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‘नमस्ते ट्रंप’ की धमकी और घुटने पर मोदी का ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’

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'नमस्ते ट्रंप' की धमकी और घुटने पर मोदी का 'हिन्दू राष्ट्रवाद'

बहुत दिन नहीं बीते हैं जब देश में ‘नमस्ते ट्रंप’ और ‘हाऊडी मोदी’ की घूम मची थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और मोदी के किस्से सुनाये जाते थे. उसकी मूर्ति बनाकर भक्त पूजते थे, तिलक लगाते थे, उसका बर्थडे मनाते थे, पर आज जब पूरी दुनिया समेत भारत भी कोरोना वायरस की इस महामारी से जूझ रही है, जरूरी उपकरण और दवाइयों की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहा है तब ट्रंप द्वारा मोदी को सीधे सीधे अंजाम भुगतने की धमकी देना, और मोदी सरकार का तत्क्षण घुटने टेक देना देश की संप्रभुता पर सीधा हमला है, जो 72 साल के इतिहास में कभी नहीं हुआ.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने साफ-साफ कहा है कि ‘अगर भारत ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के ईलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं.’ विदित हो कि विदेश व्यापार महानिदेशालय DGFT ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी.

ट्रंप ने कहा कि ‘पीएम मोदी के साथ हालिया फोन कॉल के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह इस दवा को अमेरिका को देने पर विचार करेंगे. उन्‍हें मुझे बताना होगा जो हमने रविवार सुबह बातचीत की थी. मैंने उनसे कहा था कि हम आपके दवा को देने के फैसले की सराहना करेंगे. यदि वह दवा अमेर‍िका को देने की अनुमति नहीं देते हैं तो ठीक है लेकिन निश्चित रूप से जवाबी कार्रवाई हो सकती है और क्‍यों ऐसा नहीं होना चाहिए ?’

सर्वविदित है कि भारतीय दवा कंपनियों का जेनेरिक दवाइयों के मामले में दुनिया भर में दबदबा रहा है. भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन करती हैं. मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है. भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, दरअसल यह दवा उन स्वास्थ्य कर्मियों के भी बहुत काम आती है जो मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में काम करते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं. माना जा रहा है कि इस दवा का खास असर सार्स-सीओवी-2 पर पड़ता है. यह वही वायरस है जो कोविड-2 का कारण बनता है.

पिछले हफ्ते भारत सरकार ने इसकी खुली बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है. अब कोई भी केमिस्ट इस दवा को केवल पंजीकृत डाक्टर की पर्ची पर बेच सकेगा. साथ ही उसे उस पर्ची की एक प्रति ड्रग विभाग को जमा करानी होगी. मलेरिया की दवा की बिक्री पर प्रतिबंध पहली बार लगा है. एक हफ्ते पहले तक इस दवा को बिना डाक्टर की पर्ची के भी कोई भी खऱीद सकता था. इस बात से यह भी समझ में आता है कि कि देश में भी इसकी शॉर्टेज की स्थिति बन रही थी इसलिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन को अनिवार्य किया गया था.

अमेरिकी धमकी से भयभीत रातों रात DGFT ने हाइड्रोक्लोरोक्विन के अमेरिका निर्यात की परमिशन दे दी है, वो भी इस तथ्य के बावजूद कि खुद भारत में इस ड्रग की बहुत ज्यादा कमी महसूस की जा रही है..सनद रहें कि यह दवा कोरोना के अलावा दूसरी बीमारियों, जैसे मलेरिया, रयुमेटिक ऑर्थराइटिस में भी काम आती है. उन मरीजों को इसका रेगुलर सेवन करना पड़ता है. उन्हें भी इस समय यह दवा मिल नहीं पा रही है. सोचिये, क्या इस स्थिति में भारत को यह दवा निर्यात करना चाहिये ? क्या यह देशद्रोह नहीं है ?

इसका जवाब एक कथित राष्ट्रवादी इस प्रकार देता है, ‘अमेरिका गलत नहीं है. भारत से वह हमेशा से मेडिसिन लेता आ रहा है और आज उसके रोज 1200 लोग मर रहे हैं तो उसका संयम होना वाजिब है. अगर भारत के पास पर्याप्त से ज्यादा उपलब्ध है तो देना चाहिए. वह कोई युद्ध नहीं कर (tax) बढ़ाने का संकेत भविष्य के लिए दिया है. अगर भारत के पास यह दवाई जरूरत से ज्यादा है और फिर भी वह अमेरिका को नहीं देता है तो अमेरिका भविष्य में पाकिस्तान के माध्यम से बदला जरूर लेगा.’

एक ओर अमेरिका का तलबा चाटने वाली हिन्दू राष्ट्रवादी मोदी सरकार के साथ अमेरिका का यह धमकी भरा व्यवहार है. इसके उलट चीनी गणराज्य, जिसके खिलाफ यह हिन्दू राष्ट्रवादी मोदी सरकार और उसके राष्ट्रवादी गुंडे दिन रात आग उगलते हैं, ने इस कठिन दौर में भारत को आज 1.7 लाख PPE (निजी रक्षा उपकरण) दान किए हैं.

देश में इस दवाई की भारी किल्लत के वाबजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की धमकी से भयभीत देश का हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार द्वारा आनन फानन में दवाईयां अमेरिका भेज देना, संघ-भाजपा के हिन्दू राष्ट्रवाद का असली चेहरा दिखलाता है. मसलन, हिन्दू राष्ट्रवाद गली का वह कुत्ता है जो कमजोरों पर भौंकता है, उसे काट खाता है, पर ताकतवर के सामने आते ही पूछ हिलाने लगता है, उसका तलवा चाटने लगता है.

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