1991 में पहली बार जब मुल्क गंभीर अर्थसंकट से गुजरा था तब तत्कालीन सरकार ने करीब 47 टन गोल्ड बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रख कर जैसे-तैसे स्थिति काबू में किया. तभी इंडियन एक्सप्रेस में खबर छप गई कि गोल्ड देश से बाहर चला गया और देश में बड़ी हाय-तौबा की स्थिति में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को संसद में इस विषय पर बयान जारी करना पड़ा कि ये स्थिति क्यों आई, कैसे आई और कैसे इस संकट से देश को उबारा गया. अब वो पॉइंट उतने प्रासंगिक नहीं है. कम से कम इतना कहा जा सकता है कि तत्कालीन सरकार ने इसको छिपाया नहीं और जनता व संसद के सामने सफाई दी.
नवंबर 2009 में भारत सरकार ने आइएमएफ के जरिए 200 टन गोल्ड ख़रीदा था, तब यह माना गया कि देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत है. दिल्ली के एक खोजी पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी का दावा है कि मोदी सरकार ने आते ही रिज़र्व बैंक का वो 200 टन गोल्ड चोरी -छिपे बिना मीडिया व विपक्ष की जानकारी में लिए, विदेश भेज दिया. नवनीत अब साउथ दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.
बैंक ऑफ़ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स बीआईएस – जो स्विट्ज़रलैंड में है, एक केंद्रीय बैंक है जिसके कई देश सदस्य हैं. भारत का रिज़र्व बैंक भी इसका एक सदस्य है. नवनीत को पता चला कि रिज़र्व बैंक के नागपुर वॉल्ट से 200 टन सोना गायब है, वो भी जुलाई 2014 से तब उन्हें अधिक आश्चर्य नहीं हुआ क्यूंकि वो मानते है कि मोदी है तो मुमकिन है. यहां बताना चाहेंगे कि नवनीत चतुर्वेदी ही वो खोजी पत्रकार हैं, जिन्होंने मोदी के गुजरात सीएम रहते हुए जीएसपीसी घोटाले को बेनकाब किया था और हालिया चर्चित राफेल जहाज घोटाले की परत दर परत खुलासा भी इन्होंने ही किया था. उसी आधार पर कांग्रेस पार्टी ने राफेल का मुद्दा खड़ा किया. इसके अलावा नवनीत भाजपा के पार्टी फण्ड के आंतरिक घोटाले को उठा कर भी चर्चा में रहे हैं. जानिए क्या है 200 टन गोल्ड का पूरा मामला.
आंकड़ों व रिकॉर्ड में हेरा-फेरी कैसे की गई है, सिर्फ वही समझना है. थोड़ा टाइम लग सकता है लेकिन जब आप समझेंगे तो यक़ीनन यही कहेंगे खुदा बचाए ऐसे चौकीदारों से.
सबसे पहले आप रिज़र्व बैंक से प्राप्त आरटीआई की इस रिप्लाई को पढ़िए, जो पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी ने ही पूछा था रिज़र्व बैंक से.
पहला सवाल – रिज़र्व बैंक के नागपुर वॉल्ट में कितना गोल्ड है ?
जवाब – मांगी गई सुचना डिस्क्लोज नहीं की जा सकती.
दूसरा सवाल – कितना गोल्ड बाहर के विदेशी बैंक में रखा गया है ?
जवाब – 268.01 टन गोल्ड बैंक ऑफ़ इंग्लैंड और बैंक ऑफ़ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में रखा गया है.
यहांं 68 टन गोल्ड शुरू से, मतलब काफी सालों से रखा है. बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में जिसके सम्बन्ध में जानकारी पहले से ही मीडिया में व विपक्ष सबको है. अब सवाल यह उठता है कि यह 200 टन गोल्ड क्यों विदेशी बैंक बीआईएस में रखा गया ? कब यह गोल्ड गया और इसके बदले में भारत सरकार को क्या मिला ? और यह जानकारी अब तक पब्लिक डोमेन में गायब क्यों रही ? इसको क्यों छिपाया गया ?
