Home गेस्ट ब्लॉग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं पार्टी कांग्रेस : पहला लक्ष्य चीन को ‘मार्डन सोशलिस्ट कंट्री‘ घोषित करना

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं पार्टी कांग्रेस : पहला लक्ष्य चीन को ‘मार्डन सोशलिस्ट कंट्री‘ घोषित करना

6 second read
0
0
542
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं पार्टी कांग्रेस : पहला लक्ष्य चीन को ‘मार्डन सोशलिस्ट कंट्री‘ घोषित करना
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं पार्टी कांग्रेस : पहला लक्ष्य चीन को ‘मार्डन सोशलिस्ट कंट्री‘ घोषित करना

थ्येनआनमन स्क्वायर पर शुक्रवार रात नौवें शहीदी दिवस समारोह के केंद्र में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ही थे. वो उपस्थित थे, मगर कुछ बोले नहीं. इससे दो दिन पहले उनके शासन के दो टर्म पूरे होने को लेकर जो प्रदर्शनी आयोजित की गई थी, शी उसका अवलोकन करते दिखे, मगर वहां भी कुछ बोले नहीं. समरकंद से लौटने के दस दिन बाद दिखने वाले शी की चुप्पी हैरान करती है. ऐसे में क़िस्सागोई करने वालों को अवसर मिलता है कि वो कहानियां गढ़ें.

फेसबुक-ट्विटर समेत सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर वो फसाना ख़ूब चला कि शी चिनफिंग नज़रबंद कर लिये गये हैं, और उनकी जगह एक चीनी जनरल ने संभाल ली है. फसाना जब हकी़कत में नहीं बदल पाया, तो सोशल मीडिया के बयानवीरों का मुंह देखने लायक़ था. ऐसा नहीं कि चीनी सत्ता प्रतिष्ठान को ऐसी चंडूखाने की ख़बरों का पता नहीं होगा. मगर, चीन के किसी मंत्री, आधिकारिक प्रवक्ता ने प्रतिक्रिया नहीं दी है, तो समझिए कि वो सीरियस किस्म की राजनीति कर रहे हैं.

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना 1 अक्टूबर 1949 को हुई थी. 2014 में शी ने तय किया था कि हर वर्ष 30 सितंबर को शहीदी दिवस मनाएंग. देश के एकीकरण के वास्ते कोई दो करोड़ लोगों ने शहादत दी थी. मगर, चीनी शासन की सूची में 20 लाख शहीद हैं, इनमें से 10 लाख लोगों के दफन वाले स्थानों पर देशभर के नागरिक नमन करने जाते हैं. चीनी मुख्यभूमि पर क्वोमिंगतान शासन (केएमटी) का कालखंड 1912 से 1949 तक रहा है. केएमटी से मुक्ति की याद में शहीदी दिवस मनाने के पीछे शी यही चाहते थे कि देश पुराने नासूर को याद करता रहे.

थ्येनआनमन स्क्वायर पर शुक्रवार को जो इंवेंट आयोजित हुआ, वो अदभुत था. सेंटर स्टेज पर एक विराट बास्केट, और उसके समक्ष फूलों से सज्जित नौ फ्लावर बास्केट. शी के बदले वहां बोले उपराष्ट्रपति वांग छीशान और प्रधानमंत्री ली खछियांग. ध्यान में रखिये, क्वीन एलिज़ाबेथ को श्रद्धांजलि अर्पित करने उपराष्ट्रपति वांग को ही लंदन भेजा गया था. ग्रेट हॉल के सामने शहीदी दिवस समारोह में शी, ली खछियांग और वांग के गिर्द कतारबद्ध खड़े थे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो के वो 25 ताक़तवर सदस्य जिनकी हामी से देश की दिशा बदलती है. देश की चुनौतियों पर ली खछियांग व वांग बोले और आधिकारिक घोषणा हो गई कि 20वीं पार्टी कांग्रेस रविवार, 16 अक्टूबर 2022 को होगी.

