Home गेस्ट ब्लॉग ‘नमस्ते ट्रम्प’ का कहर और मोदी का दिवालियापन

‘नमस्ते ट्रम्प’ का कहर और मोदी का दिवालियापन

3 second read
0
0
467

'नमस्ते ट्रम्प' का कहर और मोदी का दिवालियापन

Vinay Oswalविनय ओसवाल, बरिष्ठ पत्रकार
अपने रोजी रोजगार के साधनों और संस्थानों पर ताले डाल कर जो वर्ग मौन साधे घरों में बैठा है, जिस दिन उसे विश्वास हो जाएगा कि देश के डॉक्टर्स इस महामारी के वायरस को पहचान लिये, इसका इलाज क्या है जान लिये और उसके दिल में बैठा डर निकल जायेगा, फिर किसी के लाख रोकने पर भी वह घरों में नहीं बैठेगा.

कोरोना की शुरुआती खबरें जो भारत सरकार को 15 जनवरी से मिलना शुरू हो गईं थी, के आधार पर मोदी जी को ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम निरस्त कर देना था. साथ ही तमाम देशों से आने वाले लोगों की वीजा अनुमति निरस्त कर उनकी यात्रा को शुरू होने से पहले ही रोक दिया जाना चाहिए था.

खबरें मिल रहीं थीं कि कोरोना अमेरिका को तेजी से अपनी गिरफ्त में कसने लगा है. विदेशी यात्रियों के कंधे पर बैठ कर कोरोना के भारत में प्रवेश करने का खतरा भी साफ-साफ नजर आने लगा था. मोदी जी कृपया बताएं, नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम को निरस्त न कर भारत ने ऐसा क्या बड़ा हासिल किया है जिसकी तुलना में कोरोना को अपने गले लगा मोल लिया ?

जो समय भारत सरकार ने ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम से जुड़ी तैयारियों में लगाया उस समय का उपयोग उन्होंने कोरोना से अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने की तैयारियों में लगाया होता तो आज भारत विश्व का पहला देश होता जो या तो संक्रमण मुक्त होता या नाम मात्र को संक्रमित होता.

बहुमूल्य समय हांथ से गंवाने के बाद 24 मार्च को अचानक पूरे देश में रात 12 बजे से लॉकडाउन (पूर्ण बंदी) की घोषणा ने पूरे देश को जबरदस्त मानसिक आघात पहुंचाया है. लॉकडाउन 17 मई को 54 दिन पूरे कर लेगा. उम्मीद नहीं कि 17 मई तक देश कोरोना के विरुद्ध छेड़ी जंग जीत लेगा.

लॉकडाउन की समाप्ति की घोषणा जंग जीतना नहीं है. जंग तो उस दिन जीती मानी जायेगी जिस दिन कोरोना से बचाव का टीका और संक्रमण को समाप्त करने की दवा बाजार में आ जायेगी और लोग सन्तुष्ट हो जायेगे.

दुनिया में हर 39 सेकेंड में निमोनिया से संक्रमित एक मरीज की मौत हो जाती है लेकिन यह आंकड़े हमें डराते नहीं हैं क्योंकि इस बीमारी से निजात पाने के उपाय ढूंढ लिए गए हैं और उनसे हम सन्तुष्ट हैं. आर्थिक रूप से सम्पन्न वर्ग निमोनिया से निजात पाने के खर्चों को उठाने में सक्षम है इसलिए डरता नहीं है.

सामाजिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे ही सरकारी अस्पतालों की गैर जबाबदेह, बदहाल, भ्रष्ट, अपर्याप्त व्यवस्था का शिकार होकर मरते रहते हैं. डॉ कफील जैसों के सिर हत्या का पाप मढ़ दिया जाता है और मामलों की जांच फाइलों में बन्द कर दी जाती है.

विपन्न/दरिद्र की मौतों के आंकड़ों को इकठ्ठा करने में और इस तबके के लोगों को राहत देने की तैयारियां करने में कब हमारी रुचि रही है ? रुचि होती, और इन छः सालों में कुछ किया होता तो वो सामने आता.

जो सामने आया है वह यह कि हमारे नामी गिरामी फाइव स्टार फेसिलिटी से सुसज्जित निजी अस्पताल में भी पहले से भर्ती मरीजों के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए व्यवस्थाएं चाक चौबंद तो क्या, व्यवस्थाएं है ही नही. वहां के स्वास्थकर्मी खुद को सुरक्षित रखने के लिए उपस्कर नहीं हैं. तो सरकारी अस्पतालों की क्या कहें. जो अधिसंख्य ठेका पद्धति पर भर्ती अकर्मण्य डॉक्टरों को न्यूनतम मासिक भुगतान पर तैनात कर चलाये जा रहे हैं. ऐसे डॉक्टरों की भी संख्या किसी अस्पताल में पर्याप्त नहीं है.

