मौत का कार्ड : आधार कार्ड
कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने जब आधार कार्ड को जारी करने का प्रस्ताव रखा था तब तत्कालीन विपक्षी भाजपा मोदी के नेतृत्व में आधार कार्ड को जनविरोधी बताया था और कहा था कि ‘‘यह देश को पीछे ले जाने वाला कदम है.’’ परन्तु 2014 में देश की सत्ता पर आते ही भाजपा की मोदी सरकार ने हर उस कार्यक्रम को जिसे कांग्रेस ने शुरू किया था – जिसमें नोटबंदी, जीएसटी, आधार कार्ड भी था – और मोदी ने विरोध किया था, न केवल जोर-जबरदस्ती से कार्यान्विति करना शुरू कर दिया बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश का भी अनदेखा कर दिया.
आधार कार्ड, जिसका मोदी ने एक समय जबर्दस्त विरोध किया था, प्रधानमंत्री बनते ही उसे ‘जीवन का आधार’ घोषित कर दिया. चीजें अब यहां तक पहुंच गई है कि जिसके पास आधार कार्ड नहीं, उसे जीने का अधिकार भी नहीं, बना दिया गया है. इसका पहला शिकार झारखण्ड के सिमडेगा जिले की जलडेगा प्रखण्ड स्थित कारीमाटी गांव की 11 साल संतोषी कुमारी बनी – सबसेे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह हिन्दू थी, जो एक “हिदुत्ववादी” पार्टी भाजपा के शासनकाल में थी – ‘भात-भात’ कहते हुए मर गई, और भाजपा के कारकून इस बदनामी को मिटाने के लिए उस परिवार के ऊपर ही कहर बरपा दिया. गरीब असहायों के खून से रंगे भाजपा की सरकार के हाथों ने आधार कार्ड को जिस कदर बेरहमी से आम लोगों के ऊपर लागू किया है, इसका कोई जवाब नहीं हो सकता. यह हालत तब है जब विश्व बैंक ने आगाह किया है कि दुनिया भर में 101 करोड़ ऐसे लोग हैं, जो अधिकारिक रूप से हैं ही नहीं. ये लोग बिना किसी पहचान-पत्र के जिन्दगी बिता रहे हैं.
विश्व बैंक के अनुसार, बिना पहचान-पत्र वाले ‘अदृश्य लोगों’ कीें बड़ी संख्या अफ्रीका और एशिया में है. यह समस्या मुख्य रूप से उन भौगोलिक इलाकों में है, जहां के लोग गरीबी, भेदभाव, महामारी या हिंसा से पीड़ित हैं. झारखंड का सिमडेगा जिला भी ऐसे ही इलाकों में आता हैं, परन्तु काॅरपोरेट घरानों के खजाने को देश की जनता का खून तक निचोड़कर भरने वाली आधार कार्ड को अनिवार्य करने वाली भाजपा के लिए यह असमानता कोई मायने नहीं रखता वरन् बेहद फलदायी है.
भाजपा जिस प्रकार नोटबंदी, जीएसटी से लेकर आधार कार्ड तक को हर क्षेत्र में जबर्दस्ती लागू करने पर आमदा है, इसके कोई अच्छे परिणाम आने की सम्भावना भी नहीं है. नोटबंदी ने जहां देश की कमर तोड़ दी तो वहीं जीएसटी देश की अर्थव्यवस्था के पैरों को जंजीर में जकड़ दिया है. अब आधार कार्ड के माध्यम से लोगों के जीने का अधिकार भी छीन रही है. अगर भाजपा की तरह सारी दुनिया की सरकार इस तरह के पहचान पत्रों को अनिवार्य कर दे तो एक ही झटके में 101 करोड़ लोगों की हत्या करनी होगी, जिसका शुभारम्भ मोदी की भाजपा सरकार ने सिमडेगा से कर दिया है.
आधार कार्ड की शिकार बनी संतोषी कुमारी
‘भात-भात’ कहते हुए भूख से मरने वाली बच्ची को पहले मलेरिया से मरने की बातें की जाने लगी, परन्तु जब यह साबित नहीं हो पाया तब 11 साल की उस बच्ची संतोषी कुमारी’ की मां कोयली देवी और उनके परिवार को गांव वालों की आड़ में कुछ गुण्डे तत्वों के द्वारा कहर बरपाया जाने लगा, जिस कारण वह गांव छोड़कर पड़ोसी गांव पलायन करने पर मजबूर हो गई. निश्चित रूप से यह घटना भाजपा सरकार के निशानदेही के तौर पर हो रही होगी, जो भाजपा सरकार और उसके कारकूनों के कुकृत्य का सबसे वीभत्स नमूना है. यह दीगर बात है बाद में उस परिवार को वापस लाने की प्रशासनिक पहल की गई, पर दुनियाभर में भारत का चेहरा शर्मसार हो गया.
अपनी मूढ़ता की पराकाष्ठा को हासिल किये केन्द्र की मोदी सरकार जब गधे को अपना प्रेरणास्त्रोत बताती है, तब मोदी, पूरी भाजपा और उसके कारकूनों की मूढ़ता को महिमामंडित करते नजर आये. वह देश की करोड़ों गरीब-अशिक्षित लोगों के कब्र पर अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों के खजानों को जल्द से जल्द भरने की आतुरता ही दिखाई पड़ती है.
भाजपा देश की जनता को शिक्षित करने वाली शिक्षण संस्थानों पर खर्च घटा रही है, जिस कारण एक ओर जहां शिक्षण संस्थान बंदी के कागार पर आ पहुंचे हैं तो दूसरी ओर गरीब तबकों के आये छात्रों को शिक्षण संस्थान से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. चिकित्सा व्यवस्था को भी बाजार के हवाले कर लोगों के मौलिक अधिकार को छीना जा रहा है, जिस कारण हजारों की तादाद में लोग मारे जा रहे हैं. जिन चिकित्सा संस्थान में गरीब लोगों का इलाज किया भी जा रहा है, वहां इलाज के नाम पर गरीब मरीजों के ऊपर दवाईयों का उपयोग ‘प्रयोग’ के तौर पर किया जा रहा है.
यह अनायास नहीं है कि देश की कुल सम्पत्ति का 63 प्रतिशत हिस्सा महज 60 घरानों के पास केन्द्रित हो गया है. अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों के खजानों को बढ़ाने के लिए भाजपा की मोदी सरकार दिन-रात एक कर रही है गरीब-अशिक्षित-असहाय करोड़ों लोगों के अपमान और मौत की कीमत पर, जिसका हिसाब एक दिन भाजपा को देश के सामने देना होगा.
S. Chatterjee
October 23, 2017 at 8:10 am
भाजपा देश को क्रूर थियोक्रेसी की तरफ ले जाना चाहती है।अंध राष्ट्रवाद के चक्कर में लोग आज देख नहीं पा रहे हैं।जब तक नींद खुलेगी कांरवा लुट चुका होगा।