नौवें शहीदी दिवस समारोह में स्टैंडिंग कमेटी के किसी अवकाश प्राप्त सदस्य का नहीं दिखना, यह बताता है कि शी की अग्रिम रणनीति क्या होगी. ‘पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी‘ सीपीसी महासचिव के बाद, दूसरे स्थान है. स्टैंडिंग कमेटी में शी समेत सात लोग हैं. सोंग फिंग ‘पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी‘ के उन रिटायर्ड सदस्यों में से एक हैं, जिन्होंने सितंबर के मध्य में बयान दिया था कि ‘चाइनीज़ ड्रीम्स‘ तभी पूरे होेंगे, जब शी की नीतियों में सुधार होगा. शी उन्हीं दिनों शांघाई कॉरपोरेशन आर्गेनाइजेश की बैठक में समरकंद जा रहे थे. सोंग फिंग का वह बयान शी की नीतियों पर सवाल करने लगा था. शायद यही सबसे बड़ी वजह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल टाइप बुजुर्ग सदस्यों से अपनी दूरी बना ली है.

16 अक्टूबर 2022 को शी तीसरे टर्म की ज़िम्मेदारी लेंगे. ऐसे अवसर पर उनकी नीतियों की आलोचना हो, यह नाकाबिले बर्दाश्त है. 20वीं कांग्रेस के लिए कुल 2296 डेलीगेट नियुक्त किये जा चुके हैं. 200 पूर्णकालिक सदस्य और 170 वैकल्पिक सदस्य शी के तीसरे सत्तारोहण में पहले की तरह रबर स्टांप की भूमिका में होंगे. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की यही ख़ूबसूरती है, जिसे ‘आंतरिक लोकतंत्र‘ का छद्म नाम दे दिया गया है. इस बार पिछले के मुक़ाबले डेलीगेट्स की संख्या बढ़ाई गई है. 26 अतिरिक्त सदस्य जुड़ गये हैं.

राष्ट्रपति शी चिनफिंग 15 नवंबर 2012 को सीपीसी के महासचिव चुने गये. 2017 में दोबारा उन्हें जनरल सेक्रेट्री चुना गया. तीसरी बार के लिए भी शी की कुर्सी सुरक्षित है. उसके बाद ‘पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी‘ है, उसमें शी समेत जो सात लोग हैं, सब के सब पुरूष. तीसरा, पोलित ब्यूरो में 25 सदस्य हैं, जिनमें दो महिलाओं को जगह दी गई है. सीपीसी की पिरामिड जैसी संरचना में चौथे पायदान पर सेंट्रल कमेटी है, जिसमें 33 महिलाओं समेत 205 सदस्य हैं, यहां 171 वैसे अल्टरनेट सदस्य हैं, जिन्हें अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी होती है।श.

पांचवे स्थान पर है ‘सेंट्रल कमीशन फॉर डिसपिलिन इंस्पेक्शन‘, जिसके 130 सदस्य पार्टी में अनियमितता की जांच करते हैं, यहां भी मात्र 13 महिला मेंबर हैं. पार्टी कांग्रेस सबसे निचले छठे पायदान पर रही है, जिसमें 540 महिलाओं समेत 2270 सदस्य पांच साल पहले थे. 2017 की पार्टी कांग्रेस में 24 पूंजीपतियों को भी शामिल किया गया था. बाक़ी पांचों पायदान पर एक भी पूंजीपति को नहीं रखा गया है.

