पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
दुनियाभर की प्राकृतिक आश्चर्यजनक घटनायें भारत में अंधविश्वास का रूप ले लेती है और उसी कड़ी में आज रामसेतु के बारे में जान लीजिये. दुनियाभर में ऐसे कुल 41 कोरल (जीवाश्म) रीफ है लेकिन दूसरी जगहों पर लोग इसका प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारण ढूंढते हैं जबकि भारत में इसे सीधा धर्म से जोड़कर धंधा बना लिया जाता है और इसके लिये अंधी आस्था की झूठी कहानियांं भी गढ़ ली जाती है.
असल में दुनिया भर में ऐसी सभी आकृतियों को कोरल रीफ कहा जाता है जो लाखों-करोडों सालों में बनती है. कोरल रीफ समुद्र में रहने वाले जीव होते हैं जिन पर कैल्शियम कार्बोनेट की मोटी परत चढ़ी होती है, जिससे इनकी संरचना टेड़ी-मेडी बिलकुल पत्थरनुमा हो जाती है. सामान्यतः ये जीव संसार में 10 से 20 डिग्री नार्थ और 20 डिग्री साउथ में पाये जाते हैं. ये अपनी कॉलोनी उथले समुद्र में बनाते हैं क्योंकि समुद्र की गहराई कम होने के कारण ये स्थान कोरल रीफ के लिये बहुत अनुकूल होता है. इसी कोरल रीफ की पत्थर नुमा संरचना को पानी में डाला जाता है तो वो तैरते हुए पत्थर की तरह ही दीखता है. समुद्र के आस-पास जीवित कोरल भी देखे जा सकते हैं. भारत में इन्हीं कोरल रीफ पर रामनाम लिख कर लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है और अंधी आस्था का खेल चलाया जाता है.
इसके अलावा एक floating stones भी होता है जो ज्वालामुखी फटने के बाद जब लावा जमता है तो Pumice stone बनते हैं, जिनका घनत्व बहुत कम होने के कारण यह पानी में तैर सकते हैं. मगर धार्मिक पाखंडी ऐसे प्यूमिस स्टोन के ऊपर भी राम नाम लिख कर उसे सेतु का पत्थर बता पढे-लिखे लोगों को भी भ्रमित कर उन्हें अंधी आस्था का शिकार बना लेते हैं.
प्यूमिस स्टोन
इन दोनों के अलावा एक और पत्थर होता है जो बसाल चट्टानों से बनता है अर्थात जिसकी सतह पर छिद्र होने के कारण पत्थर का वजन कम हो जाता है और वो पानी में तैरता रहता है और ऐसे पत्थरो पर भी रामनाम लिखकर लोगो की अंधी आस्था से खेला जाता है.
तीनो ही तरह के पत्थर बहुत बिकते हैं और बहुत से धार्मिक स्थलों में पाखंडी उक्त तीनों तरह के पत्थरों को रामसेतु का पत्थर बताकर उसे पानी में तैराकर भी दिखाते हैं और लोगों की अंधी आस्थाओं से खेलते हैं. ये तो हुआ तैरते पत्थरों का राज. अब समझते है रामसेतु को.
प्यूमिस स्टोन
असल में ‘Z’ आकृति वाली इस कोरल रीफ संरचना के बारे में नासा’ ने अपने शोध में खुलासा किया था जिसमें ‘Z’ आकृति वाली कोरल रीफ की संरचना की बात की थी. लेकिन ये भी स्पष्ट कर दिया था कि ये मानव निर्मित नहीं बल्कि प्राकृतिक है लेकिन ये जानकारी भारत में आते ही अंधविश्वासों से जुड़ गयी और इसे लोगों की धार्मिक अंधी आस्था को भुनाने के लिये अफवाहे फैला दी गयी जबकि ये जो भारत और मन्नार की खाड़ी के बीच कोरल रीफ है (जिसे रामसेतू कहा जा रहा है) वो 18 लाख वर्ष पूर्व टेक्टोनिक प्लेटो के आपसी घर्षण से उत्पन्न हुआ था और इसीलिये इसमें रेडियोएक्टिव एनर्जी है.
