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रामचरितमानस : संविधान विरोधी ग्रंथ

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रामायण संविधान और मानव विरोधी ग्रंथ है. उसे जब्त कर असंवैधानिक और मानवद्रोही घोषित कर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

संविधान के अनुच्छेद 45 में 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं की शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त करने की बात लिखी गयी है लेकिन तुलसी की रामायण इसका विरोध करने की वकालत करती है।

1-अधम जाति में विद्या पाए,
भयहु यथाअहि दूध पिलाए।

अर्थात जिस प्रकार से सांप को दूध पिलाने से वह और विषैला (जहरीला) हो जाता है वैसे ही शूद्रों (नीच जाति ) को शिक्षा देने से वे और खतरनाक हो जाते हैं.

संविधान जाति और लिंग के आधार पर भेद करने की मनाही करता है तथा दंड का प्रावधान देता है लेकिन तुलसी का रामायण (राम चरित मानस) जाति के आधार पर ऊंच-नीच मानने की वकालत करती है. (देखें पेज—986-दोहा 99 (3) उत्तर-कांड)

2-जे वर्णाधम तेली कुम्हारा,
स्वपच किरात कौल कलवारा।

अर्थात तेली, कुम्हार, सफाई कर्मचारी, आदिवासी, कौल, कलवार आदि अत्यंत नीच वर्ण के लोग हैं.

यह संविधान की धारा-14-15-का उल्लंघन है. संविधान सब की बराबरी की बात करता है. जबकि तुलसी की रामायण जाति के आधार पर ऊंच-नीच की बात करती है, जो संविधान का खुला उल्लंघन है (देखें—पेज 1029-दोहा 129 छंद (1) उत्तर कांड)

3- अभीर (अहीर) यवन किरात।
खलस्वपचादि अति अधरूप जे।।

अर्थात अहीर (यादव), यवन (बाहर से आये हुए लोग जैसे इसाई और मुसलमान आदि), आदिवासी, दुष्ट, सफाई कर्मचारी आदि अत्यंत पापी हैं. नीच हैं. तुलसी दास कृत रामायण (रामचरितमानस) में तुलसी ने छुआछूत की वकालत की है, जबकि यह कानूनन अपराध है. (देखें- पेज 338-दोहा 12(2)अयोध्या-कांड)

4-कपटी कायर कुमति कुजाती,
लोक,वेदबाहर सब भांति।

तुलसी ने रामायण में मंथरा नामक दासी (नौकरानी) को नीच जाति वाली कहकर अपमानित किया, जो संविधान का खुला उल्लंघन है. (देखें—पेज 338-दोहा 12(2) अयोध्या-कांड)

5-लोक वेद सबही विधि नीचा,
जासु छांटछुई लेईह सींचा।

केवट (निषाद, मल्लाह) समाज, वेद शास्त्र दोनों से नीच है. अगर उसकी छाया भी छू जाए तो नहाना चाहिए.

तुलसी ने केवट को कुजात कहा है जो संविधान का खुला उल्लंघन है. (देखें-पेज 498-दोहा 195 (1) अयोध्या-कांड)

6- करई विचार कुबुद्धि कुजाती,
होहिअकाज कवन विधि राती।

अर्थात वह दुर्बुद्धि नीच जाति वाली विचार करने लगी है कि किस प्रकार रात ही रात में यह काम बिगड़ जाए.

7-काने,खोरे,कुबड़ें,कुटिल,कूचाली,कुमतिजानतिय विशेष पुनि चेरी कहि,भरतु मातुमुस्कान।

भरत की माता कैकई से तुलसी ने फिज़िकली और मैंटली चैलेंज के लोगों के साथ-साथ स्त्री और खासकर नौकरानी को नीच और धोखेबाज कहलवाया है. काना, लंगड़ों और कुबड़ों को नीच और धोखेबाज जानना चाहिए. उन में स्त्री और खास कर नौकरानी को इतना कह कर भरत की माता मुस्कराने लगी, ये संविधान का उल्लंघन है. (देखें-पेज 339-दोहा 14-अयोध्या-काण्ड)

8. तुलसी ने निषाद के मुंह से उसकी जाति को चोर, पापी, नीच कहलवाया है.

हम जड़ जीव, जीव धन खाती,
कुटिल कुचली कुमति कुजाती,
यह हमार अति बाद सेवकाई,
लेही न बासन,बासन चोराई।

अर्थात हमारी तो यही बड़ी सेवा है कि हम आपके कपड़े और बर्तन नहीं चुरा लेते (यानि हम तथा हमारी पूरी जाति चोर हैं. हम लोग जड़जीव हैं. जीवों की हिंसा करने वाले हैं)

मित्रों जब संविधान सबको बराबर का हक देता है तो रामायण को गैर-बराबरी एवं जाति के आधार पर ऊंच-नीच फैलाने वाली व्यवस्था के कारण उसे तुरंत जब्त कर लेना चाहिए, नहीं तो इतने सालों से जो रामायण समाज को भ्रष्ट करती चली आ रही है इसकी पराकाष्ठा अत्यंत भयानक हो सकती है. यह व्यवस्था समाज में विकृत मानसिकता के लोग उत्पन्न कर रहे है तथा देश को अराजकता की तरफ ले जा रही हैं. देश के कर्णधार, सामाजिक चिंतकों, विशेष कर युवा वर्ग को तुरंत इसका संज्ञान लेकर न्यायोचित कदम उठाना चाहिए, नहीं तो मनुवादी संविधान को न मानकर अराजकता की स्थिति पैदा कर सकते हैं.

  • मदारी मेहतर

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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2 Comments

  1. Brij pratap singh

    December 26, 2023 at 12:12 pm

    Please read the full context of whole chapter of where you collected these half lines not full lines
    If you didn’t take action on it
    Then I have rights according to section 295A and I well know that what to do
    If you read Constitution really .

    Reply

    • ROHIT SHARMA

      January 3, 2024 at 4:30 pm

      आप दुष्ट मानवविरोधी ब्राह्मणवादी हैं. धन्यवाद !

      Reply

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