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विकास की तलाश में बन गया भूखमरों का देश भारत

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अन्तराष्ट्रीय संस्था ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2017’ ने अपने सर्वे में भारत को भुखमरों की पायदान में 100वें स्थान पर पाया जबकि यही संस्था 2014 में भारत को 55वें, 2015 में 80वें और 2016 में 97 स्थान पर पाया था. 2014 ई. में गाजे-बाजे के साथ ‘विकास’ का शोर मचाते भाजपा के सत्ता में आने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ‘विकास’ को जुमला बात दिया. अन्तर्राष्ट्रीय रैंकिंग में भारत के भुखमरों के देश में लगतार बढ़ते रैंकिंग इस बात के सबूत हैं कि 2014 के बाद से भाजपा वह देश की जनता को लगातार दिग्भ्रमित करते हुए उसके हितों के विरोध में काम कर रही है अर्थात् देश नकारात्मक दिशा में विकास कर रहा है.

उक्त संस्था के सर्वे के अनुसार श्रीलंका और बंगलादेश भी हमारे मुकाबले बेहतर स्थिति में है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2017 में नेपाल 72वें स्थान पर तो म्यामांर 77वें, श्रीलंका 84वें और बांग्लादेश 88वें स्थान पर हमारे अपेक्षा बेहतर स्थिति में है. जिस चीन के खिलाफ भाजपा लगातार कोहराम मचाती है, वह इस सर्वे में 27वें स्थान पर है. इन्टरनेशनल फुड पाॅलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘बच्चों में कुपोषण की उच्च से देश में भूख कर स्तर इतना गम्भीर है’. भूखमरों का देश भारत किस प्रकार चीन जैसे देश से टकराने का साहस कर सकता है ? या अपनी तुलना ही कर या करवा सकती है ? हम जिस तेजी के साथ विकास के निम्नतम् पायदान की ओर दौर रहे हैं, वह देश को भूखमरों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर पहुंचाने के लिए पर्याप्त है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स अपने जिन चार संकेतकों को ध्यान में रखते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की है, वह है –

1. आबादी में कुपोषणग्रस्त लोगों की संख्या
2. बाल मृत्यु दर
3. अविकसित बच्चों की संख्या
4. अपनी उम्र की तुलना में छोटे कद और कम वजन वाले बच्चे

भारत मेें हर साल अकेले कुपोषण का शिकार होकर 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. तकरीबन 10 करोड़ बच्चों को स्कूल जाना नसीब नहीं होता. सेव द चिल्ड्रेन की ओर से ऐसे देशों की एक सूची जारी की गई है, जहां बचपन खतरे में है. इस सूची में भारत पड़ोसी देश म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और मालदीव से भी पीछे 116 वें स्थान पर है. सेव द चिल्ड्रेन यह सूचकांक बाल स्वास्थ्य, शिक्षा, मजदूरी, शादी, जन्म और हिंसा समेत विभिन्न आठ पैमानों को आधर बनाकर करती है.

भूमंडलीय भूखमरी पर यूएन की ताजा रिर्पोट में बताया गया है कि दुनिया में भूखों लोगों की करीब 23 फसदी आबादी भारत में रहती है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भूखमरी के कारणों में युद्ध, हिंसा, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा आदि की बात करती है लेकिन इसका मुख्य कारण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर साम्राज्यवादियों के हितों में बनाई गई व्यवस्था है, जिसमें विश्व की तमाम आबादी के कमाई का दोहण-शोषण कर पूरा-पूरा इंतजाम किया गया है. इसके साथ ही देश की दलाल शासक वर्ग, जो साम्राज्यवादियों की दलाली में देश की जनता को लूटती रहती है.

2014 में देश में आई नरेन्द्र मोदी की खूख्वार दलाल भाजपा की सरकार ने अब तक के सारे कीर्तिमान को ध्वस्त कर दिया है. देश में हिंसा, भूखमरी, बेरोजगारी हर रोज तेजी से बढ़ती जा रही है. भ्रष्टाचार की तेज धार ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. ऊपर से भ्रष्टाचारियों का नरेन्द्र मोदी की सरकार का सीधा समर्थन भ्रष्टाचार को इस ऊंचाई तक पहुंचा दिया है जहां भ्रष्टाचार न करना ही अपराध बन गया है. नोटबंदी और जीएसटी जैसी घातक नीतियां केवल खूंख्वार जनविरोधी शासक ही लागू कर सकता है.

नरेन्द्र मोदी की नीतियों पर यह गीत सटीक बैठती है, ‘जिन्दगी की तालाश में मौत के कितने पास आ गये हम.’

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2 Comments

  1. S. Chatterjee

    October 15, 2017 at 6:12 am

    स्थिति की भयावहता का अंदाज़ जब तक लोगों को होगा, तब तक सब कुछ लुट चुका होगा। वामपंथियों की भूमिका है कि जनता को इसके खिलाफ गोलबंद करें क्योंकि गहराती विषमता क्रांति का सशक्त हथियार बन सकता है।

    Reply

    • Rohit Sharma

      October 15, 2017 at 6:32 am

      बिल्कुल.

      Reply

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