अब अन्धविश्वास और सच्चाई में स्वयं ही अंतर कीजिये क्योंकि वैज्ञानिकों के अनुसार मानव जाति को जन्मे हुए अभी 1 लाख वर्ष भी नहीं हुआ है जबकि ये ‘Z’ आकृति वाली कोरल रीफ (कथित रामसेतु) 18 लाख वर्ष पूर्व का है और पूरी दुनिया में ये एक नहीं ऐसी 41 संरचनाये हैं. जिसमें सबसे बड़ी, सबसे पुरानी और सबसे लम्बी संरचना ऑस्ट्रेलिया में है, जो 2500 किमी लम्बा है तथा धनुषाकार है. और ऐसी ही अन्य संरचना जापान-कोरिया के बीच में भी है और तुर्की द्वीप में भी है. (अगर यह भारत में होता तो इसे अर्जुन का गांडीव या राम अथवा शिव का धनुष कहकर यहांं भी अंधी आस्था का धंधा चालू हो जाता.)
कुल दस संरचनायें नासा सेटेलाइट से देख चुका है और उनका सैम्पल लेकर रेडियो कार्बन परिक्षण भी कर चुका है.
सोचकर देखिये मानव जाति का जन्म हुए एक लाख वर्ष भी पूरा नहीं हुआ और उसके बाद भी मानव ने खेती करना/कपड़े पहनना 8000 हजार वर्ष ईसा पूर्व ही सीखा. मानव ने लोहे की खोज 1500 ईसा पूर्व की और लिखना 1300 ईसा पूर्व सीखा. लेकिन भारत की अंधी आस्था का खेल देखिये कि इसे जबरन रामसेतु साबित करने के लिये नल-नील नाम के दो भालुओं को विश्व के प्रथम सिविल इंजनियर घोषित कर डाले. और उस पर भी मन नहीं भरा तो बंदरों से पत्थरों पर राम का नाम भी लिखवा दिया. कमाल की कल्पनाशीलता है भारतीयों के पास. असल में तो भले ही सुई बनाने का दिमाग न हो लेकिन कहानियांं गढ़ने और काल्पनिकता का मिश्रण करने का बहुत ही गज़ब दिमाग है.
कथित रामसेतु भारत
हालांंकि मैं चाहता तो खुद इन धर्मांधों के हिसाब से ही रामसेतु के सच को उजागर कर सकता था मगर तब आपके मन में संशय रहता. मगर अब जब आप सिलसिलेवार सारी सच्चाई समझ चुके हैं तो आप उस तथ्य को भी समझ ले कि खुद रामायण के हिसाब से भी ये रामसेतु नहीं है. यथा, वाल्मिकी रामायण में बताया गया है कि ‘वानरों ने पहले दिन 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और 5वें दिन 23 योजन लंबा पुल बांंधा. इस तरह नल ने 100 योजन अर्थात 1288 किलोमीटर लंबा पुल तैयार किया जिसकी चौड़ाई 10 योजन अर्थात 128 किलोमीटर थी.’
“दश्योजनविस्तीर्ण शतयोजनमायतम्द, द्टशुर्देवरांधर्वा- नलसेतुं सुदुष्करम” (देखिये वाल्मीकि रामायण 6/22/76) अर्थात रामसेतु 10 योजन (128 किमी) चौड़ा, सौ योजन (1468 किमी) लम्बा पुल कहा गया है जबकि अब जिसे रामसेतु कहा जा रहा है, वो कहीं-कहीं 10 फुट तो कहीं कहीं 30 फुट तक चौड़ा है और 48 किलोमीटर लम्बा है. इसमें एक तथ्य समझ लीजिये कि ये कोरल रीफ भारत और मन्नार की खाड़ी के मध्य है जबकि भारत और श्रीलंका के बीच की दूरी मात्र 30 किमी है.