नवनीत ने उपरोक्त सवालों के जवाब खोजने के लिए आरबीआई और बीआईएस के रिपोर्ट्स ऑडिट बैलेंस शीट को पढ़ना शुरू कियाः
रिज़र्व बैंक की जून 2011 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक गोल्ड सब कुछ यही भारत में ही था. देखिये बैलेंसशीट कॉपी 2011, 30 जून.
रिज़र्व बैंक की जून 2014 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक भी गोल्ड यहीं भारत में ही था. देखिये बैलेंसशीट कॉपी 2014, 30 जून.
सनद रहे कि मई, 2014 में सत्ता परिवर्तन होता है और अब मोदी सरकार केंद्र में आ जाती है. विश्वस्त सूत्रों के हिसाब से जुलाई, 2014 में कुछ खेल रचा गया और यह गोल्ड नामालूम तरीके से अचानक बड़े गुप्त पैटर्न पर विदेश स्थित बीआईएस को चला जाता है, जिससे संबंधित कोई भी खबर पब्लिक डोमेन में नहीं है.
अब आप रिज़र्व बैंक की 2015 वाली ऑडिट रिपोर्ट को यदि गौर से पढ़े तो सब आंकड़ों में हेरा-फेरी का खेल उजागर हो जाता है. इस इकोनॉमिकल क्राइम का मोडस ऑपरेंडी बिलकुल वही है जैसा मैंने जीएसपीसी – गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन के एकाउंट्स में 19876 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी थी. यहां गुजरात मॉडल सक्रिय हो चुका है –
2015 की ऑडिट रिपोर्ट के कुछ अंश यहां लगाए है मैंने. इसके अनुसार गोल्ड का एक हिस्सा भारत में है और एक हिस्सा विदेश में है. भारत में जो गोल्ड है वो भारतीय मुद्रा के छपने के एवज में है और विदेश में जो गोल्ड है वो भी रिज़र्व बैंक की संपत्ति है लेकिन रखी गई स्विट्ज़रलैंड बीआईएस में है.
आंकड़ों में हेराफेरी यह हुई है कि 2015 की रिपोर्ट में जहांं पिछले साल 2014 का हवाला दिया गया है, वहां भी इस गोल्ड का आधा हिस्सा भारत और आधा हिस्सा विदेश में होना दिखा दिया है जबकि 2014 की ऑडिट रिपोर्ट को देखा जाए तो सब गोल्ड यहीं पर है, भारत में ही.
उपरोक्त डॉक्यूमेंट साफ़-साफ़ बताते हैं कि यह 200 टन गोल्ड 30 जून, 2014 तक तो यहीं था. उसके बाद वो देश से गायब किया गया है. अब इन सवालो के जवाब अभी भी अनुत्तरित है कि यह गोल्ड बाहर विदेशी बैंक में क्यों गया ? कब व कैसे गया ? उद्देश्य क्या था ? क्या इसको गिरवी रखा गया ? या इसके बदले में स्वैपिंग करके डॉलर लिए गए ? आखिर बाहर भेजा क्यों ? और सबसे बड़ा सवाल यह पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं है ? इसको छिपाया क्यों गया ??
जाहिर है जवाब रिज़र्व बैंक को देना है. वित्त मंत्री को देना है. पीएम मोदी को देना है – लेकिन मोदी सरकार में भला जवाब किसी ने दिया है कभी ??
मुख्य मुद्दा यही है. आम जनता को इन भ्रष्ट चौकीदारों से भरी सरकार से बचना चाहिए. जवाबदेही चौकीदार की है कि वो बताये. जवाब दे कि हमारे देश का गोल्ड क्यों बाहर गया ? वापस कब और कैसे आएगा ? क्या भाजपा नेता माफ़ी मांगेंगे देश से यह जानकारी छिपाने के लिए ??
– नवनीत चतुर्वेदी
Read Also –
धन का अर्थशास्त्र : मेहनतकशों के मेहनत की लूट
सेना अमीरों के मुनाफे के लिए युद्ध लड़ती है
नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को लगा झटका कितना बड़ा ?
वीडियोकॉन घोटाला : इस देश का अब भगवान ही मालिक है …
मोदी द्वारा 5 साल में सरकारी खजाने की लूट का एक ब्यौरा
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]