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महात्मा गांधी की शहादत और RSS की गोली

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महात्मा गांधी की शहादत और RSS की गोली

महात्मा गांधी की शहादत दिवस को संघियों ने बकायदा गोलियों की गूंज से मनाया है. इसकी वह बकायदा घोषणा भी कर चुका था. वक्त के इस पहिये को कालजयी रचनाकार हरिशंकर परसाई ने वर्षों पहले देख लिया था. उन्होंने लिखा था, ‘गोडसे को भगत सिंह का दर्जा देने की कोशिश चल रही है. गोडसे ने हिंदू राष्ट्र के विरोधी गांंधी को मारा था. गोडसे जब भगत सिंह की तरह राष्ट्रीय हीरो हो जायेगा, तब 30 जनवरी का क्या होगा ?

‘अभी तक यह ‘गांंधी निर्वाण दिवस है’, आगे ‘गोडसे गौरव दिवस’ हो जायेगा. इस दिन कोई राजघाट नहीं जायेगा, फिर भी आपको याद जरूर किया जायेगा. जब तीस जनवरी को गोडसे की जय-जयकार होगी, तब यह तो बताना ही पड़ेगा कि उसने कौन-सा महान कर्म किया था. बताया जायेगा कि इस दिन उस वीर ने गांंधी को मार डाला था. तो आप गोडसे के बहाने याद किए जायेंगे. अभी तक गोडसे को आपके बहाने याद किया जाता था.

एक महान पुरुष के हाथों मरने का कितना फायदा मिलेगा आपको ? लोग पूछेंगे- यह गांंधी कौन था ? जवाब मिलेगा- वही, जिसे गोडसे ने मारा था.’

आज भी गांधी के पथ पर चलकर अपने अधिकार के लिए प्रदर्शन कर रहे जामिया के छात्र पर एक संघी हत्यारा ने गोली चलाया. संघियों को आजादी से नफरत है, इसलिए इस हत्यारे ने जिसका नाम भी गोपाल है, आजादी के खिलाफ नारे लगाता है, तिरंगा झंडा की जगह भगवा झंडे की बात करता है. पर उसका एक सरगना गांधी के राजघाट जाता है और दूसरा सरगना ट्विटर पर ट्वीट करता है, ताकि उसके पाप से दिखावे के तौर पर अलग दिखाया जाये. संघी सरगना जो अभी देश का गृहमंत्री बन गया है ट्वीट करता है, ‘आज दिल्ली में जो गोली चलाने की घटना हुयी है उसपर मैंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से बात की है और उन्हें कठोर से कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार इस तरह की किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं करेगी, इसपर गंभीरता से कार्यवाही की जाएगी और दोषी को बख्शा नहीं जायेगा.’

गृहमंत्री बने इस संघी सरगना के इस ट्वीट से दुखी संघी शिकायती लहजे में कहता है, ‘अमित शाह जी आपको जितनी देशभक्ति है उतनी ही हमें है. अगर देश को कोई कुछ कहे तो हमें बर्दाश्त नहीं होता. तुम और हम एक ही समझ कर हम ऐसा कोई कार्य कर देंगे तो आप किनारा कर लेंगे, यह तो हमारे लिए बहुत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा.’

यह दुखी संघी अमित शाह के ट्वीट से अपनी निराशा जाहिर तो कर रहा है परन्तु वह नहीं देख पाया कि अमित शाह किस तत्परता से प्रदर्शनकारी पर गोली चलाने वाले ‘रामभक्त गोपाल’ की सुरक्षा की. प्रदर्शनकारियों की तरफ से कोई जवाबी प्रतिरोध न हो इसके लिए उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे पूरी सुरक्षा दी, यही कारण है कि गोली चलाने वाला वह संघी अपना हर कदम वहां तैनात पुलिसकर्मियों की तरफ बढ़ा रहा था और पुलिसकर्मियों ने भी उसे न केवल पूरी सुरक्षा देते हुए उसे अपने कवर में ले लिया बल्कि कुछ घंटे के उपरांत ही उसे नाबालिग घोषित कर उसके अपराध पर पर्दा डाल दिया और उसे आतंकवादी कहने के वजाय ‘देशभक्त’ बताने की होड़ लग गई है.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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