कोई पूछेगा, समरकंद से लौटने के बाद राष्ट्रपति शी पूरे दस दिन कहां भूमिगत हो गये थे ? तो उसका उत्तर यही मानिये कि पार्टी कांग्रेस के डेलीगेट्स और बाक़ी कमेटियों के चुनाव में उनकी व्यस्तता रही है. पार्टी कांग्रेस डेलीगेट्स, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बुनियाद है, जिसपर पूरा पिरामिड खड़ा है. शी उस बुनियाद को अपने हिसाब से दुरूस्त कर रहे थे. 29 सितंबर 2022 को घोषित पार्टी कांग्रेस डेलीगेट्स में महिलाओं की संख्या 2017 के मुक़ाबले बढ़ाई गई है. अब महिला सदस्यों की संख्या 619 है, इनमें 264 वैसी महिला डेलीगेट्स हैं, जो विभिन्न अल्पसंख्यक जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

पार्टी कांग्रेस डेलीगेट्स में जूनियर कॉलेज से ऊपर की पढ़ाई कर चुके की संख्या 95 प्रतिशत बताई जा रही है. इनमें 771 वैसे हैं, जो फ्रंटलाइन वर्कर रहे हैं. डेलीगेट्स में कालेज, कोर्ट, मेडिकल, समाज शास्त्री और देश के विभिन्न महकमों से जुड़े लोग हैं. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ 60 लाख एक्टिव सदस्यों ने डेलीगेट्स चुनने में अहम भूमिका अदा की थी, जिसके वास्ते देशभर में 38 एलेक्ट्रोरल यूनिट्स बनाये गये थे. यानी, यह चुनाव आसान नहीं था.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य संख्या से भारतीय जनता पार्टी की तुलना करें, तो यह डबल से भी अधिक है. बीजेपी 2022 में 20 से करोड़ से अधिक सदस्य बना चुकी है. आप केवल मिस्ड कॉल कीजिए, कुछ आसान सी प्रकिया के बाद आप बन गये बीजेपी के सदस्य. चीन में ऐसा बिलकुल नहीं है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य बनने के वास्ते नाकों चने चबाने पड़ते हैं. कह सकते हैं कि कठोर सदस्यता प्रकिया ने शी या उनके पूर्ववर्तियों के शासन को स्थिर रखने में योगदान दिया है.

20वीं पार्टी कांग्रेस में चीन का भविष्य किस प्रकार निर्धारित करेंगे ?

राष्ट्रपति शी चिनफिंग 20वीं पार्टी कांग्रेस में चीन का भविष्य किस प्रकार निर्धारित करेंगे, बड़ा सवाल है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इनर सर्किल ने संकेत दिया है कि शी का सबसे पहला लक्ष्य चीन को ‘मार्डन सोशलिस्ट कंट्री‘ घोषित करना है. शी, मार्क्सवाद-लेनिनवाद, माओत्से तुंग, तंग श्याओफिंग के विचारों को मरने नहीं देंगे, ऐसा संकेत दिया है. मगर, शी के विचार चीनी विशेषताओं के साथ उनके तीसरे कालखंड पर हावी रहेंगे, यह तो स्पष्ट है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ‘पिछले पांच वर्षों में जो कुछ हुआ है, उसका लेखा-जोखा पार्टी कांग्रेस प्रस्तुत करेगी.’ मगर, सवाल यह है कि कोरोना के कालखंड में चीन में जिस तरह तबाही मची क्या उसकी लीपापोती होगी ?

पेइचिंग स्थित चाइनीज़ एकेडमी ऑफ सोशल साइंस से संबद्ध इंस्टीच्यूट ऑफ पॉलिटिकल साइंस के डायरेक्टर झांग शूह्वा बताते हैं कि 2021 के शताब्दी वर्ष में ही तय हो गया था कि देश को किस दिशा में ले जाना है, मगर यह सब कहने की बातें हैं, धरातल पर यही होगा कि पीपुल्स कांग्रेस कोविड के बाद की आर्थिक-सामाजिक स्थिति की व्यापक समीक्षा करेगी. देश के अंदर के हालात कैसे दुरूस्त किये जाएं, यह पहला विषय होगा. दूसरा विषय होगा, ग्लोबल गवर्नेंस के ज़रिये दुनिया भर में चीन की छवि को सकारात्मक बनाने की चुनौती. प्रोफेसर झांग शूह्वा मानते हैं कि चीनी रणनीति के आड़े अमेरिका खड़ा है, उससे निपटना सबसे बड़ी चुनौती होगी.

