उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कब्रिस्तान और श्मासान का मुद्दा उठाया था, तब इसे महज चुनावी मुद्दा माना गया था और किसी ने भी इसकी गंभीरता को महसूस नहीं किया था. परन्तु भाजपा के सत्ता में आने के चन्द दिनों बाद ही जब बड़े पैमाने पर बच्चों की ऑक्सीजन के अभाव में मौतें होने लगी, तब भी इसे महज एक संयोग माना गया. परन्तु, आश्चर्य तो तब हुआ था जब वहां पदस्थापित डॉक्टर काफील ने बच्चों को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी. मरते बच्चों को बचाने के जुर्म में तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉक्टर काफील को न केवल लताड़ा ही था, बल्कि उसे फौरन गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया.
उसके बाद देश के जवानों, युवाओं आदि के मौतें बड़े पैमाने पर लगातार होने लगी. पुलवामा में 44 जवानों की हत्या को भी महज इत्तेफाक माना जाने लगा. हलांकि यह स्पष्ट हो गया था कि इन हत्याओं को मोदी की केन्द्र सरकार के द्वारा प्रायोजित किया गया था, चुनाव के मद्देनजर देश में राष्ट्रवाद का लहर बनाने के लिए. बाद में यह भी स्पष्ट होता चला गया कि सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर भारतीय सेना के मार गिराये गये विमानों को अपनी ही सेना के तोपों का इस्तेमाल कर मार गिराया गया था. गुजरात में महज उचित ऊंचाई की सीढ़ी न होने के कारण दर्जनों बच्चे जल कर राख हो गये.
मामला तब भी स्पष्ट नहीं हो पाया था. पर अब जब मुजफ्फरपुर में बड़े पैमाने पर बच्चों की मौतें हो रही है, उसमें भी सरकारी लापरवाही खुलकर सामने आ रही है, तब एक भक्त के द्वारा सोशल मीडिया पर किये गये पोस्ट से यह साबित हुआ कि असल में मामला कुछ और है. लगातार हो रही मौतों के पीछे एक सोची-समझी योजना है. आईये, समझिये इस पोस्ट को, जिसे एक भक्त विनोद कुमार मित्तल के द्वारा पोस्ट किया गया है. इसमें कहा गया है, ‘जनसंख्या नियंत्रण के बिना विकास असम्भव, न्यायिक सुधार के बिना न्याय असम्भव, बिना कैंची चलाये जनसंख्या नियंत्रण असंभव.’ जनसंख्या नियंत्रण के पीछे यहां परिवार नियोजन के माध्यम से ऑपरेशन की बातें हो सकती है, परन्तु यहां सीधे मार डालने की भी योजना है.
मित्तल के इस पोस्ट ने इन घटनाओं को देखने और समझने का एक नया नजरिया पेश किया है. यह माना जा सकता है कि देश की जनसंख्या को कम करने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर बच्चों को मारने का राष्ट्रीय योजना लिया है. बच्चों को मारने के इस योजना के पहले हिस्से में दलित-पिछड़े व कमजोर परिवार के बच्चों को टार्गेट किया गया है. इसके लिए सबसे मुफीद जगह सरकारी अस्पताल ही हो सकता है, जहां कमजोर घरों के बच्चे आते हैं और उनकी मौत हो जाने के बाद भी कोई बड़ा आन्दोलन नहीं हो सकता.
यह अनायास नहीं है कि बड़ी संख्या में मरते बच्चे की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय केन्द्र की मोदी सरकार अपने मूंह में टेप लगा लिया है. किसी भी सरकार ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली और न ही कहीं कोई इस्तीफा का नाटक ही हुआ और न ही मरते बच्चों को बचाने के लिए कोई पहल ही की गई. उल्टे इन मौतों के लिए विपक्षी दलों (जो वास्तव में सत्ता के किसी रूप में नहीं है या बेहद कमजोर है) के ऊपर आरोप लगाने के लिए सोशल मीडिया पर अपने कुत्ते छोड़ दिया, जो लगातार राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार, अरविन्द केजरीवाल, वामपंथियों सहित उन तमाम लोगों को निशाना बना रहा है, जो किसी न किसी रूप में अपना सामाजिक सरोकार रखते हैं और जिन्हें चुनाव में जनता ने ‘नकार’ दिया है. इतना ही नहीं दलाल मीडिया के माध्यम से भी इन लोगों को ही कठघड़े में खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. यहां तक दलाल मीडिया ने बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहे डॉक्टर को ही कठघरे में खड़ा करने का कोशिश किया.
जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे को इस कदर बदनाम कर दिया गया है कि अब यह भी आतंकवादी लगने लगा है. लोग इससे भी डरने लगे हैं. अब यह गुंडों, माफियाओं और बलात्कारियों का नारा बन गया है. हर हत्यारा और भ्रष्ट तत्व इसका इस्तेमाल अपने बचाव में और अपने विरोधियों पर करने लगा है. इन नारों का इस्तेमाल अब दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, बच्चों के खिलाफ किया जाने लगा है. इसके आड़ में उनकी हत्यायें हो रही है, उनकी बहु-बेटियों की अस्मतों को सरेआम लूटा जा रहा है. इसके पीछे असली मंशा अब जो ऊभर कर सामने आयी है वह है जनसंख्या नियंत्रण हेतु बड़े पैमाने पर बच्चों का सफाया. मोदी सरकार के कब्रिस्तान और श्मशान का नारा इसी उद्देश्य के लिए लगाया गया था, जिसका कार्यान्वयन हो रहा है.
मोदी सरकार, जिससे कोई सवाल नहीं पूछा जा सकता. शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर तो कतई नहीं. इसलिए केन्द्र की मोदी सरकार को चाहिए कि वह देश में बड़े पैमाने पर कब्रिस्तान और श्मशान घाट का प्रबंधन करें. वहां उच्च कोटि का शेड व्यवस्था और पूर्ण रौशनी की व्यवस्था करे ताकि बड़े पैमाने पर लाशों को ठिकाने लगाया जा सके. चूंकि दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य देने की कतई जरूरत नहीं रह गयी है, तो विश्वविद्यालयों और अस्पतालों को बुलडोजर से ढाह कर कब्रिस्तान और श्मशान बना दिया जाये. यही आज की सबसे बड़ी जरूरत है. चूंकि भाजपा के नेतागण बलात्कार करने में माहिर माने जाते हैं, वो भी कब्रों से निकालकर, तो देश में बड़े पैमाने पर बलात्कार कक्ष का भी निर्माण किया जाना चाहिए, जहां भाजपा नेतागण निर्विघ्न बलात्कार को अंजाम तक पहुंचा सके. इसके लिए केन्द्र की मोदी सरकार को बकायदा श्मशान मंत्रालय और बलात्कार मंत्रालय का भी गठन करना चाहिए. आज के समय में यही देश का विकास है और यही हमारी नियति.
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