जब केन्द्र सरकार की तुलना एक छोटे केन्द्रशासित प्रदेश की राज्य सरकार से होने लगे तब केन्द्र सरकार की भ्रष्ट और काॅरपोरेट परस्त दलाल नीतियां सहज ही सवाल के घेरे में आ जाती है, जिसे झुठलाने के लिए केन्द्र सरकार को काॅपोरेट घरानों के ही दलाल तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया को भारी धन देकर खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है. केन्द्र की काॅरपोरेट केन्द्रित नीतियां जहां केवल 7 परिवारों के हितों के इर्द-गिर्द बनाई जा रही है, वहीं दिल्ली की राज्य सरकार की जन-आधारित नीतियां नित नये प्रतिमान गढ़ रही है, इसके बावजूद कि केन्द्र सरकार उसके 18 बिल पारित नहीं कर रही है, उसके मंत्रियों-विधायकों को नित फर्जी मुकदमें में जेल भेजा जा रहा है, नक्सलवादी-माओवादी जैसे अलंकार से सुशोभित कर रही है, अपने कुत्ते, तोता, मैना, ठुल्लों और कपिल मिश्रा जैसे टुच्चों को दिल्ली सरकार पर छोड़ रखा है.
विगत दिनों इनकम टैक्स रिटर्न के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि इस देश में महज 7 ऐसे लोग या परिवार हैं जिनकी वार्षिक आय 500 करोड़ रूपये से भी ज्यादा हैं. वहीं करोड़ों ऐसे लोग या परिवार हैं जिनकी दो जून की रोटी भी मुश्किल से जुट पाती है. करोड़ों भारतवासी भूखमरी, बेरोजगारी, गरीबी की अन्तहीन खाई में धकेले जा रहे हैं जहां उनके सामने आत्महत्या के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है. देश भर में उठ रहे साम्प्रदायिक दंगे, हत्या, बलात्कार, आतंकवादी हमला जहां लोगों को दहशत मेें डाल रही है, वहीं नित सरकारी संरक्षण पर खड़े हो रहे निजी हमलावार सेना जैसे गौ-रक्षा दल, एंटी-रोमियों सक्वायड आदि सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रही है.
प्रतिव्यक्ति राष्ट्रीय आय 2015-16 में 93 हजार 293 रूपये थी जो अब नये वित्त वर्ष 2016-17 में 1 लाख 3 हजार 7 रूपये रहने का अनुमानित है. वहीं दिल्ली सरकार की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में प्रतिव्यक्ति आय न सिर्फ सभी राज्यों से ज्यादा है बल्कि वह राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिव्यिक्ति औसत आय से भी 3 गुनी ज्यादा है. आंकड़े के अनुसार दिल्ली में पिछले वर्ष 2015-16 में प्रतिव्यक्ति आय जहां 2 लाख, 73 हजार के करीब थी, अब बढ़कर 3 लाख, 3 हजार, 73 रूपये होने का अनुमान रखा गया है. दिल्ली में प्रतिव्यक्ति आय औसतन 10.76 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. प्रतिव्यक्ति आय के राष्ट्रीय रैंकिंग में दिल्ली जहां सर्वोच्च पर है वहीं गोवा दूसरे और चंडीगढ़ तीसरे पायदान पर धकेल दिया गया है.
यही वह कारण है जिससे जुमलें गढ़ने में माहिर केन्द्र की मोदी सरकार दिल्ली सरकार से घबरा रही है. वह ऐन-केन-प्रकारेण दिल्ली सरकार को बदनाम करना चाह रही है. नित भाड़े के टट्टू को खरीदकर दिल्ली सरकार पर हमले करवा रही है. किसी भी तरह वह दिल्ली सरकार को भी अपने ही जैसा भ्रष्ट साबित करना चाह रही है. प्रयास के इसी कड़ी में नया टट्टू कपिल मिश्रा, जिसके अनर्गल, झूठ और अहंकारी प्रलापों को तो सुना भी नहीं जा सकता, तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया दिन-रात लाईव प्रसारित कर रहा है. पर जब केन्द्र की मोदी सरकार अपनी सारी ताकत आम आदमी पार्टी जैसे छोटी और केन्द्रशासित प्रदेश की दिल्ली सरकार को खत्म करने पर लगा रही हो तो यह सहज ही समझा जा सकता है कि केन्द्र की मोदी सरकार जो हर दिन लगभग चुनावी मोड में रहती है, के दिन लद गये हैं, कि अब वह आम आदमी के हित में कतई नहीं है.
Sayed Jubair
May 17, 2017 at 6:22 pm
Ek Chaye wale or IIT Engineer me fark hota hai… Sir