कहा जाता है कि पहले डकैतों का सपना बैंकों को लूटने का होता था, जिसमें खुद की जान जोखिम में डालने के बाद भी बहुत कम धन वह लूट पाता था. परन्तु 2014 से सत्ता में आई केन्द्र की मोदी सरकार ने डकैतों के पुराने सपनों को चरितार्थ कर दिया है, बल्कि ऐसे लूट का सपना तो किसी डकैतों ने भी नहीं देखा था.
केन्द्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी से लेेकर अब तक देश में तकरीबन 27 लाख करोड़ रूपया का डकैती किया है, जिसका न तो कोई विभाग जांच कर सकता है और न ही कोई न्यायालय फैसला सुना सकता है. ये सारे रूपये मोदी सरकार ने अपने काॅरपोरेट घरानों के अंबानी-अदानी जैसे ‘मित्रों’ पर लूटा दिया.
यह 27 लाख करोड़ रूपया की भारी भरकम धनराशि कितनी बड़ी होती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह रकम देश के एक वित्तीय वर्ष 2018-19 के समूचे बजट 28 लाख करोड़ से थोड़ा ही कम थी. इसके बाद भी आये केन्द्र की मोदी सरकार बैंकों से रूपया छीनती आ रही है और अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों पर लुटाती जा रही है.
देश की इतनी बड़ी धनराशि को लूटने के कारण आये दिन बैंक दिवालिया हो रहा है, जिससे बचने के लिए बैंके आये दिन नये-नये नियम बनाकर अपने ग्राहकों को लूट रहा है. यहां तक कि बैंक जब इन छोटे-बड़े नियमों से भी अपने घाटे की भरपायी नहीं कर पा रहा है तब वह खुलेआम ग्राहकों के खाते में जमा सभी रूपयों को जब्त कर ले रहा है और फटेहाल लुटे-पिटे लोग आत्महत्या करने पर उतारू हो रहे हैं. इसकी झलक महाराष्ट्र के बैंकों में देश ने खुलेआम देखा था, और केन्द्र की भ्रष्ट और क्रूर मोदी सरकार और उसके सिपहसालारों के ठहाकों को भी झेला था.
बैंक अपने नियम-कायदों के नाम पर किस प्रकार देश की गरीब आम-आवाम को लूट रही है, इसकी एक झलक केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कल लोकसभा में दिखाया. बकौल अनुराग ठाकुर बचत खाता में न्यूनतम बैलेंस मेंटेन न करने के नाम पर वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों ने अपने ग्राहकों से 1,996 करोड़ रूपये बतौर जुर्माना वसूला है. जुर्माना का यह पैसा बकायदा ग्राहकों से जबरदस्ती काट लिया जाता है अथवा उस ग्राहक के खाते को माईनस करता जाता है ताकि जब भी उक्त ग्राहक के द्वारा रूपया उक्त खाते में डाला जायेगा, तत्क्षण उसे काट लिया जाये. बैंक में न्यूनतम बैंलेंस न रखने का जुर्माना 2012 के बाद खत्म कर दिया गया था, जिसे बाद में केन्द्र की मोदी सरकार के इशारे पर अप्रैल, 2017 से दुबारा शुरू किया गया था. आरबीआई के अनुसार मार्च 2019 तक देश में कुल 57.3 करोड़ बचत खाते हैं, जिसमें से 35.27 करोड़ जनधन खाता है.
वित्त वर्ष 2016-17 के वित्त वर्ष में बैंकों ने न्यूनतम बैंलेंस न रखने के जुर्म पर अपने ग्राहकों से 790.22 करोड़ रूपये वसूला था. यह वसूली वित्त वर्ष 2017-18 में 18 सरकारी बैंकों ने न्यूनतम बैंलेंस ने रखने के जुर्म पर अपने ग्राहकों से 3,368.42 करोड़ रूपये वसूले और अब वित्त वर्ष 2018-19 में 1,996 करोड़ रूपये बतौर जुर्माने ग्राहकों से वसूले हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में कम वसूली होने का कारण यह है कि बैंकों के द्वारा दिनदहारे आम लोगों की जेब काटने के कारण देश में कोहराम मच गया था, जिस कारण बैंकों ने 1 अक्टूबर, 2017 से जुर्माने की राशि घटा दी थी. इसके बावजूद बैंकों के द्वारा आम गरीब नागरिकों को लूटने का यह सिलसिला थम नहीं रहा है.
Read Also –
मोदी है तो माइनस हैपीएमसी (पंजाब और महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक)
धन का अर्थशास्त्र : मेहनतकशों के मेहनत की लूट
बैंकों का निजीकरण यानि भ्रष्टाचार की खूली छूट
देश का सारा पैसा जा कहां रहा है ?
अब खतरे में आम आदमी की जमापूंजी
बैंक घोटालाः मोदी को गिरफ्तार करो ! ‘राईट-टू-रिकॉल’ लागू करो !!
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]