Home ब्लॉग सोढ़ी गंगा को रिहा कर विश्वास बहाली कायम करो

सोढ़ी गंगा को रिहा कर विश्वास बहाली कायम करो

3 second read
0
0
587

सोढ़ी गंगा को रिहा कर विश्वास बहाली कायम करो

सोढ़ी गंगा आदिवासी हैं और अपने परिवार के साथ 15 साल से गांव लंकनपल्ली जिला दक्षिण गोदावरी आंध्र प्रदेश राज्य में रहते हैं. 2005 में जब भाजपा सरकार ने सलवा जुडूम शुरू किया था, तब पुलिस द्वारा गांव में जाकर आदिवासियों के घरों को जलाया जाता था. उस दौरान सोढ़ी गंगा अपने परिवार को लेकर जान बचाने के लिए आंध्रप्रदेश चले गए थे.

26 मार्च को लॉकडाउन घोषित होने के बावजूद छत्तीसगढ़ की पुलिस जिसमें नए बने हुए डीआरजी के सिपाही शामिल है, आंध्रप्रदेश में जाकर सोढ़ी गंगा को उनके घर में घुसकर जीप में डालकर उठा कर छत्तीसगढ़ ले आए.

सुकमा जिले के सामाजिक कार्यकर्ता विजय सोढ़ी ने इस मामले को समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर उजागर किया और सुकमा में रहने वाले मंत्री लखमा कवासी को भी इस मामले की जानकारी दे दी. इसके बाद पुलिस ने कहा कि सोढ़ी गंगा को कोरोना वायरस के संदेह में हमने सुरक्षित रखा हुआ है।

अब सवाल यह उठता है कि यदि वह व्यक्ति आंध्रप्रदेश राज्य में रह रहा है और कोरोना से पीड़ित है तो ऐसा कौन-सा कानून है कि छत्तीसगढ़ पुलिस दूसरे राज्य में जाकर करोना पीड़ितों को छत्तीसगढ़ के भीतर लेकर आए ?

सोढ़ी गंगा को पुलिस ने किसी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया है. उन्हें पुलिस ने अपने पास रखा है. यदि पुलिस का दावा सच है तो सोढ़ी गंगा से पुलिस के सिपाही भी संक्रमित हो सकते हैं और फिर पुलिस के सिपाही जब फिर से आदिवासियों के पास जाएंगे तो गांव के भोले-भाले आदिवासी भी संक्रमित हो जायेगे.

क्या छत्तीसगढ़ सरकार को अपनी पुलिस द्वारा की गई इस तरह की हरकतों की जानकारी है ? क्या सरकार निर्दोष सोढ़ी गंगा को रिहा करके उनके परिवार के पास भेजने के लिए पुलिस को निर्देश देगी ?

विदित हो कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा हालात को देखते हुए वहां सशस्त्र आन्दोलन चला रहे सीपीआई माओवादी मलकानगिरि कोरापुट विशाखा बॉर्डर डिविजन पर्चा जारी कर युद्ध विराम का ऐलान किया है. जिसे वहां के पुलिस अधिकारी भी स्वीकार किये हैं. ऐसे वक्त में दोनों ही पक्षों को एक दूसरे पर हमला करने के बजाय स्वास्थ्यकर्मियों की स्वतंत्र और निर्विघ्न आवाजाही को सुनिश्चित करना होगा.

पुलिस द्वारा सोढ़ी गंगा को उसके घर से उठाकर ले जाने जैसी घटना इस आशंका को बल प्रदान करती है कि पुलिस इस युद्ध विराम का बेजा इस्तेमाल तो नहीं कर रही है ? पुलिस को अभिलंब सोढ़ी गंगा को रिहा कर सकुशल उसके घर तक पहुंचाना चाहिए, ताकि दोनों ओर से विश्वास बहाली सुनिश्चित हो सके.

साथ ही पुलिस और सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस युद्ध विराम के दौर में स्वास्थ्यकर्मी के भेष में माओवादियों पर हमला करने पुलिस न पहुंच जाये, जैसा कि पुलिस करती है वरना यह क्षेत्र एक बार फिर से रक्त में सन जायेगी और इस संकट को रोकने के स्वास्थ्यकर्मियों के अभियान को धक्का लगेगा.

Read Also –

कोरोना वायरस के महामारी पर सोनिया गांधी का मोदी को सुझाव
कोरोना नियंत्रण हेतु जमीनी तैयारियों के लिए सुझाव
स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके कोरोना के खिलाफ कैसे लड़ेगी सरकार ?
महामारियों का राजनीतिक अर्थशास्त्र

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

 

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…