अपनी बोली भाषा में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से बात करना और उसे दुभाषिये के जरिये उस राष्ट्राध्यक्ष तक अपनी बात पहुंचाने में कोई गलत बात या नई बात नहीं है. ऐसा हमारे देश के और भी नेताओं ने किया है. हम किसी के भी विरोधी हैं, इसलिए उसका विरोध करना है, की परिपाटी से बचना चाहिए. हां, एक दो जगह मोदी जी ने जो भयंकर गलतियां की हैं, जिसे सभी लोग नहीं समझ सकते हैं, बल्कि उनके समर्थक उन गलतियों को मोदी के मास्टरस्ट्रोक के तौर पर प्रसारित कर रहे हैं. ये बातें किसी भी नेता को शर्मसार करने वाली कही जा सकती हैं.
पहली बात ये कि मोदी के पीछे सभी राष्ट्राध्यक्ष चलते हुए दिख रहे हैं, इस बात को मोदी के पक्ष में विश्वगुरू के तौर पर प्रसारित करना बिलकुल बेबुनियाद बात है. इसके बारे में पुख्ता जानकारी ये बाहर आ रही है कि जब सभी देश के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ सीढियों से उतर रहे थे और जापान के राष्ट्राध्यक्ष सबसे आगे चल रहे थे, उस समय मोदी जी बडी चालाकी से सबके बीच से निकल कर उनकी बराबरी में मानो कोई बात कहने के लिए आगे बढ़ कर आ गए. अब वहां पर कोई इतना बदतमीज राष्ट्राध्यक्ष तो रहा नहीं जो किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को आगे जाने से रोके.
वास्तव में मोदी जी के इवेन्ट मेनेजमेंट द्वारा पहले से ही यह तय था कि कहीं से कोई ऐसा फोटो मिल जाए जिसे मोदी जी द्वारा देश को विश्वगुरू की श्रेणी में ले जाकर खडा करने का श्रेय दिला दे. कई मौकों पर इस प्रकार की तस्वीरें खींचीं गई लेकिन सबसे सटीक तस्वीर के तौर पर इसे भाजपा के आईटी सेल ने प्रस्तुत कर इस वर्ष के आखिर में आने वाले गुजरात, हिमाचल और मुंबई म्युनिसिपल के चुनावों में मोदी को हीरो बना कर प्रस्तुत करने की रणनीति का एक अंग बनाया है.
इसी प्रकार से एक और वीडियो क्लिप भी गलती से किसी विरोधी के हाथ पड गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एक स्थान पर किसी से भेंट करने को खडे हैं. वहां दिखाई दिया कि मोदी जी और आस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति साथ में आगे बढे तो जो बाइडेन ने मोदी जी की बेइज्जती करने के समान उन्हें पूरी तरह से अनदेखा कर सिर्फ आस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष से बात की और मोदी जी को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया जो वाकई में हम सब के लिए बेइज्जती की बात है. मैं कहूंगा कि उस क्लिप को प्रसारित करने से बचा जाए. कुल मिला कर मोदी जी को जो चौका या छक्का मारना था, वह मार तो दिया लेकिन समझदार को इशारा काफी है कि ये सब भारत में मोदी भक्तों के लिए बहुत गर्व की बात है, जो कि वास्तव में गर्व की बात नहीं है.
अभी भी मोदी समर्थकों में एक धारणा बनी हुई है कि मोदी जी की विदेश में कितनी इज्जत है कि वहां पर भी मोदी-मोदी के नारे लगाते लोग नज़र आ रहे हैं. अगर मोदी की विदेश में इतनी ही धाक होती तो उस देश के मूल निवासियों द्वारा मोदी जी की जय जयकार होते दिखनी चाहिए थी, ना कि भारत के इवेन्ट एजेन्सी के द्वारा प्रायोजित जय जयकार दिखनी चाहिए. होता ये है कि मोदी जी जिस किसी देश में जाने को होते हैं, वहां के दूतावास को पहले से ही सूचित कर दिया जाता है कि मोदी जी के लिए भारतीय मूल के अप्रवासियों को निमंत्रित करके इकट्ठा किया जाए. फिर उस भीड में इवेन्ट एजेन्सी के सदस्य मोदी की जय जयकार लगाते हैं जिसमें चाहे या अनचाहे वहां मौजूद सभी भारतीयों को जयकारा लगाना पडता है.
इसी में एक और भी उदाहरण उल्लेखनीय है जहां देश के तिरंगे झंडे को ना फहराकर भगवा झंडा फहराया जाता दिख रहा है, यह इवेन्ट नहीं तो और क्या है. इस बात को देश के सभी देशभक्त निवासी तो समझ जाएंगे लेकिन मोदीभक्त कभी ना मंजूर कर पाएंगे ना समझ पाएंगे.
- दिनेश साध, मुंबई
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