राम चन्द्र शुक्ल
15 दिन पहले ₹60 का एक किलो प्याज खरीदा था, जिससे 10 दिन तक काम चलता रहा. पिछले शुक्रवार को बाजार में प्याज ₹80 प्रति किलो था तो यह सोचकर प्याज नहीं लिया कि प्याज का आयात किया गया है और आयातित प्याज आने पर इसका दाम ₹40 से ₹50 रूपये प्रति किलो हो जाने की उम्मीद थी. पर पिछले 5-6 दिन से घर में रोज प्याज के लिए टोका जाता रहा और मैं प्याज के सस्ते होने का इंतजार करता रहा.
प्याज के दाम घटने के बजाय बढ़ते रहे. आज दुकान पर भाव पूछा तो विक्रेता द्वारा प्याज का भाव ₹30 पाव बताया गया. मैंने पूछा कि किलो में भाव बताओ तो विक्रेता ने कहा कि अगर आप एक किलो प्याज लेंगे तो आपको ₹100 में मिल सकता है, पर ज्यादातर लोग आजकल एक पाव ही प्याज ले रहें हैं. आखिरकार एक किलो प्याज आज ₹100 का खरीद लिया.
वाह रे वित्त मंत्री जी आप प्याज़ नही खातीं शायद इसीलिये आपकी सरकार ने 32 हज़ार टन प्याज़ सड़ा दी लेकिन देश की करोड़ों जनता प्याज़ रोटी से अपना पेट भरती है “जनता का निकला दिवाला, प्याज़ घोटाला प्याज़ घोटाला” pic.twitter.com/x7sn83aO65
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) December 4, 2019
पिछली बार जब देश में प्याज का क्राइसिस पैदा हुआ था तो पड़ोसी देश पाकिस्तान से प्याज खरीदा गया था. पर हमारे वर्तमान कर्णधारों ने पाकिस्तान से रिश्ते इतने खराब कर रखे हैं कि इस बार किस मुंह से पाकिस्तान से प्याज आयात की बात करें, इसलिए इस बार फिलहाल 11 हजार टन प्याज तुर्की से तथा 6 हजार टन प्याज मिश्र से आयात करने की बात खाद्य मंत्री द्वारा कही गई है, जो स्वेज नहर के रास्ते पानी के जहाज से भारत आएगा.
पर इतनी कम मात्रा भारत में रोजाना प्याज की खपत को देखते हुए ऊंट के मुंह में जीरा सिद्ध होगी. वैसे एक लाख 20 हजार टन प्याज विदेशों से आयात करने का निर्णय लिया गया है. यह प्याज कितने समय बाद भारत के बाजारों में पहुंंचेगा और प्याज के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि रुकेगी, इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता है.
प्यारे देशवासियों, मैं देश की वित मंत्री हूँ. लहसुन, प्याज़ नहीं खाती हूँ. भले ही प्याज़ 100 रूपये किलो मिले, आप खाते हो, आप लोग जानो. मेरा क्या लेना देना !! मंत्री जी, आप संसद को ये बता दीजिए, आप क्या खाती हैं, फिर उनसे जुड़े सवाल ही पूछे जायेंगे https://t.co/G0g3z2b4tj
— Pankaj Jha (@pankajjha_) December 5, 2019
हमारे देश में आलू के पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था है, पर प्याज के भंडारण की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है, जबकि देश में आलू की आधी मात्रा के बराबर प्याज की खपत है. पिछले अप्रैल-मई में लहसुन व प्याज की बंपर पैदावार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश महाराष्ट्र व राजस्थान में हुई थी. किसानों को बेहद सस्ते दामों पर प्याज व लहसुन बेचना पड़ा था.प्याज ₹5 से ₹10 प्रति किलो तथा लहसुन ₹20 से ₹30 रूपये प्रति किलो तक किसानों को बेचना पड़ा था. वर्तमान समय में प्याज के दामों में वृद्धि के कारण लहसुन के दाम भी बेतहाशा बढ़ गये हैं और वह ₹200 प्रति किलो व इससे भी अधिक दामों पर बाजार में मिल रहा है.
अभी शाम पौने नौ बजे के आकाशवाणी के हिंदी समाचार में यह बताया गया है कि आज टर्की से 4 हजार टन अतिरिक्त प्याज खरीद का अनुबंध हुआ है. यह पूर्व से तुर्की व मिश्र से खरीदे जा रहे 70 हजार टन प्याज के अतिरिक्त होगा. पर यह प्याज जनवरी 2020 के मध्य तक ही भारत के बाजारों तक पहुंच सकेगा. देश के शासकों का प्याज के आयात का निर्णय तभी लेना चाहिए था, जब देश के बाजारों में प्याज के भाव बढ़ने शुरू हुए थे. प्याज के मूल्यों में वृद्धि अक्तूबर के मध्य व नवम्बर के प्रारंभ से ही शुरू हो गयी थी. तभी अगर प्याज के आयात का निर्णय ले लिया गया होता तो अब तक आयातित प्याज देश के बाजारों में पहुंंच गया होता. इस समय तो यह निर्णय आग लगने पर कुआंं खोदने जैसा ही माना जाएगा.
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