दिल्ली सरकार के जल बोर्ड मंत्री कपिल मिश्रा दिल्ली की जनता के नाम एक विडियो संदेश जारी किया है. इस संदेश में उनका दावा है कि दिल्ली एम.सी.डी. चुनाव के उपरान्त भारतीय जनता पार्टी अगर चुनाव जीत जाती है तो बिजली और पानी के विभाग आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के हाथों से छीन कर केन्द्र अपने अधीन कर लेने का मन बना चुकी है ताकि बिजली और पानी की दाम दलालों के हित में बढ़ा सके ताकि आम जनता के जेबें काट कर दलालों की जेबें भरी जा सके. इसके उलट आम आदमी पार्टी अब बिजली-पानी के मौजूदा स्थिति के साथ-साथ आवासीय शुल्क से भी दिल्ली को मुक्त करना चाह रही है.
कपिल मिश्रा की आशंकायें या उसके दावे मौजूदा हालात को देखते हुए आधारहीन तो नहीं ही कहा जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी के पिछले तीन वर्षों के क्रियाकलापों पर अगर भोथरी नजर ही डाली जाये तो यह साफ दिखता है कि इसके खाने के और दिखाने के और दांत है. आधारभूत जन हितों के कामों के वजाय केवल भविष्य के सुनहले सपने दिखा-दिखा कर लोगों की जेब काटी जा रही है. विपक्षी राज्य सरकारों को येन-केन-प्रकारेण सत्ता से बेदखल करने में सारी ताकत लगा रही है, जिसे बेदखल नहीं किया जा पा रहा है उसे अपने तोता-मैना के माध्यम से नित परेशान किया जा रहा है. झूठे आरोपों की बौछार की जा रही है. शिक्षण संस्थानों पर हमले किये जा रहे हैं. छात्रों को देशद्रोही बता कर बिना वजह जेलों में बंद किया जा रहा है. बुद्धिजीवियों पर हमले किये जा रहे हैं. आरक्षण जैसी जरूरी व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है. काॅरपोरेट घरानों के लाखो करोड़ रूपये के भारी भरकम कर्जों को माफ किया जा रहा है, जबकि छोटे-मोटे कर्ज में दबे किसान नित आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं. भ्रष्टाचार के सबसे बड़ा मामला बन चुके नोटबंदी के माध्यम से आम जनता को आत्महत्या या मौत के मूंह में धकेल कर उसकी आखिर कमाई तक पर गिद्ध दृष्टि डाली जा चुकी है.
अब इस सब से बढ़कर चुनाव की बुनियादी प्रणाली को ही ब्लैकमेल करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है. विगत 5 राज्यों में होने वाली ई0वी0एम0 मशीन से होने वाली वोटिंग प्रणाली ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में वोट डालना केवल एक दिखावी प्रक्रिया है. इसमें जनता की अथवा वोटरों की कोई भागीदारी नहीं.
यह बात खुलकर स्पष्ट तब हो गई जब मध्यप्रदेश के भिंड जिले में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों के मद्देनजर जायजा लेने पहुंची मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने शुक्रवार को वोटर वेरीफाईड पेपर आॅडिट ट्रायल (वी0वी0पी0ए0टी0) जैसी आधुनिक कही जाने वाली मशीन के डेमो के लिए दो अलग-अलग बटन दबाए तो कमल के फूल की पर्ची निकली. जब इस नजारे को देख पत्रकार ने सवाल पूछा तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने उलटे पत्रकारों को ही धमका दी कि अगर यह खबर बाहर गयी तो थाने में बंद करवा देंगे.
इतनी निर्लज्जतापूर्वक जब चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के हाथों अपना ईमान बेच कर खुल्लमखुल्ला दलाली पर उतर आई है तो अन्य और किस महकमें की बात की जाये. शायद यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के एम0सी0डी0 चुनाव को लेकर निश्चिंत है कि जीत तो भारतीय जनता पार्टी की ही होगी. अरविन्द केजरीवाल ने इस सवाल पर स्पष्ट लिखा है कि ‘‘दिल्ली में इस तरह चुनाव एम0सी0डी0 के चुनाव नहीं हो सकते. असम और मध्यप्रदेश में ई0वी0एम0 केवल बीजेपी को वोट कर रही है, यह तकनीकि गड़बड़ी नहीं हो सकती.’’
ई0वी0एम0 की तो बात खैर छोड़ ही जाये क्योंकि उसमें कोई सबूत नहीं मिलता है, आधुनिक कहे जाने वाले वी0वी0पी0ए0टी0 के साथ छेड़छाड़ की खबर ने समूची चुनाव प्रक्रिया को ही संदेह के घेरे में ला दिया है जो चुनाव विरोधी संगठनों की बातों को सच साबित करती है कि चुनाव महज एक ढकोसला है.
कहा जाता है कि देश की सर्वोच्च न्याय संस्थान उच्चतम न्यायालय तक के न्यायधीश भी अपना ईमान बेच कर खुल्लमखुल्ला दलाली पर उतर आये हैं. इससे पहले कि देश की तमाम संस्थान जनता के नजर में बदनाम हो जाये और जनता विद्रोह पर उतारू हो जाये वक्त रहते शासक वर्ग को दिखावा के लिए ही सही, कुछ तो करना चाहिए.