युद्ध पिशाच देश की सत्ता पर विराजमान है. युद्ध की लालासा लिये देश आज चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. इस चुनाव में सत्ताधारी भाजपा-आरएसएस के पास गिनाने के लिए कोई काम नहीं है सिवा युद्ध की लालसा के. लाख जतन करने के बाद भी देश में दंगा नहीं छिड़ रहा है. सोशल मीडिया पर बिठाये दंगाई और मुख्य धारा की मीडिया के जी-तोड़ प्रयास के बाद भी देश में दंगा नहीं छिड़ पा रहा है. देश की सीमा पर सीआरपीएफ के 44 जवानों की हत्या के बाद पाकिस्तान का ही एक मात्र सहारा था, ताकि देश को युद्ध के नाम पर एकजुट कर एक बार फिर सत्ता पाई जा सके. मुख्यधारा की मीडिया ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर देश को युद्धोन्माद में झोंकने का प्रयास किया.
देश के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान नरेन्द्र मोदी सीआरपीएफ के जवानों की हत्या के बाद विदेशी चैनल ‘डिस्कवरी’ के एक शूटिंग में व्यस्त थे. लोगों ने प्रधानमंत्री का चुनाव किया था, पर यह तो डिस्कवरी चैनल के लिए एक ‘जानवर’ बन गये, जिसे बेचकर डिस्कवरी चैनल वाले पैसे कमायेंगे. डिस्कवरी चैनल से मुक्ति पाने के बाद देश के प्रधानमंत्री सीआरपीएफ के जवानों की हत्या के कई घंटे बाद जमकर नाश्ता किये और फिर धुआंधार चुनाव प्रचार में निकल गये. देश को राष्ट्रवादी युद्धोन्माद में झोंकने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय पायलट अभिनंदन को एक हवाई हमले में पकड़ लिया और इस राष्ट्रवादी युद्धोन्माद की हवा निकाल दी. लगे हाथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खां ने पाकिस्तानी संसद में अपने 22 मिनट के स्पीच में एक ओर जहां नरेन्द्र मोदी और इस मुख्यधारा के इस चुनावी राष्ट्रवादी युद्धोन्माद पर कड़ा प्रहार किया, वहीं अभिनंदन को रिहा कर अपने शांति के पैगाम को पुरजोर तरीका से दुनिया के सामने रखा और देश की सत्ता पर विराजमान इस युद्धपिशाच को बेनकाब कर दिया.
इस युद्ध पिशाच को बेनकाब करने की इस कड़ी में सोशल मीडिया ने अपना शानदार भूमिका निभाया. यही कारण है कि सोशल मीडिया के जनवादी स्वरूप पर आरएसएस-भाजपा की भृकुटि तनी हुई है और इसको नियंत्रित करने के एक-से-एक तरीके आजमा रही है. सोशल मीडिया पर लिखने वाले लोगों को उठाकर जेलों में बंद करना, उसके खिलाफ अपने भक्तों की गाली-गलौज करने वालों की टीम को छोड़ना, दंगाईयों को उकसाना आदि जैसे कारनामे करने के बाद भी सोशल मीडिया पर युद्ध के खिलाफ लिख रहे लोगों की कमी नहीं है.
वक्त के ऐसे ही अंतराल में सोशल मीडिया पर अप्रवासी भारतीय अवि डांडिया ने एक खुलासा किया है, जिससे न केवल देशवासी थर्रा उठा है बल्कि इस युद्धपिशाच का खूनी चेहरा जगजाहिर हो गया है. हां, यह भी सच का एक आयाम हो सकता है कि अवि डांडिया द्वारा सोशल मीडिया पर खुलासा किया गया एक ऑडियो टेलिफोनिक बातचीत एडिटेड हो, पर अगर इसमें जरा भी सच्चाई का पहलू हो तो यह इस देश के लिए भयानक सच है, जिसका नंगा चेहरा उजागर हुआ है. यहां हम अवि डांडिया द्वारा दिये गये टेलिफोनिक ऑडियो बातचीत का लिखित स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे देश के लाखों-करोड़ों लोगों ने देखा है और लगातार शेयर भी किया है :
अमित शाह – देश की जनता को गुमराह किया जा सकता है और हम मानते भी है चुनाव के लिए युद्ध करने की ज़रुरत है.
अनजान महिला – आपके कहने से ये तो नहीं होता है अमितजी बिना मुद्दे के आप युद्ध कैसे करेंगे. अगर आतंकवादी हमला करते है तो आतंकवादी हमले की करवाई हो सकती है.
राजनाथ सिंह – जवानो के सवाल पर हमारी देश बहुत सेंसेटिव है, बहुत संवेदनशील है भावना उनके अंदर कूट कूट कर भरी है.
अनजान महिला – देश के जवानो को शहीद करवाना है ?
राजनाथ सिंह – काम के लिए कमज़ोर होते है ?
अनजान महिला – एक-दो से कुछ भी नहीं होगा, उरी किया था कुछ भी नहीं हुआ. अभी चुनाव है, देश की सुरक्षा को लेके आप बड़ा मुद्दा बना सकते है. उसपे राजनीति खेलिए.