पानी में तैरता पत्थर
एक और अन्य तथ्य के हिसाब से खुद रामायण में ही वर्णित है कि जब राम वापिस आयोध्या आ रहे थे तो विभीषण के आग्रह पर उन्होंने वो सेतु स्वयं नष्ट कर दिया था. और जब राम ने खुद ही वो सेतु नष्ट कर दिया था तो अब रामसेतु कहांं से हो गया ?
चलिये एक और तथ्य : रामायण का काल 8-10 हजार साल पूर्व का कहा गया है और ये कोरल रीफ 18 लाख वर्ष पूर्व का है, तो ये रामसेतु कैसे हुआ ?
जैसा कि मैंने पहले भी लिखा कि भारत में कहानियांं गढ़ने और काल्पनिकता का मिश्रण करने वाले धार्मिक पाखंडियों में गजब का दिमाग है, जो कहीं की बात का कहीं से भी तालमेल बिठा लेता है और ऐसी ही बीसियों विस्मयकारी चीज़ों या बातों में तालमेल बिठाकर ही ये धर्म का धंधा चलाया हुआ है. और जब कभी तालमेल नहीं बैठा तो फिर स्थानों का झूठा नामकरण करके उसका तालमेल बिठा लेते हैं ताकि धर्म का धंधा मंदा न हो.
ग्रेट बेरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया
ऐसे ही रामायण का तालमेल भी बिठाया गया और इसके लिये बाकायदा भारत में बहुत सी जगहों का नामकरण भी किया गया और फिर सबको मिलाकर काल्पनिक कहानियांं गढ़ ली गयी. जबकि आज से 5000 साल पहले तक श्रीलंका और भारत की जमीन आपस में जुडी हुई थी और श्रीलंका भारत का ही हिस्सा था. 5000 साल पहले प्राकृतिक कारणों से श्रीलंका का हिस्सा भारत से टूटकर प्रायद्वीप बना था. तो मेरी समझ में ये नहीं आया कि जब मार्ग में कहीं समुद्र आता ही नहीं तो ये रामसेतु किस पर बनाया था ?
(गूगल मेप देखें – आयोध्या से श्रीलंका का जमीनी रास्ता देखे. चूंंकि उस समय श्रीलंका, भारत की जमीन से जुड़ा था तो समुद्र तो बीच में आता ही नहीं. मतलब आयोध्या से सीधा महाराष्ट्र-आंध्रा-मद्रास होकर श्रीलंका जाया जा सकता था, तो फिर ये समुद्र या रामसेतु का लॉजिक कहांं से आया ?)
स्पष्ट है कि भारत में रामायण को काल्पनिक रूप से गढ़कर अंधी आस्था का धंधा चलाया गया. असल में तो राम और रामायण दोनों इंडोनेशिया और उसके आसपास की कहानी है और इसके सारे सबूत आज भी वहां मौजूद है. और उधर ही ये समुद्र और रामसेतु की बात भी जस्टिफाय होती है.
एक बात अच्छे से अपने दिमाग में बिठा लीजिये कि करोड़ो वर्ष पूर्व हुए डायनासोर के अवशेष भी दुनिया में मौजूद है, मगर वानर सेना जो सिर्फ आठ हज़ार साल पहले हुई, उसके अवशेषों का कोई अता-पता इस दुनिया में नहीं है. आपको ये बात कभी खटकती क्यों नहीं ?
जो पोस्ट में ऊपर कोरल रीफ को नहीं समझ पाये, उन्हें आसान भाषा में बता दूंं कि कोरल रीफ को हमारे भारत में मूंगा या प्रवाल रत्न कहा जाता है और कोरल रीफ इसी मूंगा रत्न में पाये जाने वाले ‘केल्शियम कार्बोनेट’ को छोड़े जाने के बाद की निर्मित श्रृंखला है. इसको और सरलता से बताऊं तो जैसे हमारे पेट में जो थोड़ा-थोड़ा मैल-कुचैल, रेत, कंकर और नमक काफी समय तक इकट्ठा होता है और बाद में जीवाणुओं के साथ मिलकर वो पथरी (ब्लेडर/स्टोन) का निर्माण करता हैं, ठीक वैसे ही समुद्र के पानी में लाखों-करोडों वर्षोंं में ये कोरल रीफ आपस में जुड़ कर ऐसी संरचनाओं का निर्माण करते हैं, जो हमें पुराने सेतु की तरह दिखती है और पानी में तैरती रहती है.
