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गुंडे और अपराधियों के भीतर इस खौफ का होना अच्छा है

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मौत के डर से नाहक़ परेशान हैं
आप ज़िंदा कहां हैं जो मर जायेंगे. – अंसार कम्बरी

पंजाब समेत समूचे देश के बहादुर बेटों की न्यायपूर्ण मांगों से खौफजदा करोड़ों लोगों की मौत, पीड़ाओं पर अट्टहास करने वाले अपराधियों के सरगना नरेन्द्र मोदी जब दसियों हजार सैन्य सुरक्षाकर्मियों के बीच रहकर अपनी मौत से खौफजदा है, तब यह उन गुंडों के लिए एक स्पष्ट संकेत है, जो सत्ता की गलियारों में घुसकर आम जनता पर जुल्म ढ़ाने में जरा भी संकोच नहीं करते.

पहले एक कहावत थी – गुंडे की आयु 7 वर्ष होती है. फिर गुंडों ने अपनी जीवन शक्ति बढ़ाने के लिए सत्ता के साथ हाथ मिलना शुरू किया. फिर एक वह दौड़ भी आया जब इन अपराधियों और गुंडों ने बकायदा देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया. 2014 में हुई सत्ता परिवर्तन इसी का प्रतीक था.

2014 में अपराधियों के सरगना नरेंद्र मोदी के सत्ता पर काबिज होते ही देश के तमाम अपराधियों, बलात्कारियों, भ्रष्टों की बांछें जहां खिल गई वहीं पढ़े लिखे और मेहनतकश तबकों के जमीन और जमीन का सौदा किया जाने लगा. जो इस सौदेबाजी के विरुद्ध थे जेलों में डालकर मारा जाने लगा. फादर स्टेन स्वामी इसका एक उदाहरण थे.

सरकारी व कंपनियों के विचारकों के अनुसार भारत ‘मंदबुद्धि लोगों का देश’ है शायद इसीलिए वो मानते जानते है कि लोग बारीक बातों की नासमझी के कारण खामोश ही रहेंगे.

भारतवासियों को ‘मंदबुद्धि’ का मानने वालों मे भारतीय गृह मंत्रालय के तहत नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) विभाग के मुखिया रहे कैप्टन रघुरमन भी है. कैप्टन रघुरमन पहले महिंद्रा स्पेशल सर्विसेस ग्रुप के मुखिया थे और बॉम्बे चैम्बर्स ऑफ़ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स की सेफ्टी एंड सेक्यूरिटी कमिटि के चेयरमैन थे. इनकी मंशा का पता इनके द्वारा ही लिखित एक दस्तावेज से चलता है, जिसका शीर्षक ‘ए नेशन ऑफ़ नम्ब पीपल’ अर्थात् असंवेदनशील मंदबुद्धि लोगों का देश है.

’मौत के डर से नाहक़ परेशान हैं
आप ज़िंदा कहां हैं जो मर जायेंगे.
– अंसार कम्बरी

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