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मोदी सरकार के कार्यकाल का पकौड़ा बजट

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मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट भी पूर्व की बजट की तरह गरीब, छात्र, व्यवसायी, किसान, आदिवासी, महिला विरोधी साबित हो गया है.  2500 अरब डाॅलर का भारत के बजट में देश का प्रधानमंत्री मोदी एक ओर देश की विशाल आबादी को रोजगार देने के नाम पर पकौड़ा बनाने का व्यवसाय चलाकर जहां महज 200 रूपये में (प्रतिमाह 6000 रूपये) में परिवार चलाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, तो वहीं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सांसदों की सैलरी को बेहिसाब बढ़ा बढ़ा रही है. तर्क यह है कि 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद उनकी सैलरी देश के शीर्ष नौकरशाहों और सेवा प्रमुखों से कम रह गई थी.

6 हजार प्रतिमाह में पकौड़े बेचकर परिवार चलाने को रोजगार की संज्ञा देने वाले प्रधानमंत्री मोदी के लिए राष्ट्रपति की 1.5 लाख, उपराष्ट्रपति की 1.25 लाख और राज्यों की राज्यपालों की 1.1 लाख प्रति माह की सैलरी कम लग रही है, जिसे बढ़ा कर क्रमशः 5 लाख, 4 लाख और 3.5 लाख प्रतिमाह किये जाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसे सांसदों ने भी बड़ी प्रसन्नता के साथ स्वागत किया है क्योंकि सांसदों की भी सैलरी मुद्रास्फीति की घटती-बढ़ती दरों के हिसाब से हर पांच साल में स्वतः ही बढ़ती जायेगी.

इसके उलट जब देश में पहली बार बनी आम आदमी पार्टी की आधे-अधूरे शक्ति वाले दिल्ली जैसे राज्य में दिल्ली के आम जनता की बुनियादी जरूरतों को रेखांकित कर उसका हल कर रही है, तब उससे भयाक्रांत भाजपा और केन्द्र की लूटेरी मोदी सरकार उस पर पूरी ताकत से टुट पड़ी है. उसे इस बात का डर समा गया है कि अगर आम आदमी पार्टी इस आधे-अधूरे ताकत वाली राज्य में आम जनता की रोजी-रोटी, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी जैसे बुनियादी जरूरतों को एक-एक कर हल कर लेती है, तो देश की आम जनता के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत हो जायेगा, जिससे देश भर में इस तरह मांगें उठनी शुरू हो जायेगी.

दिल्ली की केन्द्र सरकार जहां सरकारी नौकरशाहों (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गर्वनरों, सांसदों) का वेतन बढ़ाने पर तुली हुई है, तो वही दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की गरीब मजदूरों, गेस्ट शिक्षकों, दिहारी करने वाले, सफाई करने वालों का सैलरी बढ़ाने पर तुली हुई है. शिक्षा पर बजट का 25 प्रतिशत खर्च कर रही है जिसकारण शिक्षा का स्तर आये दिन उठ रहा है, जिस पर केन्द्र की धूर्त मोदी सरकार आये दिन अपने दलाल उपराज्यपाल अनिल बैजल के माध्यम से अडंगा अटका रही है.

यही कारण है कि आम जनता के खून को चूस कर जिन्दा रहने वाला यह शासक वर्ग आम आदमी पार्टी के द्वारा की जा रही जनहितैषी कार्यभारों को खत्म करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दिया है. सरकारी महकमों के साथ-साथ अपने गुंडों की पूरी फौज को भिड़ा दिया है. देश की मीडिया प्रतिष्ठानों को खरीदकर आम आदमी की इस छोटी सरकार को बदनाम करने की अपनी पूरी मुहिम चला रहा है. देश की जनता की पूरी घटनाक्रम को बड़ी ही बारीकी और बेबाकी से देख रही है.

दरअसल देश को पूरी तरह अंबानी-अदानी के चरणों में बिठा देने वाली केन्द्र की यह मोदी सरकार देश की विशाल जनता के हित में एक भी काम नहीं कर रही है, जिसकारण इसके लिए यह जरूरी है कि देश के तमाम नौकरशाहों, सांसदों, राज्यपालों को जनता के टैक्स के राशि से खरीदकर शासक वर्ग की सुरक्षा सुनिश्चित की जायें और देश की जनता को आपस में लड़ने-मरने के लिए नये-नये तरीके इजाद कर उसे किसी भी तरह से सवाल उठाने से रोका जाये.

देश भर में आम जनता के खिलाफ हर रोज नये-नये मुद्दों को तैयार किया जा रहा है. रोजी-रोटी की बुनियादी बातें करने वालों का मूंह बंद करने के लिए पुलिस-प्रशासन सहित गुंडों का सहारा लिया जा रहा है. देश को पतन के गर्त में धकेल देने की मोदी सरकार की भयानक साजिश के खिलाफ सवाल उठाना ही आज देशभक्ति और प्रगतिशीलता है.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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