नासा ने तो अभी तक सिर्फ 10 की ही जांंच की है, मगर दुनिया भर में अब तक ऐसी 41 संरचनायें देखी जा चुकी है, उन सबके नाम, यथा –
- African coral reefs- Red Sea to Madagascar
- Amazon Reef- Off the coast of French Guiana and northern Brazil
- Angria Bank- Off the coast of Vijaydurg, Maharashtra, India
- Apo Reef- Mindoro Strait, Philippines
- Arrecifes de Cozumel National Park – Cozumel, Mexico
- Bar Reef- Kalpitiya peninsula, Sri Lanka
- Belize Barrier Reef- Belize
- Benares Shoals- Peros Banhos atoll, northern Chagos Archipelago
- Coral Triangle- Mainly Indonesia
- Daintree Reef- Coral Sea, Queensland, Australia
- Darwin Mounds- Off the northwest coast of Scotland
- Filippo Reef- 450 km east of Starbuck Island (in the Pacific Ocean)
- Flinders Reef- Off Moreton Island in the Coral Sea, Queensland, Australia
- French Frigate Shoals- Northwestern Hawaiian Islands
- Great Barrier Reef- Coral Sea, Queensland, Australia (Known as the argest in the world)
- Isla Pérez- Gulf of Mexico
- Kingman Reef- North Pacific Ocean
- Lansdowne Bank- Coral Sea
- Lyra Reef- Papua New Guinea
- Manuel Luis Reefs- Brazil
- Maro Reef- Northwestern Hawaiian Islands
- Mesoamerican Barrier Reef System- From the Yucatán Peninsula to Honduras
- Mexico Rocks- Ambergris Caye, Belize
- Miami Terrace Reef- Florida, United States
- Minami-Tori-shima- Japan
- Minerva Reefs- Fiji and Tonga
- Miri-Sibuti Coral Reef National Park- Sarawak, Malaysia
- New Caledonia Barrier Reef- New Caledonia
- Ningaloo Coast- Western Australia
- North East Reef- Western Australia
- Osprey Reef- Coral Sea, Australia
- Palancar Reef- Cozumel, Mexico
- Qixingyan (Taiwan)- Pingtung County, Taiwan
- Reunion Island’s coral reef- Madagascar
- Røst Reef- Lofoten, Norway
- Scorpion Reef- Yucatán, Mexico
- List of reefs is located in EarthList of reefs- Northern Red Sea
- South Sentinel Island- Andaman Islands, india
- Sula Reef- Sør-Trøndelag, Norway
- Tubbataha Reef- Sulu Sea
- Virgin Islands- Caribbean Sea
नोट : किसी भी धर्म का मखौल उड़ाना मेरा ध्येय नहीं है बल्कि धर्म में फैली अंधी आस्था और कुरीतियों के खिलाफ समाज को जागरूक करना मेरा लक्ष्य है. मैं सभी धर्मोंं की कुरीतियों और रूढ़ियों पर अक्सर मैं ऐसे ही तथ्यपूर्ण चोट करता हूंं इसीलिये बात लोगों के समझ में भी आती है और वे मानते भी हैं कि मैंने सही लिखा है. जो लोग दूसरे धर्मोंं का मखौल उड़ाते हैं उनसे मैं कहना चाहता हूंं कि मखौल उड़ाने से आपका उद्देश्य सफल नहीं होगा और आपस की दूरियांं बढ़ेंगी तथा आपसी समझ घटेगी. अतः मूर्खतापूर्ण विरोध करने के बजाय कुछ तथ्यात्मक लिखे और सोचे.
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