अरसे पहले मुम्बई पुलिस ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के छात्र-संगठन से जुड़े दो छात्र जिसमें एक छात्रा थी, को उठा कर ले गई. जब पुलिस को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और कोई भी आरोप तय नहीं कर पायी तब उस छात्र पर उस साथी छात्रा के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा कर जेल में डाल दिया. जबकि वह साथी छात्रा बार-बार पुलिस और न्यायालय के समक्ष चीख-चीख कर कहती रही कि उक्त छात्र मेरा साथी है और उसने ऐसा कोई काम नहीं किया है, परन्तु पुलिस और न्यायालय बहरी बनी बैठी रही. उसके कान पर जंू तक नहीं रेंगी और छात्र जेल में सड़ता रहा.
ताजा प्रकरण चुनाव हार चुके अरूण जेटली जैसे महाभ्रष्ट केन्द्रीय वित्त मंत्री के द्वारा मानहानि के मुकदमें में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठतम वकील राम जेठमलानी के ‘‘भारी भरकम’’ फीस (तकरीबन 3.86 करोड़ रूपये) को लेकर है. जेटली और दलाल मीडिया के कोहराम के बीच राम जेठमलानी बार-बार कह रहे हैं कि ‘‘मैं केवल पैसे वालों से फीस लेता हूं. 90 प्रतिशत गरीब क्लांइट्स को मुफ्त सेवा देता हूं. दिल्ली सरकार या केजरीवाल फीस नहीं दे पाते हैं तो मैं मुफ्त में लडूंगा. मैं उन्हें गरीब क्लाइंट मानूंगा. वह जेटली के मुकाबले बेहद पाक-साफ हैं. यह सब अरूण जेटली का किया कराया हुआ है, जो केस में उनके द्वारा किए गए क्राॅस एक्जामिनेशन से डर गए हैं.’’ परन्तु देश के दलाल मीडिया के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है और लगभग साढ़े तीन करोड़ रूपये के ‘‘भारी’’ फीस को ‘‘जनता के टैक्स के पैसे’’ से चुकाने की बात कह कर एंकर गला फाड़ रहा है मानो यह कोई नायाब काम कर दिया गया हो ? शायद जेटली और भारतीय जनता पार्टी ने मीडिया को मोटी थैली गिफ्ट किया है.
बताते चलें कि डी0डी0सी0ए0 में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के आरोपी अरूण जेटली पर सवाल उठाने वाले भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद कीर्ति आजाद ने ताल ठोक कर जेटली को भ्रष्ट बताया था और सारे पुख्ता सबूत पेश किये थे. पर किसी ने उनकी न सुनी. पर जब भ्रष्टाचार के इस सड़ांध को अरविन्द केजरीवाल ने रि-ट्विट किया तो एकबारगी हंगामा बरपा हो गया. मीडिया के आंखें खुल गयी और तो और पिछले दरवाजे से बने मंत्री बने केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली का ‘‘मान-हानि’ भी हो गया और लगे हाथ उसने अरविन्द केजरीवाल पर मान-हानि का मुकदमा दर्ज करा दिया.
मुकदमें के एक सुनवाई के दौरान रामजेठमलानी के एक सवाल के जवाब में अरूण जेटली ने साफ तौर पर कहा था, ‘‘पब्लिक लाईफ में रहने वाले लोगों के लिए सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना बयान आते रहते हैं लेकिन जब कोई मुख्यमंत्री ऐसे बयानों की पुष्टि करता है तो ये गंभीर अपराध हो जाता है क्योंकि फिर ये बयान सही माने जाते हैं.’’ अर्थात्, अरूण जेटली ने यह मुकदमा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल पर नहीं वरन् दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर लगाये हैं. तब यह साफ हो जाता है कि इन मुदकमों का खर्च वहन भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ही करेंगे न कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल. अर्थात्, इन मुकदमों के खर्च का वहन दिल्ली सरकार करेंगी क्योंकि कोर्ट के समक्ष जेटली के दिये गये बयान से यह साफ होता है कि अगर अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री न होते तो वे मानहानि का मुकदमा नहीं करते.
यह तो हुई मुद्दों की बात. देखते हैं आखिर क्यों भारतीय जनता पार्टी अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ अपराध के स्तर तक जाकर गुनाह कर रही है ? दरअसल भारतीय जनता पार्टी को अरविन्द केजरीवाल के रूप में अपना अंत दिख रहा है. अतएव वह अरविन्द केजरीवाल से जुड़े किसी भी मामले को तिल से ताड़ करने में नहीं चूकता. रेत से तेल निकालने की कोशिश करता रहता है. विगत दिनों भारतीय जनता पार्टी ने डी0डी0सी0ए0 के भ्रष्टाचार में फंसे अपने भ्रष्ट वित्त मंत्री जेटली को दिल्ली के मुख्यमंत्री के जांच से बचाने के लिए ही सी0बी0आई0 सहित सभी महकमों का इस्तेमाल किया है, जिसमें अरविन्द केजरीवाल के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार को गिरफ्तार कर प्रताड़ित करना और जेल में डालने जैसे मामले सामने आये हैं. वकौल राजेन्द्र कुमार उन पर किसी भी मामले में अरविन्द केजरीवाल का नाम लेने का बार-बार दबाव बनाया जाता रहा ताकि अरविन्द केजरीवाल को पकड़ कर जेल में डाला जा सके और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कुन्द किया जा सके और भारतीय जनता पार्टी का जीवन कुछ और लम्बा किया जा सके.
मामले पर पुनः आते हुए भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री शिव राज सिंह पर एक नजर डालते हैं, जिसके कोर्ट में पैरवी हेतु नियुक्त किये गये वकील के एक पेशी की फीस 11 लाख रूपये है, जिसका भुगतान सरकारी पैसों से किया जाता है. वहीं 2014 ई0 में गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने 100 करोड़ रूपये का निजी इस्तेमाल हेतु जेट विमान सरकारी पैसों से ही खरीदा था. पर शायद यह ‘‘जनता के टैक्स’’ पैसा नहीं था. भ्रष्टाचार करके करोड़ों डकार जाने वाला पैसा भी शायद जनता के टैक्स का पैसा नहीं होता. उससे भी अब्बल विज्ञापन के नाम पर करोड़ों निगल जाने वाला मीडिया और 100 करोड़ का घूस मांगने वाला पत्रकार का पैसा भी ‘‘जनता के टैक्स का पैसा नहीं होता. जनता के टैक्स का पैसा होता है तो केवल भ्रष्टों के खिलाफ लड़ने वाले अरविन्द केजरीवाल द्वारा कोर्ट में दिये जाने वाला ही पैसा ही !!
आखिर भारतीय जनता पार्टी और भारतीय मीडिया अपने झूठ से पुलिंदों से किसको मूर्ख बनाना चाहती है ?
Nashim Ansari
April 8, 2017 at 4:02 am
फासीवाद सबसे पहले न्याय को मारता है और अंततोगत्वा यही न्याय फासीवाद को मारता है संघर्ष जारी रहनी चाहिए
Vinod Pandey
April 10, 2017 at 3:21 am
अरुण जेटली की भ्रष्टता जग जाहिर है,हर ब्यापारी अपने माल को अच्छा बताता है,वही बीजेपी कर रही है