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‘लॉकडाउन ‘कठोर’ था जिसने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. लॉकडाउन वायरस के संक्रमण के प्रसार को सपाट करने की दृष्टि से किया गया था लेकिन इसने जीडीपी की वृद्घि को ही सपाट कर दिया.’

‘हमें मांग को बढ़ाना होगा और कुछ ऐसा करना होगा जिससे लोगों का मनोबल बढ़ सके. मैं यह समझ नहीं पा रहा कि सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल क्यों नहीं की ? पिछले करीब छह माह से मांग में नरमी है. ऐसे में मांग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने और लोगों के मनोबल को बढ़ाने के उपाय करने चाहिए.’

‘मेरे दोस्त की अमेरिका के डेट्रायट में छोटी सी कंपनी है, जिसमें आठ लोग काम करते हैं. संकट की इस घड़ी में उसे पूरा मुआवजा और कई अन्य मदद भी दी गई, जिससे उन्हें कंपनी को चलाने में मदद मिली. अमेरिका में प्रभावित प्रति व्यक्ति को 1000 डॉलर की मदद दी गई. जापान में भी ऐसा किया गया. हम यहां प्रोत्साहन की बात नहीं कर रहेे हैं. हम मदद की बात कर रहे हैं चाहे वह बड़े कारोबार हों, छोटे कारोबार हों या आम व्यक्ति.’

‘सरकार ने तथ्यों, तर्कों और सच को सही तरीके से पेश नहीं किया. इससे लोगों के मन में और डर समा गया है.’

‘भारत ने पश्चिमी देशों के अनुभव की देखादेखी कर गलती की. भारत को यह देखना चाहिए कि कैसे कुछ एशियाई देश इस संकट से निपट रहे हैं. ‘मेरा मानना है कि बदकिस्मती से भारत ने न केवल पश्चिम की तरफ देखा बल्कि अंधानुकरण किया. हमने सख्त लॉकडाउन को लागू करने की कोशिश की मगर फिर भी उसमें कमियां रह गईं, इसलिए मेरा मानना है कि हमें दुनिया में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.’

‘प्रधानमंत्री जब कुछ कहते हैं, भले ही यह सही हो या गलत, मगर लगता है कि लोग उनका अनुसरण करते हैं इसलिए उन्हें आगे आकर सभी से यह कहना चाहिए कि हम इस तरह आगे बढऩे जा रहे हैं, सभी स्थितियां नियंत्रण में हैं, संक्रमण से डरें नहीं, आप जानते हैं कि लगभग कोई नहीं मर रहा है और अब हमें आगे कदम बढ़ाना चाहिए.’

– राजीव बजाज ( बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक )

 

 

परसों चंद्रग्रहण था जो कुछ देर चला फिर समाप्त हो गया लेकिन परसों जो अर्थव्यवस्था को लेकर खबरें सामने आई है उससे पता लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर लगा ग्रहण जल्द समाप्त होने वाला नही है. कल दोपहर में रिजर्व बैंक ने अपना कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे रिलीज किया जिसके अनुसार ‘मई 2020 में उपभोक्ताओं का भरोसा पूरी तरह टूट चुका था. मौजूदा स्थिति इंडेक्स (सीएसआई) अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है. इसके अलावा एक साल आगे का भविष्य की संभावनाओं इंडेक्स में भी भारी गिरावट आई है और यह निराशावाद के क्षेत्र में पहुंच चुका है.

फिर कल रात रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास एक बार फिर सामने आए उन्होंने वह बेहद गंभीर बात कही उन्होंने कहा कि इकॉनमी पर असर उम्मीद से कहीं ज्यादा है और सुधार में कई साल लग सकते हैं,

इससे पहले सुबह सरकार की यह घोषणा भी सामने आई थी कि कोई भी सरकारी योजनाओं को इस साल स्वीकृति नहीं दी जाएगी। पहले से ही स्वीकृत नई योजनाओं को 31 मार्च, 2021 या फिर अगले आदेशों तक स्थगित किया जाता है।……

लेकिन असली मुद्दे की बात तो दो दिन पहले देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कही थी जिससे आप मार्केट की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं उन्होंने कहा कि ‘बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं’…..”हमारे पास फंड है, लेकिन कर्ज की मांग नहीं है. ऐसे में बैंकों का पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जहां तक ग्राहकों की बात है तो वे अभी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. ”

आप खुद सोचिए कि सिर्फ लॉकडाउन में रिजर्व बैंक ने दो बार रेपो रेट में कटौती की है. वर्तमान में रेपो रेट 4 फीसदी पर है, जो अब तक का सबसे निचला स्‍तर है. वहीं, बैंकों ने भी लोन लेने की प्रक्रिया को पहले के मुकाबले आसान बना दिया है. सरकार MSME क्षेत्र को तीन लाख करोड़ का लोन देने के लिए विशेष पैकेज दे रही है………इन तमाम कोशिशों के बावजूद लोग कर्ज लेने को तैयार नहीं हैं……ऐसा क्यों है ?……. रजनीश कुमार कहते हैं …….”हमारे पास फंड है, लेकिन कर्ज की मांग नहीं है. ऐसे में बैंकों का पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जहां तक ग्राहकों की बात है तो वे अभी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. ”

इन कुल जमा चार खबरों से ही आप ठीक ठीक अंदाजा लगा सकते हैं कि वास्तव में अर्थव्यवस्था के मामले में हम किस कहर का सामना कर रहा है कोरोना काल के पहले जो देश की आर्थिक स्थितियां थी वह बहुत खराब थी…… मोदी सरकार अपने प्रचार तंत्र के जरिए इसे चमकाने का प्रयास करती रही थी लेकिन अंदर ही अंदर सबको पता था कि घड़ा भर चुका है कभी भी छलकने वाला है अब भी नया कुछ नही हुआ है दरअसल कोरोना ने इस सरकार को एक बहाना प्रदान कर दिया है जिसमे कोरोना के ऊपर वह अपनी आर्थिक असफलताओं का दोष मांड कर बरी होने के प्रयास कर रही है और जोरशोर से कर रही है

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