Home गेस्ट ब्लॉग मोदी हत्या षड्यंत्र में दलित मानवाधिकारवादियों की गिरफ्तारी पर सवाल

मोदी हत्या षड्यंत्र में दलित मानवाधिकारवादियों की गिरफ्तारी पर सवाल

6 second read
0
0
1,922

मोदी हत्या षड्यंत्र में दलित मानवाधिकारवादियों की गिरफ्तारी पर सवाल

जो भी देश का प्रधानमंत्री होता है, अपने कार्यकाल के दौरान हर समय खतरे में होता है क्योंकि वही देश का प्रमुख होता है, नीति निर्धारक कर्ता-धर्ता होता है. इस कारण अतिवादी लोगों से हर समय हर प्रधानमंत्रियों को खतरा होता है. इसलिये तो उसकी सुरक्षा पुलिस, अर्ध-सेना, सेना, सेना की बेहिसाब टुकड़ियांं, ख़ुफ़िया विभाग सभी उसकी हिफाजत में हर समय उसके साथ होते हैंं. देश के भीतर तक सभी जगह में होते हैंं.

ऐसे में उस पर कोई खतरे की बात का मुद्दा हास्यास्पद जैसा ही होता है जब पुलिस सेना सब सुरक्षा में हो. वह कोई आम आदमी तो है नहीं कि कोई भी आये और उसे मारकर चला जाये. रही बात खतरे की तो हर प्रधानमंत्री हर समय खतरे में होता है. अगर ऐसा न होता तो इतनी हिफाजत इतनी सुरक्षा के प्रबंध प्रधानमंत्री के लिये नहीं होता. उसकी सुरक्षा हिफाजत की अचूक व्यहू रचना होती है. उसे हर समय अभेद्य की स्थिति में रखा जाता है.

प्रधानमंत्री को खतरा के खुलासा को गौर से देखें तो उसमें दो राइफल हत्या हेतु खरीदने के लिए 8 करोड़ रूपये की व्यवस्था करने वाले थे, यह बात तो गले से नहीं उतरती. अगर वह नक्सली थे तो क्या दो राइफल खरीदने की इस तरह बात होती ? बिल्कुल भी नहीं होती क्योंकि हम और आप रोज समाचारों में सुनते हैं, पढ़ते हैं, नक्सलियों से इतनी AK 47, इतने रॉकेट, इतने हथियार जब्त हुये और यह भी सब जानते हैं कि नक्सली सैकड़ों करोड़ लेवी चन्दा ठेकेदारों, उद्योगपतियों, तेंदूपत्ता वाले व्यापारियों से इकट्ठा करते हैं.

इस सच्चाई के भीतर देखा जाये तो अगर वह नक्सली होते तो आराम से बिना पैसा के राइफल उन्हें संगठन से मिल जाता. 8 करोड़ की व्यवस्था करने की जरुरत क्या थी ? रूपये भी यूंं ही मिल जाते. इसका साफ मतलब तो इस तरह ही इंगित होता है.

बरामद पत्र भी लोचा है और प्रचार-प्रसार भी लोचा है. उसको नक्सली करार देने में भी कहीं लोचा है. यह मैं नहीं वह प्रचार-प्रसार कह रहा है कि ‘वे इस हेतु राइफल खरीदने के लिए 8 करोड़ का इंतजाम करने वाले थे’. नक्सली होने की यह बात कहीं से भी ठीक नहीं बैठती है.

मोदी जी की हत्या के षड़यंत्र की बात अगर झूठी होगी तब भी एक दूसरा खतरा मोदी जी के लिये तो बन ही गया है. जिस तरह षडयंत्र के पर्दाफास की बात उनके द्वारा की जा रही है फ़िलहाल तो षडयंत्र का पर्दाफास होने के दावा से खतरा टल गया है और उसका दोष प्रचार-प्रसार में विपक्षियों पर दलितों पर मढ़ दिया गया है.

ऐसी स्थिति में अगर संघ और भाजपा को 2019 में यह लगने लगे कि मोदी का जादू ख़त्म हो गया है, बुरी तरह हार होने वाली है, ऐसी स्थिति में 2019 में सहानुभूति लहर से चुनाव जीतने खातिर किसी भी हिन्दू संगठन द्वारा ही मोदी की हत्या की या करायी जा सकती है, जिससे जैसे भी हो 2019 का चुनाव जीत सके, नेता तो फिर किसी को भी बनाया जा सकता है. यह भी हो सकता है जिसकी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि चुनाव को कुछ ही समय बचा है.

ऐसे में ऐसा कुछ हो जाता है तो भाजपा को ही इसका फायदा मिलेगा. राजीव गांधी की हत्या में सहानुभूति लहर की तरह इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा और भारी बहुमत भाजपा को जायेगा. विपक्ष को इससे कुछ नहीं मिलने वाला है और न कुछ हाथ आने वाला है. जो सम्भावना उसके जीतने की थोड़ी-बहुत रहेगी, वह भी ख़त्म हो जायेगी.

अभी इस तथाकथित षड़यंत्र का प्रचार-प्रसार भी इसी तरह रचा गया है जैसे यह षडयंत्र दलितों ने किये हैं, विपक्षियों ने किये हैं. भूमिका तो बना दी गई है. ऐसे में मोदी जी को खतरा नक्सली से हो या न हो पर इससे यह भी साफ हुआ है कि मोदी पर यह खतरा 2019 में चुनाव जीतने खातिर उसे खुद हिन्दू संगठनों से भी बन गया है. देश की पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग को अब और भी सतर्कता की आवश्यकता है.

– बुद्धि लाल पाल के एफबी वाल के आधार पर

Read Also –

जर्मनी में फ़ासीवाद का उभार और भारत के लिए कुछ ज़रूरी सबक़
फासीवाद और उसके लक्षण

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…