मैं चाहता हूं ऊंची से ऊंची तालीम भी सबके लिए मुफ्त हो ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी ऊंची से ऊंची लियाकत पा सके और ऊंची से ऊंची हौहदा हासिल कर सके. विश्वविद्यालय के दरवाजे सबके लिये खुले होना चाहिए. सारा खर्च सरकार पर पड़ना चाहिए. मुल्क को तालीम की उससे कहीं ज्यादा जरूरत है जितनी फौज की. – मुंशी प्रेमचन्द
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2017-18 के आर्थिक सर्वे में यह बात सामने आई कि भारत सरकार ने शिक्षा पर खर्च घटा दिया है.
2011-12 में 3.7%
2012-13 में3.6 %
2013-14 में 3.8%
2014-15 में 2.8 %
2015-16 में 2.4 %
2016-17 में इसमें मामूली बढ़ोत्तरी की गई और यह 2.6% हो गया. उसके बाद आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया. आखिर क्यों इन आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया जाता ? क्या जरूरत है इसे छिपाने की ? अमेरिका अपनी जीडीपी का 5.8 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है. ध्यान रहे कि उसकी जनसंख्या हमसे बहुत कम है और इकोनॉमी हमसे बहुत बड़ी है. यूनीसेफ के मुताबिक, चीन 2012 से अपनी जीडीपी का 4 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है और उसने छह साल लगातार इस खर्च को बरकरार रखकर अपना नेशनल टॉरगेट पूरा कर लिया है.
विश्वबैंक के मुताबिक, कुछ देशों का कुल जीडीपी का शिक्षा पर खर्च देख लें :
अफगानिस्तान- 4.1,
अर्जेंटीना- 5.5,
आस्ट्रेलिया- 5.3,
भूटान- 6.6,
बोत्सवाना- 9.6,
बोलिविया- 7.3,
ब्राजील- 6.2,
क्यूबा- 12.8,
डेनमार्क- 7.6,
फिनलैंड- 6.9,
आइसलैंड- 7.5,
इजराइल- 5.8,
केन्या- 5.2,
नेपाल- 5.2
ज्यादातर देशों का शिक्षा पर खर्च हमसे बेहतर है.
भारत वह देश है जहां पर अभी भी करीब 8 से 9 करोड़ बच्चे शिक्षा से बाहर हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी जब पीएम पद के उम्मीदवार थे तो अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था कि ‘चीन अपनी जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है, लेकिन भारत सरकार नहीं खर्च करती.’ हालांकि, यह झूठ था लेकिन यह बयान बहुत चर्चित हुआ था क्योंकि यह उनके शुरुआती झूठ में से एक था.
अब सोचिए आपका पैसा बर्बाद हो रहा है या आवाद हो रहा है