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विश्वगुरू बनते भारत की पहचान : एबीवीपी के गुंडों से पैर छूकर मांफी मांगते गुरू

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विश्वगुरू बनते भारत की पहचान : एबीवीपी के गुंडों से पैर छूकर मांफी मांगते गुरू

देश को विकसित करने का एकमात्र मूल मंत्र है – शिक्षा. एक शिक्षित नागरिक ही देश को मजबूत और विकासित बना सकता है. चूंकि देश की सत्ता पर काबिज आरएसएस के ब्रांच संगठन भाजपा मनुस्मृति को देश के संविधान की जगह रखना चाहता है, इसके लिए जरूरी है देश को विकसित होने से रोका जाये. इसके लिए देश के नागरिकों को शिक्षित होने से रोकना प्राथमिक शर्त है. इसके लिए मोदी सरकार देश में शिक्षा की व्यवस्था को जड़ समेत उखाड़ फेंक रही है. देश के तमाम शिक्षण संस्थानों को बर्बाद करने के लिए एक से बढ़कर एक कदम उठा रही है.

बिना गुरू के विश्वगुरू बनने का फर्जी सपना देश को दिखाने वाले शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव से लेकर शिक्षकों के पदों को खत्म करना, उसके लिए वित्तीय सहायता को खत्म करना, विद्यालय-विश्वविद्यालयों को सिरे से खत्म करने से लिए उसे शिक्षण संस्थानों की जगह सैन्य छावनी में बदलने की जद्दोजहद से आगे बढ़कर अब शिक्षकों को देशद्रोही-राष्ट्रद्रोही कहकर पीटना, उसकी हत्या करना, और अब तो हालत यह हो गई है कि शिक्षकों को अपनी जान बचाने के लिए एबीवीपी के गुंडों से पैर छूकर माफी मांगनी पड़ रही है.

“हम नारे लगाते जा रहे थे. सर ने रोका, यह उनकी गलती है. उनका माइंड डिस्टर्ब था इसलिए उन्होंने सभी के पैर पकड़कर माफी मांगी.” हिंदुत्ववादी संस्कारों और राष्ट्रीयता से भरे ये वाक्य मंदसौर विद्यालय के एबीवीपी के कॉलेज अध्यक्ष राधे गोस्वामी के हैं. आपको ये बेहद आपत्तिजनक और शर्मनाक लग सकते हैं तो इसमें गलती आपके सोच की है.

बात बेबात गुरु के लिए गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ मंत्र का जाप करने वाले और शिक्षा के नाम आते गुरु-शिष्य परंपरा की दुहाई देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का एक शिष्य संगठन है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी).

हाल -फिलहाल तो ऐसा कोई यूनिवर्सिटी ऐसा कोई महाविद्यालय नहीं बचा जो इनके आतंक से त्रस्त न हो. ताजा मामला के मध्य प्रदेश के मंदसौर का है, जहां क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे प्रोफेसर ने डिस्टर्ब होने पर नारे लगाने से रोक दिया सिर्फ इसलिए एबीवीपी के संस्कारी छात्रों ने राष्ट्रद्रोही कहकर न सिर्फ प्रोफेसर को संबोधित किया बल्कि उन्हें राष्ट्रद्रोह के केस में फंसाने की धमकी देकर पैरों में गिरकर माफी भी मंगवाई.

घटनाक्रम के मुताबिक बुधवार 26 सितंबर की दोपहर एक बजे एबीवीपी कार्यकर्ता महाविद्यालय पहुंचे. वे ज्ञापन देने से पहले पूरे कॉलेज में नारेबाजी करते हुए घूमते रहे. नारों से व्यावधान पड़ने पर एकाउंट्स की क्लास ले रहे प्रो. दिनेश गुप्ता ने एबीवीपी के छात्रो को नारे लगाने से रोका, जिसके बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य आरके सोहोनी को ज्ञापन दिया और प्रो. दिनेश गुप्ता पर भारत माता की जय के नारे नहीं लगाने देने का आरोप लगाने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रद्रोही कहा.

प्रो. दिनेश गुप्ता ने क्लास में पढ़ने—पढ़ाने में खलल पड़ने की दलील दी. तिस पर एबीवीपी के गुंडे भड़क गए और उन्हें राष्ट्रद्रोही बताते हुए उनके खिलाफ सेडिशन का केस दर्ज कराने की धमकी दी. पूरी घटना से प्राचार्य इस कदर सहम गए कि वहीं खड़े होकर वो खुद भी भारत माता की जय के नारे लगाने लगे. इस बात पर एबीवीपी के गुंडों ने प्रो. गुप्ता से माफी मंगवाने के लिए कहा.

प्राचार्य को इस कदर सरेंडर करते देख प्रो दिनेश गुप्ता के भी हाथ पांव फूलने लगे. बिहार के मोतिहारी में प्रोफेसर संजय कुमार की लिंचिंग की वो बर्बर घटना ज़रूर उनके जेहन में रही होगी, तभी तो बिना तनिक समय गंवाये वो एबीवीपी के गुंडों के पैर पड़कर माफी मांगने में लग गए. हालांकि वहां मौजूद प्रो. बीएल नलवाया ने उन्हें रोकने का प्रयास भी किया.

वहीं घटना के बाद प्रो दिनेश गुप्ता का कहना है कि “एबीवीपी के छात्र मुझे देशद्रोही बोल रहे थे. क्या करता पैरों में गिर गया कि मैं ऐसा नहीं हूं. मुझ पर प्रकरण भी दर्ज कराना चाहते थे. ये विद्यार्थी हैं ही नहीं. ये कभी क्लास नहीं आते, केवल नेतागीरी करते हैं. कार्रवाई जैसी कोई बात मेरे मन में नहीं है.”

वहीं उस शर्मनाक घटना के समय मौजूद एक और एबीवीपी छात्र पवन शर्मा का कहना है कि – “उस समय मुझे नहीं मालूम था सर ऐसा क्यों कर रहे हैं. मुझे बहुत बुरा लगा. मैंने उन्हें रोका भी, लेकिन वे नहीं माने. मैंने खुद उनके पास जाकर माफी मांगी है. मैंने साथियों से बात की है. उनका कहना है कि सर ने भारत माता की जय बोलने से रोका, जिससे वे नाराज हुए.”

ये भाजपा के छात्र है. ये एबीवीपी के छात्र हैं. इनके यहां शिक्षकों से पैर में गिराकर माफी मंगवाई जाती है. यही इनके संस्कार हैं. इसी संस्कार की दुहाई देते हैं वो. इसी के बूते वो विश्वगुरू बनेंगे.

  • एक रिपोर्ट के आधार पर

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