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मोदी के देशभक्त मोधुल कुत्ते और वाराणसी पुल हादसे के संदेश

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मोदी के देशभक्त मोधुल कुत्ते और वाराणसी पुल हादसे के संदेश

प्रधानमंत्री मोदी, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के ‘प्रथम सेवक’ के तर्ज पर खुद को ‘प्रधान सेवक’ कहलाना पसंद करते हैं, तो कभी खुद को ‘चौकीदार’ बताते नहीं थकते हैं. परन्तु सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न तो प्रधान सेवक हैं और न ही चौकीदार. यह विशुद्ध रूप से साम्राज्यवादी और दलाल पूंजीपतियों का चाकर मात्र है, जो इसके बदले अगाध तनख्वाह पाते हैं और मंहगे से मंहगे परिधान, भोज्य पदार्थों से खुद को परिपूर्ण रखते हैंं और ‘फकीर’ होने का ढो़ंग करते हैं. ऐसी फकीरी ईश्वर सबको दे !!

जैसा कि हम सभी जानते हैं प्रधानमंत्री मोदी अपना मूंह चुनाव के वक्त या विदेश में खोलते हैं, साथ ही इस बात का भी सर्वाधिक ख्याल रखते हैं कि कोई प्रतिप्रश्न न पूछ बैठे, कहा हैं ,‘जब देश में देशभक्ति के बारे में चर्चा हो, जब राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रगीत, वंदे मातरम् के बारे में कोई चर्चा होती है तो कुछ लोग परेशान हो जाते हैं. देशभक्ति के कारण देश को स्वतंत्रता मिली और आज अगर हमने देशभक्ति के आधार पर विकास का एक बड़ा अभियान शुरू किया है, तो कांग्रेस और उसके साथियों को देशभक्ति में षड्यंत्र नजर आता है. देशभक्ति की बात से वे परेशान हो जाते हैं. क्या किसी ने सोचा होगा कि आजादी के बाद कांग्रेस इस हद तक गिर जाएगी कि आज कांग्रेस नेता उन लोगों के बीच जा रहे हैं जो ‘भारत के टुकडे होंगे’ जैसे नारे लगाते हैं.

‘कांग्रेस और उसके नेता इतने गिर गए कि जब भारतीय सेना ने सीमा पार लक्षित हमला किया तो उन्होंने इसका सबूत मांगा. ‘देशभक्ति के नाम से जिन्हें परेशानी होती है, जो देशभक्ति की चर्चा के खिलाफ हैं और जिनके लिए देशभक्ति परेशानी का कारण है, मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि अगर आप दूसरों से सीखना नहीं चाहते हैं , तो कृपया नहीं सीखें कम-से-कम बगलकोटे के मुधोल कुत्तों से सीखने का प्रयास करें. ‘मुझे पता है कि उनका ( कांग्रेस ) अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच गया है. देश के लोगों ने उन्हें नकार दिया है लेकिन वे अब भी जमीन पर आने को तैयार नहीं हैं इसलिए मैं उनसे उम्मीद नहीं करता कि वे मुधोल कुत्तों से भी कुछ सीखेंगे.’

मोदी ने अपने भाषण में यह साफ कर दिया है कि उन्होंने देशभक्ति की परिभाषा मुघोल कुत्तों से सीखा है और अपने भक्तों को भी सीखया है. मोदी की देशभक्ति के हजारों नमूने रोज ही देखने को मिलते हैं, जिस कारण देश की लाखों-करोड़ों लोग तबाह हो चुके हैं. मोदी ने ‘भारत तेरे टुकड़ें होंगे’ जैसे नारे को उल्लेखित करते हुए यह नहीं बताया कि आज तक मोदी और उनकी ‘देशभक्त मोधुल कुत्ते’ उन टुकड़ें लगाने वाले देशद्रोहियों को पकड़ नहीं पाई हैं और न ही गिरफ्तार किये गये जेएनयू के किसी भी छात्रों पर जुर्म भी साबित कर पाये हैं. इस में सबसे प्रखर सवाल तो यह उठ खड़ा हुआ है कि भाजपा के ही देशभक्त मोधुल कुत्ते ने ये नारे लगाये थे.

मोदी उन देशभक्त मोधुल कुत्ते को नहीं पकड़ सकते और न्यायालय गिरफ्तार किये गये जेएनयू के छात्रों पर आरोप साबित नहीं कर सकते तो उन्हें छात्रों को बदनाम करने के जुर्म में जेएनयू के छात्रों और समूचे देश से माफी मांगनी चाहिए. बजाय माफी मांगने के नरेन्द्र मोदी देश के सामने उन छात्रों को बदनाम करने की मुहिम के जुर्म में मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों में डाला जाना चाहिए, जो बार-बार देश को गुमराह करने का अपराध कर रहे हैं.

मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ऐसे ही देशभक्त मोधुल कुत्तों के द्वारा निर्मित पुल के टुट जाने के बाद मोदी का वह बयान बखूबी याद आने लगता है जो उन्होंने बंगाल में हुई इसी तरह के हादसे पर सवाल खड़े करते हुए कहे थे, ‘‘यह भ्रष्टाचार का भयावह रूप है. यह मनी और मौत् का कारोबार है. यह एक्ट आॅफ गाॅड नहीं, एक्ट आॅफ फ्रॅाड है.’ इसके साथ ही मोदी ने कहा था, ‘‘ममता बनर्जी कैसी सरकार चला रही है, इस पर भगवान ने संदेश भेजा है. आज यह ब्रिज टुटा है, कल पूरा बंगाल ऐसे ही खत्म कर देगी.’’

क्या बनारस में गिरा सड़क पुल और उसके नीचे दब कर मरे 18 लोगों की भयावह मौत ‘‘मनी और मौत का कारोबार’’ नहीं है ? क्या यह मोदी, योगी और उसके देशभक्त मोधुल कुत्तों के द्वारा मिलकर किया गया आकंठ भ्रष्टाचार का नमूना नहीं हैं ? क्या यह मोदी और योगी के लिए ईश्वर का स्पष्ट संदेश नहीं हैं ? क्या मोदी और योगी को नैतिक आधार पर – हलांकि मोदी और उसके मोधुल कुत्तों की कोई नैतिकता नहीं होती – पद से इस्तीफा नहीं दे देना चाहिए ? क्योंकि यह ईश्वर का स्पष्ट संदेश है.  परन्तु नहीं, मोदी और उसके देशभक्त मोधुल कुत्तों में नैतिकता कोई चीज नहीं होती.

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