कोई शिक्षानीति नहीं आई है. शिक्षा संस्थानों की जमीन बेचने का प्लान बना है. 2017 में संघ ने बोला था : सरकारी स्कूल बंद कर दिए जाए !
इसका अपना एक गणित है और इसमें करीबन 100 लाख करोड़ रुपये की सम्पत्ति दांव पर है. जरा ध्यान दीजिए.
- भारत में लगभग 15 लाख सरकारी स्कूल हैं. अलग-अलग राज्यों के शिक्षा विभाग के वेबसाइट से ये आंकड़ा मिला है.
- ये स्कूल गांव से लेकर बड़े बड़े शहर में हैं. इन स्कूलों के आसपास काफी विकास हुआ. ये सारे स्कूल अपने आप मे लैंडमार्क हैं. ये सारे स्कूल, खुद एक ‘लैंडबैंक’ भी हैं.
- ऐसे स्कूल 3-5 एकड़ जमीन पर बने हुये हैं. आज की तारीख में ये जमीन बेशकीमती है. सोचिये मुम्बई, दिल्ली या कलकत्ता के आसपास, एक एकड़ जमीन का क्या भाव है. गांवों-कस्बो में भी भाव कम नहीं है.
- ये सारी जमीन सरकारी खातों में 1 रुपये मूल्य पर दिखाई गई है. यानी गड़ा हुआ खजाना है. फ्री का माल है.
मान लीजिए एक स्कूल 3 एकड़ पर बना हुआ है. तो 15 लाख स्कूल की कुल जमीन हुई : 15 लाख x 3 एकड़ = 45 लाख एकड़ जमीन (ज्यादा भी हो सकता है).
1.5 करोड़ रुपये एक एकड़ का एवरेज तो पूरी जमीन का मूल्य क्या होगा ? 45,00,000 एकड़ x 1.5 करोड़ रुपये = 67,50,000 करोड़ रुपये (गणित गलत हो तो ठीक कर दीजिए).
67 लाख 50 हजार करोड़ की सम्पत्ति, जिसका सरकारी मूल्य बस 1 रुपये है.
अब समझिये : ये सरकारी स्कूल बंद करके क्या-क्या किया जा सकता है ? सम्भावनायें समझिये –
- मान लीजिये, 50% स्कूल संघ को दे दिए. संघी शिक्षा का सबसे बड़ा प्लान हो सकता है ! जमीन फ्री.
- उद्योगपतियों को जमीन ट्रांसफर की जा सकती है क्योंकि डेवलप्ड और प्राइम प्रॉपर्टी है.
- उद्योगपति इस जमीन को बैंक में गिरवी रख कर अरबो का कर्ज ले सकते हैं.
- बड़े शिक्षा माफिया को स्कूल दिए जा सकते है जो मध्यमवर्ग, गरीब की पहुंच से बाहर होगा. गरीब का बच्चा अनपढ़ और गरीब ही रहेगा.
- मैंने बस एक सम्भावना तलाशी है. जमीन का एवरेज भाव बस 1.5 करोड़ ₹ एकड़ का दाम पकड़ा है, जबकि ये भाव बहुत ज्यादा हो सकता है.
ये 100 लाख करोड़ से ऊपर की राष्ट्रीय सम्पत्ति है !
ये काम एक साथ नहीं होगा. धीरे-धीरे होगा. अपने-अपने राज्य का एक अनुमान लगाइये. ये इस देश मे जमीन की सबसे बड़ी लूट का ब्लूप्रिंट भी हो सकता है.
- कृष्णन अय्यर
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