गोपाल चौधरी आगरा दक्षिण से निर्दलीय विधायक पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे, तब पत्रकारों द्वारा मुद्दे के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में गोपाल चौधरी ने बड़े ही साफगोई से भारतीय राजनीति की सच्चाई सबके सामने रखते हुए सनसनी फैला दिया. उन्होंने बताया कि “राजनीति में सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने के लिए ही कदम रखा है. पैसा कमाने के अलावा मेरे राजनीति में आने का और कोई मकसद नहीं है. साथ ही, मैं एक एमएलए को मिलने वाली सभी सुविधाओं को प्राप्त करना चाहता हूं. राजनीति में जो भी प्रवेश करते हैं वो पैसा कमा ही लेते हैं और बड़े-बड़े बंगले बना लेते हैं. मैं भी वही करूंगा. राजनीति में जो आता है, वह पैसा कमाता है, अपना घर भरता है, ऐसा मुझे मालूम है. जो कुछ विकास कार्य के लिए पैसा आता है, उसमें विधायक के लिए तो 25 प्रतिशत होता ही है. ये है और कई तरह का काम होता है. चूंकि उन्हें इस काम का तजुर्बा नहीं है इसलिए उन्हें ये जानकारी नहीं है कि आखिर पैसा कैसे कमाया जाता है. फिर भी विधायक चुने जाने के बाद अफसर ही उन्हें ये सब सिखा देंगे. वो राजनीति में कदम रखकर लोगों को बेवकूफ बनाएंगे, ठीक उसी तरह जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की 125 करोड़ आबादी को कर रहे हैं. एक इंसान 125 करोड़ लोगों को बेवकूफ बनाकर प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो उनके पास कुछ तो हुनर होगी. मैं भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलूंगा. लोगों को मूर्ख बनाकर कैसे उनके वोट बटोर लेना है, मुझे पता है.”
सीधे सपाट तरीके से गोपाल चौधरी ने पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव जीतने के बाद का अपना लक्ष्य लोगों को समझा दिया. वे उन झूठे और कपटी लोगों की तुलना में लाख दर्जे बेहतर हैं जो बिना किसी दुराव-छुपाव के बात करते हैं. समाजसेवा और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने की बात कहकर अपना और औद्यौगिक घरानों की सेवा करते हैं. उनके लिए देश और समाज केवल अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों की सेवा करना मात्र ही होता है. कहना न होगा देश में सबसे बड़े देशभक्त होने का सपना आम गरीब आदमी के बीच बेचने वाले भाजपा और उसके प्रधानमंत्री उम्मीदवार से प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी आज अंबानी-अदानी के चरणों में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से दण्डवत् हैं और आम आदमी की पूरी गाढ़ी कमाई लूट कर अंबानी-अदानी के खजाने में भर दिया है.
देश का आम आदमी जब अपने गरीबी और बदहाली से छुटकारा पाने के लिए उसकी ओर आशा भरी दृष्टि से देखता है, वह ठीक वैसा ही होता है जैसे हलाल होने वाले बकरे को जाता देख दूसरा बकरा खुद को उससे अलग होने की कल्पना करते हुए खामोश रहता है. पर हलाल होने वाले बकरे का मांस बिक जाने के बाद कसाई उस दूसरे बकरे को भी उसी तरह काट कर टांग देता है, और बोली लगाता है. ठीक इसी तरह प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान नरेन्द्र मोदी एक के बाद एक बकरे की भांति देश के लोगों को हलाल करते हुए देशी-विदेशी काॅरपोरेट घरानों के हाथों उसे बेच रहा है. इसी का परिणाम कभी माल्या तो कभी नीरव मोदी के रूप में सामने आता है.
ऐसे में जब देश के नौजवान अपनी रोजी-रोटी की बात करते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी रोजगार के नये अवसर के तौर पर पकौड़ा बेचने की ओर ईशारा करते हैं और महज 200 रूपये रोज अर्थात् 6000 रूपये मासिक आय को ही रोजगार बता देते हैं. ऐसे में रोजगार के अवसरों के विस्तार की भविष्यद्रष्टा मोदी के पकौड़ा विजन को समझ लेना हर भारतवासी के लिए जरूरी है.
भविष्यद्रष्टा मोदी का हर नीति 2022, 2050 अथवा उससे भी दूर कहीं 2350 को केन्द्रित कर बनाया जाता है. जब वे नौजवानों को पकौड़े बेचने की सलाह देते हैं और उसे “रोजगार” कहते हैं तो उनका इशारा साफ है कि वे भविष्य की योजनाओं के तहत सरकारी नौकरी में आम आदमी के लिए अवसरों को खत्म कर धन्नासेठों के बेटे-बेटियों के लिए उसे सुरक्षित करना चाह रहे हैं. आम आदमी को महज 6000 रुपये में जीने लायक जीवन जीने को कहते हैं. इसके लिए वह देश को अभी से तैयार कर रहे हैं.
