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फ़िज़ा

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जहां कम्युनिस्ट पार्टी का दफ़्तर था
चाय की दुकान है
चौराहे पर जहां पार्क था
हनुमान मंदिर है

नमाज ही नहीं
सार्वजनिक स्थलों पर
हनुमान चालीसा पाठ
अब नये चलन में है
फ़िज़ा में न लोबान है
न कपूर घी
बस बारूदी गंध है

चौराहे पर जो लेनिन की
मूर्ति थी, गिरा दी गई
यह तय नहीं हो पा रहा है कि
मूर्ति अब किसकी लगनी है
आख़िर आयातित मूर्तियां
कब तक लगायी जाती रहेंगी

इतिहास ने कितना पक्षपात किया
जिससे लड़ना था
जिस दुश्मन के विरुद्ध लड़ना था
उसे मित्र लिखा
जो अस्ल नायक थे
उन्हें खलनायक बना दिया

रेल पटरियां हैं, लेकिन
माल गाड़ी कभी नहीं आती
वहां गड़े तंबुओं में
हिमालयन जड़ी बूटी बिकती है
नामर्दी सहित सेहत संबंधी
सारी बीमारियों का इलाज है

ये सुविधानुसार हथियायी गई
बिना कागज पत्तर की दुकानें हैं
ज़ंग खाई रेल पटरियों पर
कोई एम्स तो आनेवाला है नहीं
सिफ़लिस से लेकर स्वप्न दोष
तक का इलाज इन्हें ही करना है

  • राम प्रसाद यादव

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ROHIT SHARMA

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