Home गेस्ट ब्लॉग कलंक कथाः राष्ट्रभक्तों का पत्र मोदी के नाम

कलंक कथाः राष्ट्रभक्तों का पत्र मोदी के नाम

11 second read
0
0
703

मोदी जी, गुलामी के हर कलंक को मिटा दो. फिर चाहे वो इंसान हो, स्थान हो, इमारत हो कुछ भी हो, जो कलंक है, उसको भारत की धरती से – मिटाओ और हमें मिटाने दो, Do and Let Us Do.

किसी गली का नाम उस्मानपाड़ा, किसी सड़क का नाम औरंगजेब रोड, किसी स्टेशन का नाम मुगलसराय, किसी शहर का नाम औरंगाबाद आज भी क्यों है ? हम देशभक्त राष्ट्रवादियों के इन सवालों की लिस्ट तो अंत हीन है.

गुलामी के कपड़ों में लिपटा “विकास” नहीं चाहिए, विकास भगवा ही चाहिए. अच्छा किया आजकल आपने, विकास और अच्छे दिन जैसी फालतू बातें करना बन्द कर दी हैं.

मोदी जी आपने गांधी, अम्बेडकर, पटेल, भगत सिंह, कर्पूरी ठाकुर, लोहिया आदि के विचारों का रंग गेरुआ और नेहरू का काला कर के दिखा दिया. देश का विश्वास आपके ऊपर जम चुका है.

युवाओं को रोजगार नहीं मिले, किसानों का फांसी पर लटक कर मरना नहीं रुका, भ्रष्टाचार नहीं रुका, महिलाओं की अस्मत की रक्षा नहींं हो सकी, तमाम घोषित योजनाएंं सफलता से जमीन पर नहीं उतर सकीं …, इनकी लिस्ट भी बहुत लंबी है.

कोई बात नहीं, ये आकांक्षायें आज नही कल पूरी हो जाएंगी. पर इनसे भी ज्यादा जरूरी है, गुलामी के हर कलंक को मिटाना. फिर चाहे वो इंसान हो, स्थान हो, इमारत हो, कुछ भी हो. जो कलंक है, उसको भारत की धरती से मिटा दो. Do and Let Us Do. तभी हमारी हजारों साल की प्यास बुझेगी. पांच नहीं जितने साल चाहो ले लो.

सत्तर साल में कई बुजदिल सरकारें आईं और चली गईं, किसी ने कुछ नही किया. मोदीजी अब उम्मीद सिर्फ आपसे है,

हमें यह जान कर अच्छा लगा कि बाजपेयी जी के अस्थियों की राख सबसे ज्यादा स्थानों पर केवल उत्तर प्रदेश की नदियों में जगह-जगह प्रवाहित की जाएंगी. क्या देश के अन्य हिस्सों में प्रवाहित करने के राजनैतिक लाभ-हानि का आंकलन किया जा रहा है ? अटल जी के सम्मान को इस समय राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने का कोई राजनैतिक औचित्य हमें नहीं दीखता ? अपितु खतरा ही दिखता है. पूरे देश में भाजपा विरोधी उनके लुंज-पुंज हिंदुत्व का गुणगान करने लगेंगे ? जो आपके उद्देश्य को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

उनके “लुंज-पुंज हिंदुत्व” ने 2004 में बीजेपी की लुटिया ही डुबो दी थी. वर्ष 2002 में गुजरात में आपके निर्णयों की धार और कलंक मिटाने की दृढ़ता देश देख ही चुका था. वर्ष 2004 में चुनाव की कमान, मोदी जी, यदि आपके हाथों आ गयी होती तो 2014 तक हमें इंतजार न करना होता.

अचानक मेरी नींद टूट गयी, मैं पसीने-पसीने था. रात अभी आधी से ज्यादा बाकी थी. फिर नींद आयी नहीं … कलंक मिटेगा या देश ? सोचता रहा.

– विनय ओसवाल

वरिष्ठ राजनीतिक विचारक एवं विश्लेषक
सम्पर्क नं. 7017339966

Read Also –

हिन्दुत्ववादी फासीवाद का बढ़ता खतरा और हमारे कार्यभार
लिंचिंग : घृणा की कीचड़ से पैदा हिंसा अपराध नहीं होती ?
हरिशंकर परसाई की निगाह में भाजपा
प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

[ प्रतिभा एक डायरी ब्लॉग वेबसाईट है, जो अन्तराष्ट्रीय और स्थानीय दोनों ही स्तरों पर घट रही विभिन्न राजनैतिक घटनाओं पर अपना स्टैंड लेती है. प्रतिभा एक डायरी यह मानती है कि किसी भी घटित राजनैतिक घटनाओं का स्वरूप अन्तराष्ट्रीय होता है, और उसे समझने के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर देखना जरूरी है. प्रतिभा एक डायरी किसी भी रूप में निष्पक्ष साईट नहीं है. हम हमेशा ही देश की बहुतायत दुःखी, उत्पीड़ित, दलित, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों के पक्ष में आवाज बुलंद करते हैं और उनकी पक्षधारिता की खुली घोषणा करते हैं. ]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…