सौमित्र राय
वाकई, मोदी सरकार इतिहास रचती है – तबाही का, बर्बादी का. भारत का रुपया आज 1 डॉलर के मुकाबले 77 के ऐतिहासिक गिरावट को छूने के बाद 76.93 पर जाकर रुका. साल 2017 में रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 65.47 पर था. यानी बीते 5 साल के मोदीराज में रुपया 17.5% गिरा है.
समूचे एशिया के बाजार में भारतीय मुद्रा की यह सबसे ज़्यादा गिरावट है. यह कारनामा सिर्फ एक चायवाले की सरकार ही कर सकती थी, तो कर दिखाया. (ग्राफ देखें)
बीते शुक्रवार को विदेशी संस्थागत विवेशकों ने शेयर बाजार से 7631 करोड़ रुपये निकाल लिए. रुपये के गिरने से व्यापार असंतुलन 21.19 बिलियन डॉलर का हो गया है. सितंबर 2021 में भारत पर विदेशी क़र्ज़ 593 बिलियन डॉलर था, जो बीते साल की इसी अवधि में 556.8 बिलियन डॉलर से अधिक है.
इन सबका नतीजा कच्चे तेल की खरीद से लेकर आयात तक में पड़ रहा है. निर्यातक खुश हैं, खासकर IT और फार्मा सेक्टर लेकिन कमज़ोर रुपये ने निवेशकों को बाज़ार से करीब 2 लाख करोड़ की भारतीय इक्विटी बेचने पर मजबूर कर दिया है. अगले ही दिन 11 मार्च को औद्योगिक उत्पादन का डेटा आएगा और उसमें भी बड़ी चिंताजनक तस्वीर सामने आने की उम्मीद की जा रही है.
तेल, खाद्य सामग्री और उपभोक्ता सामानों के दाम अभी से 15-25% बढ़ चुके हैं. आज 3 डिपार्टमेंटल स्टोर्स में घूमा. बहुत से रैक्स पर ‘आउट ऑफ स्टॉक’ का बोर्ड लगा था. उत्पादन ठप हो रहा है, क्योंकि मांग कम है. कल से अगर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो चौतरफ़ा महंगाई होगी. सरकार के सामने नौटंकी से ध्यान बटाने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है.
रूस ने पश्चिमी देशों को साफ़ चेतावनी दी है कि अगर रूसी तेल के निर्यात पर पाबंदी जारी रही तो क्रूड 300 डॉलर/ बैरल तक जा सकता है. इतना सुनते ही 421 अंक नीचे खुला शेयर बाजार 30 अंक चढ़कर फिर 200 अंक गिर गया. उधर, HDFC बैंक ने अगले साल के लिए जीडीपी बढ़त का अनुमान अभी 8.2% से घटाकर 7.5% कर दिया है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में निकल के भाव प्रति टन 1 लाख डॉलर से ऊपर पहुंचे. रूस पर पाबंदी से दुनिया को अभी बहुत कुछ भुगतना है. स्टील के दाम भी जल्दी ही आसमान पर होंगे. ब्रिटेन ने तो निकल खरीदने पर ही रोक लगा दी है.
बाजार को सबसे ज़्यादा चिंता मोदी सरकार में महंगाई को लेकर है. 10 मार्च को तेल के दाम 5-6 रुपये बढ़ेंगे और फिर होली तक हर रोज़ इतने ही दाम बढ़ते हुए 25 रुपये तक बढ़ जाएंगे. सरकार के सूत्र बात रहे हैं कि अगर क्रूड के दाम लगातार बढ़ते रहे तो फिर केंद्र और राज्य मिलकर पेट्रोलियम में टैक्स कटौती का भार उठाएंगे. यानी गुजरात चुनाव से पहले तक कोई राहत नहीं मिलने वाली है.
क्रूड आज 140 डॉलर तक पहुंच चुका है. इसी हफ्ते यह 150 डॉलर को छू सकता है. यानी होली के बाद भी हमारी तेल कंपनियां दाम में हर रोज़ इज़ाफ़ा करेंगी. गिरता रुपया निर्यात क्षेत्र की कमर तोड़ रहा है. अनाज, तेल से लेकर मेटल तक, चौतरफा महंगाई और ऊपर से बेरोज़गारी, घटती आमदनी. खैर, अपने को क्या ? मोदीजी हैं तो भरोसा है.
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