माल्या और नीरव मोदी को हजारों करोड़ लेकर भाग जाने को मोदी सहज मानते हैं, अर्थात् मोदी माल्या और नीरव मोदी की तरह देश को लूट कर विदेश भाग जाने को भी ‘रोजगार’ का ही हिस्सा मानते हैं क्योंकि हम सभी जानते हैं अखबारों और अन्य जांच एजेंसियों की उछल-कूद बेमतलब है क्योंकि इससे कुछ होना-जाना नहीं है. कारण ? इस बात के स्पष्ट सबूत मिल रहे हैं कि माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी आदि को आम आदमी के बैंकों में जमा पूंजी को लूटने और देश से सुरक्षित बाहर निकल जाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रत्यक्ष हाथ है. भाजपा के रविशंकर भी साफ कर चुके हैं नीरव मोदी पर भी उसी तरह की कार्रवाई की जायेगी जिस तरह माल्या पर की गई थी. देश को मालूम है कि राज्य सभा सांंसद माल्या के 9 हजार करोड़ रुपए बैैंकों से लेकर भाग जाने के बावजूद मोदी सरकार की हिम्मत नहीं हुई कि कम से कम माल्या के राज्य सभा की सदस्यता को ही रद्द कर दिया जाये. बजाप्ता माल्या से इस्तीफा पत्र मांगा गया और उसे स्वीकार किया गया. हलांकि नौटंकी खूब की गई थी, आज उसी नौटंकी को नीरव मोदी के मामले में दोहराया जा रहा है.
मोदी ने देश के सामने पकौड़ा बेचने की ही तरह देश के बैंकों को लूटकर भाग जाने को रोजगार के नये अवसरों के बतौर देश के सामने रख दिया है. फर्क सिर्फ इतना ही है कि पकौड़ा रोजगार देश के विशाल आम आदमी के लिए है और बैंक को लूटकर सुरक्षित भाग जाने का रोजगार देश के चंद कॉरपोरेट घरानों के लिए.
‘पकौड़ा रोजगार’ का नया विजन सामने आने के बाद आरएसएस के एक कार्यकर्ता मोदी के विश्वव्यापी रोजगार योजना का और ज्यादा विस्तार करते हुए ‘भीख मांगने’ को भी रोजगार मान लिया, जिसमें 20 करोड़ लोगों को रोजगाररत् होने की घोषणा भी कर दी. सचमुच भीख मांगने में लगे 20 करोड़ भारतीयों के इस ‘रोजगार’ पर देशवासियों को फख्र करना चाहिए.
वहीं इस योजना का और विस्तार करके अपराध करना, हत्या करना, अपहरण करना, फिरौती मांगना आदि को भी रोजगार मान लेना चाहिए और सरकार को चाहिए कि रोजगार के इस क्षेत्र में भी बजाप्ता लाईसेंस बांटे ताकि समय पर जीएसटी आदि सरकार को मिल सके. रोजगार के इस क्षेत्र में भी अवसर बढ़ने से देश के उन करोड़ों किसानों और युवाओं का भला होगा जो बैंकों और अन्य सूदखारों से लिए गये कर्ज को अदा न कर पाने के कारण लाखों की तादाद में फांसी लगा कर या नदी में कूद कर आत्महत्या कर लेते हैं. उन करोड़ों किसानों को चाहिए कि वे मोदी सरकार के रोजगार योजना के इस विस्तार में पूरे दिल से कूद जाये और पकौड़े बेचना, अपराध करना, हत्या करना, अपहरण करना, फिरौती मांगना आदि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाशे जाये. इससे सरकार को भी भरपूर आमदनी की गुजांइश बनी रहेगी. मसलन जब वे पकौड़े बेचेगें तो स्वभावतः गली के गुंडे और सरकारी पुलिस आकर पैसे वसूल ले जायेंगे, जिससे गुडों और पुलिसों को भरपूर आमदनी होगी तो वहीं अपराध करने, हत्या करने, अपहरण करने, फिरौती मांगने से निठल्ले बैठें पुलिस महकमों को रोज लाखों केस मिलेंगे, जिसमें लाखों से लेकर करोड़ों की हर रोज आमदनी के नये स्त्रोत खुल जायेंगे, उनकी चांदी हो जायेगी. तो वहीं मुकदमें लड़ने के बजाय मक्खी मारने को मजबूर जजों और वकीलों को बेहिसाब संख्या में नये-नये मुकदमें हर रोज मिलेंगे, जिससे उनकी आय में हजारों-लाखों गुना तक की वृद्धि हो जायेगी. रातों-रात वे अमित शाह के पुत्र जय शाह के 16 हजार गुना आय बढ़ोतरी को भी मात दे देंगे.
महान ‘देशभक्त’ हिटलर के दुर्लभ भाषण का अंश
भविष्यद्रष्टा मोदी ने बहुत सोच-विचार के बाद ही अपना बेशकीमती ‘पकौड़ा-रोजगार विजन’ देश के लोगों को बेमोल दिए हैं, जिसके लिए हम भारतवासियों को जी-न्यूज चैनल को आभार व्यक्त करना चाहिए.
उन तमाम लोगों को जिन्हें मोदी के इस ‘पकौड़ा-रोजगार विजन’ पर आपत्ति है उन्हें फौरन ‘देशद्रोही’ घोषित कर फांसी पर टांग देना चाहिए ताकि उनको मुकदमा लड़ने का भी वक्त न मिल सके. जिन्हें फांसी पर न टांगा जा सके उनके खिलाफ 50 हजार करोड़ नहीं, 50 लाख करोड़ रूपया का मानहानि करना चाहिए ताकि दुबारा कोई विरोध करने का साहस न जुटा सके. इसके लिए संविधान में संशोधन भी करना पड़े तो फौरन कर लेना चाहिए ताकि देश के करोड़ों भारतवासियों को ‘मुक्त रोजगार’ का लाभ मिल सके.
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