राजनाथ सिंह – देश की सुरक्षा से जुड़े हुए सवालो पर इस तरह की राजनीती की जानी चाहिए.
अनजान महिला – राजनीति के लिए आप युद्ध करना चाहते है ? एक काम करते है कश्मीर में या कश्मीर के आस पास…
राजनाथ सिंह – जम्मू और श्रीनगर
अनजान महिला – वहा ब्लास्ट करेंगे, कुछ आर्मी डेड, कुछ पैरामिलिटरी फोर्सेज डेड, या कुछ CRPF डेड. एक 100-50 जवान मरेंगे तो सारे देश के देशभक्ति एक जगह हो जाएगी…
ट्रैक बदला … म्यूजिक
राजनाथ सिंह – बहादुर जवानो के शहादत पर इस तरीके की राजनीति आनी चाहिए.
अनजान महिला – क्या गन्दी पॉलिटिक्स है अमित जी ?
अमित शाह – नहीं, ये पॉलिटिक्स नहीं है भाई.
अनजान महिला – तो फिर है क्या ये ? पॉलिटिक्स ही है गन्दी पॉलिटिक्स.
अमित शाह – मुझे सीधा पूछ रहे हो ? सुनिए अब, क्यों हुआ कैसे हुआ.
अनजान महिला – मुझे नहीं सुनना है अमित जी, वैसे भी मैं नहीं करुंगी तो कोई और कर देगा. बॉम ब्लास्ट करवाना है बॉम ब्लास्ट करवा देते हैं. आप लोग जैसे चाहते है वैसा हो तो जाएगा. देश के जवान शहीद होंगे उनके घर का माहौल क्या होगा, आपने कभी सोचा है उसके बारे में ?
अमित शाह – देश के हर सैनिक घर का वातावरण क्या होगा ?
अनजान महिला – खौफ बैठ गया है और क्या ?
अमित शाह – डर बैठ रहा है, खौफ बैठ रहा है, और कोई रास्ते नहीं होते.
अनजान महिला – रास्ते तो बहुत होते है अमित जी, EVM था न आपके पास, ये सैनिकों को मरवाना जवानो को मरवाना ये मुझे समझ में नहीं आ रहा है. फिर भी आप चाहते हैं तो ब्लास्ट करवा देंगे. सौ पचास जवान मरेंगे, वैसे भी आप ही कहते हैं ना जवान सेना में भर्ती होते हैं शहीद होने के लिए लेकिन दुश्मन के साथ अब आप लोग भी दुश्मन बने हुए हैं सेना के तो कौन क्या कर सकता है ?
अमित शाह – ऐसा ही होगा हम कैसे बदल सकते हैं उसको ?
अनजान महिला – मुझे बहस नहीं करनी आपसे, काम कर देंगे, पैसे भिजवा दीजियेगा और 12, 13 फरवरी तक ये सारा कुछ ताम-झाम करके आपको मैं फिर फ़ोन करती हूँ. पैसे भिजवा दीजियेगा.
अमित शाह – मै बताता हूं.
अवि डांडिया द्वारा वायरल किया गया टेलिफानिक बातचीत का वीडिया
अगर सवाल उठ रहे हैं तो, उसका जवाब भी सम्बन्धित सत्ता को दिया जाना चाहिए. केवल फेक है, फर्जी है कहकर बातें टाली नहीं जा सकती क्योंकि अवि डांडिया जिस दृढ़ता से इस सवाल को उठा रहे हैं कि उन्हें खरीदने की कोशिश हो रही है, वह एक जांच के वगैर संभव नहीं है. अब यह अलग बात है कि हमारी जांच एजेंसियों की निष्पक्षता कितनी संदिग्ध है, यह अब किसी से छुपी नहीं है.
बोधसत्व की कविता में युद्ध की लालसा लिये शासकों का चेहरा देखा जा सकता है :
तुम मुझे वोट दो
मैं तुम्हें युद्ध दूंगा
लहू लुहान भव्य देश दूंगा
और विराट देश को झुकने नहीं दूंगा
मैं देश को बेच दूंगा लेकिन उसे बंटने नहीं दूंगा तिनका तिनका कर दूंगा
चिथड़े उड़ा दूंगा लेकिन मिटने नहीं दूंगा
बस ध्यान से तुम मुझे वोट दो
दो वोट दो!
तुम बूथ मजबूत करो और मुझे वोट दो
तुम मुझे खून दो खौलता हुआ खून
मेरे नाम का जयकारा लगाओ
मैं तुम्हें भाषण और नारे में लिपटा महायुद्ध दूंगा।
क्योंकि
युद्ध तुम्हारी समस्यायों का निदान है
युद्ध हमारी समस्यायों का निदान है
हर मुश्किल पर बारूद गिरा दो
हर विचार पर बारूद गिरा दो
हर बात पर बारूद गिरा दो
भविष्य पर बारूद गिरा दो
सपनों पर बारूद गिरा दो
और मिल कर बोलो
बारूद ही भविष्य है
युद्ध ही भविष्य है
तो लो
यह युद्ध लो युद्ध लो युद्ध लो लो लो युद्ध लो
वोट दो वोट दो वोट दो वोट दो वोट दो दो!
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