आप मेनलैंड चाइना की चुनौतियां ढूंढेंगे, तो वह भारत से थोड़ा भिन्न है. चीन के लिए ताइवान, तिब्बत और शिन्चियांग का अलगाववाद सिरदर्द का सबब है, जिसे वह वन चाइना पॉलिसी के तरह कम करने का प्रयास करता रहा है. शी चिनफिंग के दोनों कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती रही है करप्शन. संभवतः यह दुनिया का सबसे बड़ा अभियान रहा है, जिसमें 6 लाख 44 हज़ार लोगों जून 2022 तक सज़ा दी गई है. मगर, दबी ज़ुबान से लोग यही कहते हैं कि प्रेसिडेंट शी और उनके दरबारियों ने भ्रष्टाचार उन्मूलन की आड़ में अपने विरोधियों को निशाने पर लिया है. शी की लल्लो-चप्पो करने के वास्ते पोलित ब्यूरो सेंट्रल कमेटी ने 40वीं ग्रुप स्टडी के ज़रिये बता दिया कि हमने करप्शन पर काबू लगभग पा लिया है. इस रिपोर्ट को भी 20वीं कांग्रेस में रखी जाएगी.

चीन में इंडस्ट्रियल और मिल्ट्री करप्शन भयावह है. सब कुछ सरकार की नाक के नीचे होता रहा है. कुछ दिन पहले रांड कारपोरेशन की एक रिपोर्ट के ज़रिये चीनी सेना व इंडस्ट्री में भ्रष्टाचार का आकलन किया गया था. 2021 में चीन का जीडीपी बताया गया 16.9 ट्रिलियन डॉलर, उसके बरक्स अमेरिकी जीडीपी था 22.9 ट्रिलियन डॉलर. शी अगले पांच साल में चीन की जीडीपी अमेरिका के बराबर ले आयेंगे ? यह सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ने वाला.

शी के पीछे सेना के जनरल, और सरकार के उच्चाधिकारी भी लगे हैं, अगर ऐसा नहीं होता तो शी ने पूरे दस साल की अवधि में 600 से अधिक मिनिस्ट्रियल रैंक के अधिकारियों को जेल नहीं भिजवाया होता. 2019 में पूर्व प्रतिऱक्षा मंत्री छांग वानक्वेन की पदावनति करके उन्हें दो कमरों के अपार्टमेंट में डलवा दिया. पनामा पेपर्स की कालिख शी चिनफिंग के परिवार पर भी लगी है, उसे नज़रअंदाज़ करते हुए शी ने जिस तरह भ्रष्टाचार के विरूद्ध तथाकथित अभियान चलाकर दो लाख 78 हज़ार अधिकारियों को सज़ा दिलवाई, यह उनकी दबंगई ही नहीं, बेशर्मी को भी दर्शाता है.

  • पुष्प रंजन
    (ईयू-एशिया न्यूज़ के नई दिल्ली संपादक)

Read Also –

चीनी अर्थव्यवस्था के संकट
चीन : एक जर्जर देश के कायापलट की अभूतपूर्व कथा
चीन एक नयी सामाजिक-साम्राज्यवादी शक्ति है !
चीन के साथ पराजय का अनुभव
भारत चीन सीमा विवाद और 62 का ‘युद्ध’
जब वाजपेयी ने तिब्बत चीन को गिफ्ट किया और हथियार ना प्रयोग करने वाले समझौते की नींव रखी
अगर चीन ने आज भारत पर युद्ध की घोषणा की तो क्या होगा ?
चीनियों ने मोदी की मूर्खता और धूर्तता को उजागर कर दिया
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…