Home गेस्ट ब्लॉग बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है

बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है

2 second read
0
0
366
बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है
बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है
कृष्ण कांत

हर त्रासदी में ही संदेश छुपा होता है. दिल्ली के जहांगीरपुरी में गरीब मुसलमानों के घर पर बुल्डोजर चला तो मलबे में से एक पोस्टर निकला- मेरा भारत महान ! बिना जांच, बिना अदालती प्रक्रिया के, बिना अदालती आदेश के लोगों का घर गिराये जाने से बड़ी महानता और क्या होगी ? सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया जिसने जहांगीरपुरी में सरकारी विध्वंस का त्वरित संज्ञान लिया और बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

दिल्ली के जहांगीरपुरी में बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलाया गया. कल्पना ये थी कि मुसलमान दंगाई हैं और उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा. बुलडोजर आया और तमाम मकान तोड़ दिये गये. एक गुप्ता जी चिल्लाते रहे कि मेरे पास पक्के कागज हैं. डीडीए से अलॉट की हुई पक्की दुकान है. फिर भी बुलडोजर चल गया.

ऑनएयर अपने नाम के साथ मोदी लगा लेने वाली एंकरानी पहुंची तो सोनू चिल्ला रहा था कि मैडम मैं तो हिंदू हूं. मैडम ने ऑनएयर ही फरमाया, अब यहां से चलना पड़ेगा. सुमित भी कागज लेकर बदहवास इधर उधर दौड़ रहा था कि मेरे पास कागज हैं, कोई सुनवाई नहीं हुई.

जो कल मुसलमानों के कागज मांग रहे थे, आज उनके अपने पक्के कागज काम नहीं आए. आखिरकार सोनू को कहना पड़ा कि मैडम यहां तो हम सब हिंदू मुसलमान मिलजुल कर रहते हैं. मैडम चली गईं, बुलडोजर आ गया. बुलडोजर के कान नहीं होते. बुलडोजर के हृदय नहीं होता. बुलडोजर मनुष्य नहीं है. बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है. बुलडोजर मशीन है, जैसे चाकू मशीन है. चाहो तो सब्जी काटो, चाहो तो अपनी नाक काट लो.

मलबे से बचा हुआ सामान और कमाए हुए सिक्के चुन रहा बच्चा. इसके नाजुक दिमाग पर क्या असर होगा ?

भारत की सरकारें अपनी नाक काटने पर आमादा हैं. इस बच्चे को देखिए. यह भारत का नागरिक है. जिस उम्र में इसे स्कूल में होना था, यह अपने मां बाप के साथ चाय की दुकान पर था. इसकी दुकान तोड़ दी गई. यह मलबे से बचा हुआ सामान और कमाए हुए सिक्के चुन रहा है. इसके नाजुक दिमाग पर क्या असर होगा ?

यह बड़ा होगा और जब सरकार का मतलब समझेगा तब क्या इस दिन को भी याद करेगा ? क्या यह कभी सोचेगा कि जिस देश का प्रधानमंत्री अपने को चायवाला बताते हुए झूठे किस्से सुनाता है, उसी के नियंत्रण वाली केंद्रीय पुलिस ने उसकी चाय की गुमटी तोड़ डाली ?

एक तरफ भीड़ है जिसके हाथ में झंडा और पत्थर है. एक तरफ सरकार है जिसके पास उन्मादी बुलडोजर है. सरकार ने कानून को दरकिनार कर दिया है. कानून का शासन नहीं है तो बुलडोजर चलाने वाला अपराधी कैसे नहीं है ?

भारत दुनिया का एक महान और सबसे बड़ा लोकतंत्र रहा है. आज वह सबसे निकृष्ट देश बनने की ओर अग्रसर है. इस ‘बुलडोजर न्याय’ का विरोध कीजिए, वरना चौपट राजाओं की इस अंधेर नगरी में कल गुप्ता जी की जगह आप होंगे.

पंडित जी के साथ बुलडोजर न्याय

यह समझना बहुत जरूरी है कि जब कानून का शासन खत्म हो जाए तब क्या होता है ? आज दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर चला. पंडिताई करने वाले रमन झा यहां पान की दुकान चलाते थे. उनकी दुकान 1985 से थी यानी मेरे जन्म से पहले. झा जी के पास एमसीडी का लाइसेंस भी था. झा जी चिल्लाते रहे. सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल आदेश दिया कि कार्रवाई रोकी जाए लेकिन अधिकारियों ने लिखित आदेश न पहुंचने का हवाला देकर तमाम दुकानें और घर तोड़ दिए. झा जी की दुकान भी तोड़ दी गई.

थोड़ी ही देर में याचिकाकर्ता दोबारा कोर्ट पहुंचे कि ‘हजूर, आपके आदेश के बाद भी बुलडोजर रुक नहीं रहा है.’ सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा आदेश दिया कि ‘तुरंत रोको.’ रजिस्ट्री को आदेश दिया कि ‘कमिश्नर को आदेश तुरंत पहुंचाओ.’ ध्वंस रुकने के बाद भी झा साब मीडिया वालों के सामने चिल्लाते रहे कि – ‘मेरे पास पक्के कागज हैं.’

अगर झा साब की दुकान पक्की थी, उनके पास परमिट था तो उनकी दुकान क्यों गिराई गई ? उनके पेट पर लात क्यों मारी गई ? क्योंकि आपकी सरकार अहंकार और परसंताप में अंधी हो चुकी है. वह कानून का सम्मान नहीं कर रही है. वह किसी को सजा देने के लिए अदालत के आदेश का इंतजार नहीं कर रही है.

सरकार खुद ही न्यायाधीश बन गई है. सरकार अपराध कर रही है. वह समझती है कि वह मुसलमानों को प्रताड़ित करके हिंदुओं को खुश कर लेगी. बुलडोजर चलता है तो बहुत से हिंदू ताली बजाते हैं, बहुत लोग तारीफ करते हैं. आज दिल्ली में गुप्ता जी, झा जी, शर्मा जी समेत कई हिंदू भी रेल दिए गए.

आजकल चुन चुनकर मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाकर कट्टर हिंदुओं को बहलाया जा रहा है कि मुल्ले टाइट हैं. अगर कानून का शासन नहीं रहेगा, अगर अराजक समाज बनेगा, अगर कानून और अदालत का सम्मान नहीं किया जाएगा तो उसके शिकार सब होंगे. एक तालिबानी समाज में कोई सुरक्षित नहीं रहता. यह सबक लेकर अपने संविधान, अपने देश और समाज के साथ एकजुट होने का समय है.

Read Also –

बुलडोजर चलाना आपसे लोकतंत्र छीन लेने की शुरुआती प्रक्रिया है
विकास के बुलडोजर तले कुचलता देश बनाम संयुक्त किसान मोर्चा की चट्टानी एकता

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…