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इस रहस्य से पर्दा उठना चाहिए कि मोदी जी ने क्या-क्या किया है ?

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कृष्णकांत

इस रहस्य से पर्दा उठना चाहिए कि मोदी जी ने क्या-क्या किया है. यह पहली बार है जब देश के प्रधानमंत्री के जीवन का कोई ठिकाना नहीं है. वे हर बार नया दावा कर देते हैं और इस महान देश के 140 करोड़ महान लोग बुग्गा की तरह देखते रहते हैं. गोदी मीडिया को कभी यह जानने की इच्छा नहीं होती कि उनके गप्प की पड़ताल की जाए और सच बताया जाए.

क्या ऐसा संभव है कि किसी व्यक्ति के जीवनकाल में कोई तारतम्यता न हो ? अहम घटनाओं के बारे में या कम से कम सर्टिफिकेट के वर्ष और संस्थान न मालूम हों ?

झूठ की राष्ट्रीय फैक्ट्री का दावा है कि मोदी जी बचपन में मगरमच्छ से लड़ गए थे, लेकिन कब, कहां, कैसे लड़े, इसका कोई डिटेल नहीं है. पुराने जलाशयों, झरनों, नदियों में मगरमच्छ होते हैं. उन्हें ढेला मारने वाले लड़कों की तादाद इस देश में करोड़ में होगी. मोदी जी उन्हीं में से एक हो सकते हैं.

दावा ​है कि वे चाय बेचते थे. कहां बेचते थे, ये नहीं पता. उनकी चाय पीने वाला एक भी आदमी जिंदा नहीं पाया गया है. ऐसा कैसे संभव है ? उनको चाय बेचते देखने वाला एक भी व्यक्ति कभी सामने नहीं आया, क्या कोई जिंदा नहीं बचा ?

जिस वडनगर स्टेशन पर उनके चाय बेचने की कहानी सुनाई जाती है, वहां स्टेशन ही 1973 में बना, जब उनकी उम्र 23 साल की रही होगी. उसके पहले वहां हाल्ट था जहां पर हफ्ते में दो तीन पैसेंजर ट्रेनें रुका करती थी. ऐसे स्टेशन पर कोई चाय क्यों बेचेगा ? यह चाय बेचने वाली बात भी गप्प है. प्रवीण तोगड़िया ने सितंबर 2020 में बयान दिया कि उनकी नरेंद्र मोदी से 43 साल की दोस्ती है और नरेंद्र मोदी ने कभी चाय नहीं बेची है.

दावा है कि वे छोटी उम्र में विवेकानंद से प्रभावित होकर आरएसएस में आ गए थे. यह वर्ष कौन था ? pmindia.gov.in के मुताबिक मोदी 17 सितंबर 1950 को पैदा हुए. यह वेबसाइट लिखती है कि मोदी शुरुआती उम्र में ही आरएसएस से जुड़ गए ​थे. शुरुआती मतलब क्या ? दस साल ? पंद्रह साल ? किस साल ? कितनी उम्र में ? सरकार की यह वेबसाइट देश के प्रधानमंत्री के जीवनकाल के बारे में कोई डिटेल नहीं देती.

narendramodi.in के biography सेक्शन को क्लिक करते हैं ​तो एक पेज ​खुलता है, जिसकी हेडिंग है, ‘जिस कश्मीर के लिए जेल गए थे नन्ना, मोदी ने पूरा किया वह सपना.’ कोई प्रकांड बताए कि यह कौन-सी बायोग्राफी है ?

इस वेबसाइट के एक आर्टिकल में लिखा गया है, ‘When the war with Pakistan was at its peak he set out on the railway station and served tea to the Jawans who were going and coming from the border.’ कौन सा वॉर ? 1965 वाला या 1971 वाला ? 1971 का वॉर दो फ्रंट पर लड़ा गया. पूर्वी पाकिस्तान को भूल जाइए. पश्चिमी ​फ्रंट पर यह पंजाब सेक्टर और जम्मू कश्मीर सेक्टर में लड़ा गया.

