हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक
सुप्रीम कोर्ट में हमारे दो मुकदमे चल रहे हैं. पहला मामला सोनी सोरी की तरफ से दायर किया गया है जिसमें उन्होंने थाने में पुलिस द्वारा अपने यौन शोषण के खिलाफ इंसाफ मांगा है. दूसरा मुकदमा 16 आदिवासियों की हत्या का है, जो सरकारी सुरक्षाबलों ने किया था जिसमें डेढ़ साल के बच्चे की उंगलिया तक काट डाली गई थीं. कल सुप्रीम कोर्ट में इन दोनों मामलों की सुनवाई थी.
सुनवाई से एक दिन पहले से ही पुलिस ने सोनी सोरी के घर पहुंचना शुरू कर दिया था. दंतेवाड़ा के एडिशनल एसपी ने रात को ग्यारह बजे सोनी सोनी के घर पहुंच कर अपने किसी साहब से बात करवाई लेकिन उसका नाम नहीं बताया. पुलिस सोनी सोरी के घर कुल पांच बार गई. यह मुकदमा पुलिस के ही खिलाफ है.
पुलिस द्वारा सोनी सोरी से यह भी कहा गया कि आप के पास कोई सबूत नहीं है आगे की तारीख ले लो वगैरा-वगैरा. यह गवाह पर दबाव डालने की कोशिश है. कल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने मेरे खिलाफ भी जांच करने की दरखास्त दी है. मतलब 16 आदिवासी मारे गए उसकी जांच मत करो, उल्टा जो इंसाफ मांग रहा है उसकी ही जांच करो.
गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया था. मुझे उसकी जिला समिति का सदस्य बनाया गया था. तब जज साहब और हम लोग मिलकर गांव में सभायें करते थे और आदिवासियों को समझाते थे कि गरीबी को न्याय प्राप्ति की राह में बाधा मत बनने दो.आपके साथ यदि अन्याय हो तो कोर्ट में आइए. आप को मुफ्त वकील मिलेगा.
तो जब आदिवासियों के साथ अन्याय हुआ तो हमने आदिवासियों की मदद की ताकि वह अपने लिए इंसाफ मांग सकें. अब केंद्र सरकार हमारी इस बात से नाराज है कि हमने इंसाफ मांगने में आदिवासियों की मदद क्यों की ? हालांकि मुझे बदनाम करने की इस तरह की कोशिशें सरकार पहले भी कर चुकी है.
2010 में इसी मुकदमे में केंद्र सरकार ने मुझे नक्सल समर्थक कहा था तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार को डांट लगाई थी. वह खबर अखबारों में छपी थी. 2017 में भी सरकार ने मुझे ‘नक्सल समर्थक’ और ‘झूठा’ कहा और मुझ पर और सोनी सोनी पर जुर्माना लगाने के लिए कहा था, वह खबर भी अखबार में छपी थी. अब यह तीसरी कोशिश है.
इस बार केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह एनआईए या सीबीआई को मेरे खिलाफ और अन्य संगठनों के खिलाफ यह जांच करने का आदेश दे कि हम लोग किस तरह से सरकार के विरुद्ध काम कर रहे हैं ? चिंताजनक बात यह है की सोनी सोरी के मामले में आरोपी अंकित गर्ग इस समय एनआईए में अधिकारी है. इसी तरह इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी अमरेश मिश्रा भी समय एनआईए में अधिकारी है.
इसका मतलब यह है कि जिनके खिलाफ मुकदमा है, वही लोग अब हमें हमारे खिलाफ जांच करेंगे और हमें दोषी ठहरा कर खुद ही अपने अपराधों से साफ-साफ बच जाएंगे. आरोपी पुलिस आधिकारी खुद को बचाने और इंसाफ मांगने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को ही दोषी ठहराने की हरकत के लिए सुप्रीम कोर्ट की मदद लेने की कोशिश कर रहे हैं.
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