणा को दर्शाता है क्योंकि बीजेपी ने स्पष्ट रूप से अपने बिल में उल्लेखित किया है कि “India will remain a natural home for persecuted Hindus and they are welcome to seek refuge here.” (हिंदुओं के लिये भारत सदैव प्राकृतिक गृह रहेगा और वे यहांं आश्रय लें तो उनका स्वागत किया जाएगा). मैं पूछना चाहूंगा कि सिर्फ हिंदुओं का ही स्वागत क्यों ? पराये देशों में सताये जा रहे भारतीय मूल के दूसरे धर्मों और जातियों के लोगों का क्यों नहीं ? हिन्दू भी तो बाहर से आये विदेशी ही है, फिर ये देश हिन्दुओ की बपौती कैसे हो गया ? और 1400 साल रहने के बाद भी मुस्लिमों से ऐसा क्या गुनाह हो गया कि वो आज भी विदेशी माने जाये ?
मैं ये नहीं कहता कि NRC का मकसद गलत है. भारत में गैर-कानूनी तरीके से रहने वाले विदेशियों की पहचान होनी ही चाहिये लेकिन अगर उनके पास अन्य ऑप्शन न हो तो उन्हें बिना धार्मिक आधार के सुलभता से भारत की नागरिकता देने के लिये पूरी लीगल प्रक्रिया होनी चाहिये. लेकिन बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर जान-बूझकर बवाल पैदा कर रही है ताकि राजनितिक और सांप्रदायिक फायदा उठा सके.
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Khan
December 11, 2019 at 6:55 pm
Bahut hi sahi aur accha likha hai. Hakikat kbhi chupti nhi hai. Dushman kitna bhi satir kyu na ho. Ek din maat kha hi jata hai.