बैसाखियों के सहारे चलने वाली पंगु और फटेहाल स्वास्थ्य सेवाओं वाले देश में कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के सन्देह पर उन्हें क्वारेंटीन में रखने के लिए जो कदम देश में आकस्मिक रूप से लॉकडाउन घोषित करने के बाद हड़बड़ाहट में उठाये गए हैं, उसकी तैयारी करने के लिए हमारे पास जनवरी के उत्तरार्द्ध से फरवरी के पूर्वार्द्ध तक एक माह का पर्याप्त समय था परन्तु उस मूल्यवान समय को हमने ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम की तैयारियों में खर्च कर दिया. मैं सरकार की इस लापरवाही को अक्षम्य और आपराधिक मानता हूंं.

जनवरी के उत्तरार्द्ध और फरवरी के पूर्वार्द्ध में एक माह की इस अवधि में कोरोना का कहर अमेरिका, चीन, यूरोप, ईरान आदि अनेक देशों को अपनी गिरफ्त में जकड़ चुका है, यह तथ्य उजागर हो चुका था.

फरवरी के उत्तरार्द्ध में हम स्कूल कॉलेजों को बंद कर सकते थे, क्वारेंटीन करने के लिए इनके खाली भवनों का उपयोग और वहांं जितने लोगों को रखने की व्यवस्था की गई उनके खाने-पीने के समुचित इंतजाम भी किये जा सकते थे. यानी जो व्यवस्थाएं लॉकडाउन घोषित करने के बाद हड़बड़ी में दौड़ते भागते आधी-अधूरी की गई, जैसा कि किसी भी आकस्मिक रूप से किसी आपातस्थिति का सामना हो जाने पर सामान्यतः होता है, वही हुआ. शुरू में किसी को कुछ मालूम नहीं था कि क्या और कैसे करना है ?

लॉकडाउन घोषणा के साथ ही पूरे देश में मिल, कारखाने आदि बन्द हो गए और उनमें काम करने वाले अप्रवासी मजदूर बेरोजगार हो कर अपने घरों से सैकड़ों हजारों मील दूर फंस गए. उन्हें नहीं बताया गया कि वे अपने घरों को कब और कैसे लौट सकेंगे. 40 दिनों से अधिक समय से फंसे ये मजदूर इस त्रासदी को जीवन पर्यन्त्र नहीं भुला पाएंगे. पाठक भी उनकी त्रासदी की दर्द भरी कहानी को भली भांति जानते हैं. उन्हें भी इस त्रासदी को भोगने से बचाया जा सकता था, यदि फरवरी के आखिरी हफ्ते में ही उनकी घर वापसी के कार्य को हाथ में लिया गया होता !

लॉकडाउन घोषित करने के प्रधानमन्त्री के तरीके ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है. लोगों को यह नहीं बताया गया कि लॉकडाउन घोषित करने से पूर्व सरकार ने इस वैश्विक महामारी से लड़ने की क्या तैयारी की है ? लोगों की जानकारी में यह आ चुका था कि कोरोना नाम की महामारी ने विश्व की महाशक्ति अमेरिका सहित तमाम देशों को बुरी तरह जकड़ लिया है.

अपने रोजी रोजगार के साधनों और संस्थानों पर ताले डाल कर जो वर्ग मौन साधे घरों में बैठा है कि क्या वह आपके निर्देशों का सम्मान कर रहा है ? कतई नहीं. वो घरों में इसलिए बैठा है कि देश के डॉक्टर्स इस महामारी के वायरस को नहीं पहचानते, इसका इलाज क्या है नहीं जानते. जिस दिन उसे विश्वास हो जाएगा कि देश के डॉक्टर्स ये सब जान गए है, उसके दिल मे बैठा डर निकल जायेगा. फिर किसी के लाख रोकने पर भी वह घरों में नहीं बैठेगा.

Read Also –

कोरोना काल : घुटनों पर मोदी का गुजरात मॉडल
आरोग्य सेतु एप्प : मेडिकल इमरजेंसी के बहाने देश को सर्विलांस स्टेट में बदलने की साजिश
पागल मोदी का पुष्पवर्षा और मजदूरों से वसूलता किराया
21वीं सदी के षड्यंत्रकारी अपराधिक तुग़लक़

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

विष्णु नागर की दो कविताएं

1. अफवाह यह अफवाह है कि नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं अमित शाह गृहमंत्री आरएसएस हि…