काली रात में चोर, डाकू और हैवानों का साम्राज्य होता है. डरावनी चलचित्रों में भी रात के अंधेरे में ही भूत-पिशाच और शैतान बाहर निकलता है और जनमाल का भारी नुकसान पहुंचाता है. शैतानों की आत्मा रात के अंधेरों में ही क्यों मंडराती है, इसका तो जबाव नहीं मिलता पर हमारी सरकार अपने तमाम जनविरोधी फैसले रात के अंधेरे में ही करती है. सुबह होते ही लोगों को पता चलता है कि सरकार ने फलाना फैसला लिया है और वो अब लागू हो जायेगा. आखिर ऐसा हो क्यों नहीं ? हमारी आजादी भी तो रात के अंधेरे में ही चुपके से आ गई थी. गुलामी में सोने गये लोग सुबह की आजादी में अपनी आंखें खोली. सवाल उठता है आखिर रात के अंधेरे में ऐसी क्या खासियत होती है कि सरकार चोरों और डाकुओं की तरह रात के अंधेरे में फैसला लेती है.
बात शुरू करते हैं हमारी आजादी की खौफनाक रात से. अंग्रेजों के बनाये नियमों के अनुसार जब हमारे पूर्वज सुबह अपनी आंखें खोले तो मालूम हुआ कि आजाद हो गये. अचानक से यह कैसे हो गया ? सवाल उठाने वालों इससे पहले कि समझ पाते साम्प्रदायिक दंगों ने धरती को रंगना शुरू कर दिया.
चलिए यह तो हुई पुरानी बातें. नई बात यह हुई कि आधी रात को हमारी बहादुर भारत सरकार ने जी0एस0टी0 बिल को पारित कर दिया. अब ऐसी क्या बला आ गई कि इसे आधी रात को पारित करना पड़ा ? जबकि अगली सुबह अनेक सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि हम इस बिल को पढ़े तक नहीं है, तो फिर पारित कैसे हो गया ? सवाल को थैली की नीचे दबा दी जायेगी या दबा दी गई है. पर हम सवाल उठाने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसा ही हमारी सरकार कहती है. तो सवाल है कि रात के अंधेरे में आखिर क्या जरूरत पड़ गयी इस जी0एस0टी0 बिल को पारित कराने की ?
जबाव यह है कि यह बिल भी शैतानों की ही तरह जनविरोधी है. जनता के जान-माल को नुकसान पहुंचाने, आम आदमी का खून पीने और काॅरपोरेट घरानों का और ज्यादा थैली भरने के लिए यह बिल लाया गया है.
जानकार बतातें हैं कि यह बिल अंग्रेजों और जमींन्दारों के द्वारा लोगों से लगान वसूलने के लिए अपनायी गई जुल्म की मध्ययुगीन दास्तान याद दिला जायेगी कि किस तरह जमीन्दार लोगों की पूरी की पूरी जमीन और मकान हड़प लेते थे, उसके बावजूद उसका कर्जा बकाया रहता था. इसकी कहानी हम विभिन्न माध्यमों से जानते हैं. तो अब उसी तर्ज पर नया जमींदार हमारा यह वित्तमंत्री अरूण जेटली ने सोमवार की आधी रात को यह जी0एस0टी0 (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर) बिल लाया है.
इस प्रावधानों के अनुसार जेटली ने व्यवस्था दी है कि जिस कारोबारी के यहां जी0एस0टी0 बकाया रहेगा, उसके रूपये, पैसे, जमीन, जायदाद, धन-दौलत यहां तक कि उसके घर-बार तक पर पहला हक सरकार के वसूली विभाग का होगा. दूसरे अर्थ में कहा जाये तो अगर उसे किसी को उधार देने हैं या बैंक का कर्ज जमा करना है तो भी वो जी0एस0टी0 चुकाने के बाद अगर कुछ पैसे बच गये तो ही जमा करेगा. अगर उस कारोबारी को कहीं से कोई आय आने वाली भी है तो वह भी जी0एस0टी0 आॅथरिटी जब्त कर लेगी. यही नहीं उसकी बीमा राशि पर भी जी0एस0टी0 आॅथरिटी का ही कब्जा होगा.
जमींदार वित्तमंत्री जेटली के द्वारा पेश किये गये जी0एस0टी0 विधेयक, 2017 में जी0एस0टी0 वसूली के संबंध में ऐसे ही कड़े प्रावधान जोड़े गये हैं. केन्द्रीय जी0एस0टी0 की धारा 79 के अनुसार अगर किसी कारोबारी पर जी0एस0टी0 बकाया है तो उस कारोबारी के पोस्ट-आॅफिस और बैंकों के खाते सहित बीमा कंपनी आदि से मिलने वाली राशि से जी0एस0टी0 वसूला जायेगा. इसके अलावे जिस व्यक्ति पर जी0एस0टी0 बकाया है अगर वह अपनी संपत्ति बेच भी देता है तो केन्द्रीय जी0एस0टी0 के प्रावधान की धारा 81 की तहत वह बिक्री खारिज मानी जायेगी और सम्पत्ति पर सरकार का कब्जा हो जायेगा.
एक जुलाई से जी0एस0टी0 लागू होने पर अन्य अनेकों प्रकार की सेवाओं पर जी0एस0टी0 लागू की जायेगी. यहां तक कि मकान किराया पर देने, निर्माणाधीन मकान खरीदने के लिए चुकायी जा रही ई0एम0आई0 पर भी जी0एस0टी0 लागू होगा.
सवाल उठता है कि जी0एस0टी0 जैसे बिलों को आखिरकार अंधेरी रात में ही क्यों पारित कराया जाता है. स्वभाविक है अगर बिलों पर तय नियमानुसार बहस के टेबल पर लाया जायेगा तो काॅरपोरेट घरानों के सेवार्थ लाये जा रहे जी0एस0टी0 बिल की पोल आम जनता के बीच खुल जायेगी और संभावित कठिनाई पैदा हो जायेगी. यही कारण है कि शैतानी जनविरोधी जी0एस0टी0 बिल का भी आगमन शैतानों और भूत-प्रेतों की तरह रात के अंधेरों में हुआ है.
cours de theatre
September 30, 2017 at 5:37 pm
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