ब्राह्मणवाद दुनिया का सबसे बदनाम, मानवविरोधी, कायर और गलीज धर्म है. इस धर्म ने अपने अनुनायियों को दास और मालिक युग में रहने के लिए विवश करता है. यहां बात हम दासत्व में जीने को अभिशप्त शुद्रों, अछूतों की बात नहीं करेंगे अपितु हम बात करेंगे इन दासों के मालिक बने ब्राह्मण के बारे में, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह न केवल इस सम्पूर्ण पृथ्वी के मालिक हैं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड इसके बांये पैर के अंगूठे के नीचे रहता है.
शांति, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सर्वभौम नारे के तहत भारत में विकसित बौद्ध धर्म, जिसने सम्पूर्ण विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ी है, को खून की दरिया में डूबोकर खत्म करने वाले इन नापाक ब्राह्मणवादी आतताइयों ने भारत में एक ऐसा कुपमंडुक समाज का निर्माण किया, जिसने एक बहुसंख्यक श्रमजीवी लोगों को टुकड़ों में विभाजित कर शुद्र और अछूत बना दिया.
शुद्रों, अछूतों और औरतों के श्रम का अमानवीय अनवरत लुटकर पर टिकी इस ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर पहला प्रहार अंग्रेजों की हुकूमत ने किया, जिसका प्रतीक भीमा कोरेगांव अवस्थित वह स्तूप हैं, जो आज भारत के ब्राह्मणवादी शासक आतंक का पर्याय बनाकर शुद्रों, अछूतों के छाती में घोंपना चाहती है. अर्थात, देश के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखकों, मानवाधिकारवादियों, वकीलों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेलों में डालकर हत्या कर रही है.
इसके उलट एक जो महत्वपूर्ण तथ्य है वह यह कि ये ब्राह्मणवादी खुद को अब एक नये खाल में ढ़ालकर सामने लाया है, यह भी अपने पूर्वज ब्राह्मणवादियों के ही समान उतना ही क्रूर, उतना ही निकृष्ट और उतना ही कायर भी है. ये हिन्दुत्व की खाल में समाये ब्राह्मणवादी की जो सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है वह यह है कि अपने से कमजोर (खासकर शुद्रों, औरतों) पर अमानवीय जुल्म ढ़ाता है जबकि अपने से मजबूत के सामने न केवल कुत्तों की तरह पूछ ही हिलाता है बल्कि अपनी बहन-बेटियों का भी सौदा कर लेता है. अब इस बार वह एक शुद्र नरेन्द्र मोदी को अपना हथियार बनाया है.
जब से शुद्र नरेन्द्र मोदी के माध्यम से इन ब्राह्मणवादियों ने हिन्दुत्व की खाल में घुसकर 2014 में देश की सत्ता पर कब्जा जमा लिया है, तब से हिन्दुत्व की खाल में घुसे ब्राह्मणवादियोंं ने एक बार फिर से शुद्रों और औरतों पर हमला तेज कर दिया है. इसके साथ ही आदिवासियों और मुसलमानों पर भी हमला तेज कर दिया है, इसके एवज में इन ब्राह्मणवादी गुंडों ने शुद्र नरेंद्र मोदी की असीमित सुख-सुविधाओं यहां तक की अपनी औरतों तक को कुर्बान कर दिया है.
शुद्र नरेन्द्र मोदी इन असीमित सुख-सुविधाओं को भोग कर इस कदर बौरा गया है कि वह इन ब्राह्मणवादी आडम्बरों और उसकी महत्ता को फिर से स्थापित करने के लिए एक बार फिर से मनुस्मृति जैसे कुख्यात ग्रंथ को देश की संविधान का दर्जा देने के लिए आतुर है.
अब आगे देखते हैं एक शुद्र नरेन्द्र मोदी के कंधों पर सवार इन ब्राह्मणवादी ‘योद्धा’ की औकात. हरिद्वार के धर्मसंसद में मुस्लिमों और उनकी महिलाओं के खिलाफ ज़हरीले भाषण देने वाले और धर्मसंसद में मुसलमानों के जेनोसाईड करने और शस्त्रमेव जयते के नारे लगाने वाले हिन्दुत्ववादी शेर बने घूम रहे यति नरसिंहानंद की ज़मानत याचिका जब हरिद्वार की सीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दी तब यति नरसिंहानंद कोर्ट में ही चीखने-चिल्लाने लगा और गिड़गिड़ाने लगा – ‘मुझे यहां से निकालो. मुझे बचाओ, मैं जेल नहीं जाना चाहता, कोई है ? कोई तो बचा लो.’ लेकिन पुलिस उसे धकियाते हुए खींचकर जेल लेकर चली गयी.
