सुब्रतो चटर्जी
लॉकडाउन तुरंत ख़त्म करो. कोरोना कुछ हज़ार जानें लेगा पर भुखमरी और दूसरी बीमारियांं लाखों को मारेंगे. शहर के शहर तबाह हो जाएंंगे. गांंव में अन्य महामारियांं फैलेंगी. उद्योग धंधे चौपट हो जाएंंगे. सिर्फ़ स्मॉल स्केल यूनिट बंद होने से क़रीब पांंच करोड़ लोग बेरोज़गार हो जाएंंगे, जिन्हें किसी हाल में दिवालिया मोदी सरकार नहीं खिला सकती.
सारा ट्रांसपोर्ट बिज़नेस ख़त्म हो गया. मजदूर दर-ब-दर हो गए हैं. देश खाद्य पदार्थों, दूध, फल-सब्ज़ियों, मीट, दवा की कमी से जूझ रहा है. मोदी सरकार के छ: सालों के कार्यकाल में बेरोज़गारी पिछले 47 सालों में चरम पर था, अब वाक़ई सत्तर साल पीछे जाने का समय है.
एक भयावह मंजर सामने है, जिसे सिर्फ़ बीमार दिमाग़ ही नहीं देख पा रहा है. मोदी जी मुआफ़ी मांंग रहे हैं. मेरे कुछ सवाल हैं. किस-किस बात के लिए आपको मुआफ़ करें मोदी जी ?
- 2002 के नरसंहार के लिए ?
- पुलवामा के लिए ?
- नोटबंदी कर पूरे देश को कंगाल करने के लिए ?
- अंबानी अदानी की निर्लज्ज दलाली के लिए ?
- राफाएल में चोरी के लिए ?
- इवीएम हेराफेरी के लिए ?
- नीरव मोदी सरीखों को बचाने के लिये ?
- रिज़र्व बैंक में एक गदहे को बैठाकर अपने उद्योगपति मित्रों के लिए उसे लूटने के लिए ?
- देश के टैक्स से चार लाख करोड़ हड़पने के लिए ?
- सारी सांविधानिक संस्थाओं की हत्या के लिए ?
- शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा, सभी जनकल्याणकारी कार्यों को ख़त्म करने के लिए ?
- ट्रंप की चमचागिरी और मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की ख़ातिर कोरोना वायरस की रोकथाम टालने के लिए ?
- देश में जॉंबियों की फ़ौज बनाने के लिए ?
- सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसे फ़ासिस्ट क़ानून लाकर देश को यातना गृह में बदलने के लिए ?
- एक तड़ीपार को गृहमंत्री बनाने के लिए ?
- समाज को अभूतपूर्व ढंग से सांप्रदायिक लाईन पर बांंटने के लिए ?
- दिल्ली जनसंहार के लिए ?
अगर आप इन सबको ‘कड़े फ़ैसले’ समझते हैं तो लानत है आपकी संघी सोच पर. समूचे देश के ग़रीबों को मौत के मुंंह में ढकेल कर किस मुंंह से आप मुआफ़ी मांंग रहे हैं ? अगर ज़रा-सा भी शर्म बची हो तो होगी ही क्योंकि दिखते तो आप आदमी ही हैं, इस्तीफ़ा दीजिए और घर बैठिए, जो आज आपको मुआफ़ कर देगा, मुस्तकबिल उसे कभी नहीं मुआफ़ करेगा.
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