1965 का युद्ध जम्मू कश्मीर और राजस्थान की सीमाओं पर लड़ा गया. वह कौन-सा युद्ध था जिसमें सीमा पर लड़ रहे जवान वडनगर होकर आ रहे थे और जा रहे थे और मोदी जी उनको चाय-पानी पिला रहे थे ? लगता है भारतीय सेना को लेखक ने कावंरिया समझ लिया जो कहीं भी रास्ते में लंगर लगा दो, वे आ रहे हैं, जा रहे हैं, चाय-पानी पिला दो.

pmindia.gov.in पर एक लेख का लिंक है. क्लिक करने पर हम narendramodi.in पर पहुंचते हैं. यहां लिखा है कि उन्होंने 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया. देश भर का भ्रमण किया. 1972 में फुलटाइम आरएसएस के प्रचारक हो गए. फिर वे बांग्लादेश वॉर में लिबरेशन आर्मी की मदद करने कब गए थे ?

अमित शाह द्वारा जारी उनकी डिग्रियों के मुताबिक, उन्होंने 1978 में बीए और 1983 में एंटायर एमए किया. 17 साल में घर छोड़ दिया, 35 साल तक भीख मांगी तो ये पढ़ाई कैसे संभव हुई ? इनमें से कोई तथ्य विश्वसनीय नहीं प्रतीत होता.

प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट और प्रधानमंत्री के नाम से चल रही वेबसाइट्स ऐसा फर्जीवाड़ा क्यों कर रही है ? इस पर कोई सवाल क्यों नहीं उठा रहा है ? भारत सरकार, भारत का प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत के प्रधानमंत्री के बारे में सही जानकारी क्यों नहीं देता कि वे कब पैदा हुए, कब पढ़ाई की, कब सार्वजनिक जीवन में आए ?

कहा जाता है कि उन्होंने बीए और एमए भी किया. एमए किया एन्टायर पोलिटिकल साइंस में, जो कोर्स कहीं पर वजूद में ही नहीं है. उनकी दो डिग्री टाइप का कोई कागज सार्वजनिक किया गया था, जिसकी भाषा और स्वरूप संदिग्ध है.

बीए की डिग्रीनुमा कागज पर लिखा है – ‘1978 में उपाधि योग्य सिद्ध होने पर 1979 में उपाधि प्रदान की गई.’ अगर कोर्स 1978 में पूरा हुआ है तो डिग्री पर यह क्यों लिखा है कि 1979 में प्रदान की गई. यह भी लिख देना था कि यूनि​वर्सिटी में मोदी जी के चरण पहले और आखिरी दिन कब पड़े थे.​यह किसी गधे ने फोटोशॉप किया होगा.

उन्होंने खुद आज दावा किया कि वे एनसीसी में कैडेट भी रहे. कब, किस क्लास में, किस कॉलेज में, किस क्लास में, कुछ नहीं पता.

उनका दावा है कि उन्होंने 35 साल भीख मांगी. उनकी उम्र 71 साल है. भिक्षाटन के 35 साल निकाल दीजिए तो बचे मात्र 36 साल. 20 साल से तो ये भाई साब मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री हैं. 35 साल भिक्षाटन के, 20 साल पब्लिक लाइफ के, यानी 55 साल का हिसाब मिल गया. मात्र 16 साल बच रहे हैं.

मोदी जी एनसीसी कैडेट कब हुए ? बीए कब किया ? एन्टायर पोलिटिक्स में एमए कब किया ? सीएम बनने के ​पहले कुछ साल संघ भाजपा संगठन में रहे होंगे तो क्या सारी ‘बाललीलाएं’ 16 साल के पहले ही हो गई थी ? इसका जवाब माननीय वेंकैया नायडू दे सकते हैं जिन्होंने पहली बार नरेंद्र मोदी को अवतार घोषित किया था.

यह पूरा देश और यहां के 140 करोड़ लोग झूठ के रैकेट में फंसे हैं. मैं किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानता जो सार्वजनिक जीवन में हो और उसके बारे में, उसके जीवनकाल के बारे में ऐसी गप्प फैलाई जाए.

प्रधानमंत्री जी को गधे के बजाय महात्मा गांधी से प्रेरणा लेना चाहिए. जो हैं उसे स्वीकार करना चाहिए. आप पांचवीं पास हैं तो भी ठीक है, बल्कि यह तारीफ की बात है कि आप साधारण पृ​ष्ठभूमि से इतना आगे तक गए, लेकिन इतना झूठ क्यों बोलते हैं ? यह बेहद खतरनाक है जो व्यक्ति खुद के प्रति ईमानदार नहीं रह सकता, वह किसी के प्रति कैसे ईमानदार रह सकता ?

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ROHIT SHARMA

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