वहीं, सोशल मीडिया पर सक्रिय फरीदी हसन अल तनवीर ऐसे कायर हिन्दुत्व की बेहतरीन व्याख्या करते हुए लिखते हैं – भविष्य का युवा हिन्दू हृदय सम्राट पेंट में ही चार बार मूते दे रहा है. दिल्ली पुलिस के स्रोत बता रहे हैं कि पूछताछ जब भी अपनी पीक पर पहुंचती है तो सुल्ली/ बुल्ली बाई एप वाला अभियुक्त बार-बार पेंट में ही मूत मारता है. ऐसा जब तीन चार बार हुआ तो तफ्तीश अधिकारियों को लगा कि शायद कोई हेल्थ इशू हो. डॉक्टर्स से जांच करवाने पर कोई बीमारी नहीं निकली.
दरअसल मात्र मुश्किल हालात में फंसे होने के डर के चलते ऐसा हो रहा था. और आप अगर ऐसे हिन्दू हृदय सम्राट के वर्चुअल कारनामों को देखें तो ये मुझ जैसे इस्लामी नाम दिखते आदमी की बहन, माँं, दादी, परदादी ही नहीं बल्कि बाबर और अकबर की मां से लेकर पैगम्बरों तक की मां बहन तक से यौन संबंध स्थापित कर उनका मान मर्दन करने में सफलता के दावे करता होगा.
मुहम्मद बिन कासिम, ग़ज़नवी, गौरी, ऐबक, खिलजी, बाबर के द्वारा तत्कालीन शासकों की पिटाई का बदला आज किसी भी इस्लामी नाम के बन्दे से लेने को आतुर ही नहीं होगा बल्कि वर्चुअल दुनिया में ऐसे अनेक कारनामे कर भी चुका होगा.
ये एक प्रकार का डिफेंस मैकेनिज्म है, जिसमें वास्तविक दुनिया में हारा हुआ, कमज़ोर, व्यक्ति खुद को सपनों में हीरो देखता है. अपनी फैंटसीज में अपने वास्तविक जीवन के युध्दों की हारों को वर्चुअल दुनिया में जीतता है. मनोविज्ञान में यह ग्रंथि व्यक्तिगत आधार पर होती थी. एक व्यक्ति के खुद के अनुभव उसे इस विपदा में धकेल देते थे.
मोदीजी, भाजपा, आरएसएस, भगवा हिंदुत्त्ववादी राजनीति ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान ये दिया है कि भारत के अधिसंख्य हिन्दू के दिलों दिमाग में यह मनो ग्रन्थि जागृत कर दी है. उन्होंने व्यक्तिगत रोग को पूरे समाज का रोग बना दिया है. तो जनाब, चाहे किसी नक़ाब के पीछे छिपकर वर्चुअल बहादुरी दिखाने वाले लौंडे हों, चाहे भीड़ में इकट्ठा होकर अकेले दुकेले को लिंच करने को तैयार योद्धा हों, चाहे पुलिस, प्रशासन, सरकार, न्यायालय का समर्थन व सुरक्षा पाकर निर्दोष औरतों का पेट चीरकर अजन्मे बच्चे को त्रिशूल की नोंक पर टांग कर खुद को महाराणा प्रताप समझने का ऑर्गेज़्म पाने वाले सैनिक हों,
ऐसे सभी जंगजू जब अपनी ही पुलिस की गिरफ्त में आये तो दो थप्पड़ और ऊंची आवाज में मुखातिब होने मात्र से चार चार बार पेंट में ही मूतने को अभिशप्त हैं. ये है इनका चरित्र !
आज दुनिया भी ऐसे ही क्रूर कायर और डरपोक को खुली आंखों से देख रही है जब यूक्रेन में हजारों भारतीय छात्र तिल तिलकर मर रहे हैं, और हिन्दुत्व का सबसे बड़ा ठेकेदार कभी झाल तो कभी डमरु बजा बजा कर नाच रहा है. कहा जाता है जब रोम जल रहा था तब नीरो बंशी बजा रहा था, लेकिन आज हम अपने सामने ऐसे नीरो से दो-चार हैं, जो बंशी है नहीं झाल, मृदंग और डमरू भी बजा रहा है.
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