नोटबंदी के नाम पर देश की जनता की गाढ़ी कमाई को बैंकों में रखवाकर 10.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लोन माफ कर कॉरपोरेट घरानों को लूट की मोदी ने खुली छूट दे दी है. इन कर्ज माफी के अतिरिक्त सैकड़ों की तादाद में ऐसे कॉरपोरेट घराने हैं जो देश की बैंकों से कर्ज लेकर देश से भाग चुके हैं अथवा भागने की कतार में हैं. कुछेक के नाम सामने आये है, पर सैकड़ों नाम अभी भी अंधेरे में हैं. कॉरपोरेट घरानों के रोज-रोज देश से हजारों करोड़ लेकर भाग जाने की घटनाएं घटित होने के बावजूद प्रधानमंत्री पद पर विराजमान नरेन्द्र मोदी अपने मुखमंडल पर टेप लगा लिए हैं. खुद को चौकीदार और फकीर कहने वाले नरेन्द्र मोदी देश में आम आदमी के साथ घटित होने वाली किसी भी दुर्घटना पर जबरदस्त तरीके से अपना मूंह सील लेते हैं.
यह अनायास नहीं है कि मोदी अचानक नोटबंदी करते हैं और फिर एफ आर डी आई कानून के तहत बैंकों से देश के आम आदमी के पैसों को जब्त करने का कानून बनाते हैं. बड़े पैमाने पर देश के आम आदमी का पैसा विदेश जा रहा है. इसमें हद दर्जे की लापरवाही बरती जाती है, जो केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रत्यक्ष भागीदारी के बगैर संभव ही नहीं है.
इसके लिए मोदी देश के उन तमाम लोगों का हित साधते है, जिससे उन्हें किसी तरह के रुकावटें पैदा होने का आभास होता है. मसलन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गवर्नर, जजों, बड़े वकीलों, सांसदों, विधायकों, उच्च पदस्थ अधिकारियों, मीडिया हाऊसें, प्रशासनिक अधिकारियों, चुनाव आयोग आदि को भारी मात्रा में रुपये देकर अथवा भय दिखा कर उसका मूंह बंद कर दिया गया है. उनके वेतनों में भारी वृद्धि की गई है क्योंकि जब देश का आम आदमी मोदी की जनद्रोही नीतियों और कार्यकलापों के खिलाफ सवाल उठायें तो यही लाभार्थी सबसे पहले आगे आकर उनका मूंह बंद कर दें. चाहें कुतर्कों की बौछार हो या जेल और गोली की. मोदी ने देश के आम आदमी के टैक्स के नाम पर जमा किये धनों का खुला दुरुपयोग कर अपनी सुरक्षा में एक मजबूत घेरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि देश की धनों को लूट कर भाग रहे ठगों से अक्रोशित जनता मोदी को कोई नुकसान न पहुंचा सके.
नरेन्द्र मोदी पूरी सजगता और ईमानदारी से देश के लूटेरे कॉरपोरेट घरानों की न केवल हिफाजत ही कर रहे हैं बल्कि उसमें अपना हिस्सा भी बांट रहे हैं. वहीं देश में रोटी, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय जैसी बुनियादी समस्याओं को हल करने के बजाय हिन्दू, मुसलमान, गाय, गोबर, लव जिहाद, श्मशानघाट, कब्रिस्तान, राष्ट्रवाद, देशभक्ति, सेना भक्ति आदि जैसे फर्जी मुद्दों में देश को उलझा कर बड़े पैमाने पर लूट जारी कर दिये. यही कारण है कि इन लूटेरों पर कार्रवाई करने की जगह उसके लूट में सहभागी बने नरेन्द्र मोदी को फौरन गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए.
भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को जेल भेजा जा सकता है, उन्हें फांसी पर लटकाया जा सकता है, ईजराइल के प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार और घोटाले के इन्हीं आरोपों पर जेल जाने की नौबत आ सकती है, तब भारत के सर्वाधिक भ्रष्ट और लाखों करोड़ रूपयों के घोटाले में हिस्सा बांटने, घोटाले करने वाले को देश से बाइज्जत विदेश में भेज देने के मामले में गिरफ्तार क्यों नहीं जा सकता ? क्यों नहीं इन्हें गिरफ्तार कर जेलों में डाला जा सकता है ? ‘विश्व-गुरू’ होने का खोखला सपना बेचने वाले गुलाम मानसिकता के रखवाले पर आखिर कार्रवाई क्योंकर नहीं हो सकती ? सवाल प्रधानमंत्री पद की गरिमा और शाख का है, जिस पर एक भ्रष्ट आदमी को नहीं रखा जा सकता.
इसके अतिरिक्त देश में ‘राइट-टू-रिकॉल’ कानून की आज सबसे बड़ी जरूरत है, वरना यह देश अंग्रेजी हुकूमत की लूट से बड़ी लूट-खसोट का शिकार आगे भी होती रहेगी. अगर यही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब देश की आम आबादी बंगाल अकाल (1943-44 में बंगाल – वर्तमान बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा – में एक भयानक अकाल पड़ा था, जिसमें लगभग 30 लाख लोगों ने भूख से तड़प-तड़प कर अपनी जान जान गंवाई थी), 1943 के बंगाल में कोलकाता की सड़कों पर भूख से हड्डी-हड्डी हुई मांएं सड़कों पर दम तोड़ रही थीं. लोग सड़े खाने के लिए लड़ते दिखते थे तो वहीं ब्रिटिश अधिकारी और मध्यवर्ग भारतीय अपने क्लबों और घरों पर गुलछर्रे उड़ा रहे थे, की ही भांति भयानक दुर्भिक्ष की चपेट में आ जायेगा.
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S. Chatterjee
February 20, 2018 at 7:51 am
किसी भी सभ्य देश में मोदी को फाँसी होती